आचार्य विद्यानंद जी महाराज की जन्म शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री का नम्रता भरा कदम, भारतीय परंपराओं का सम्मान
Published on: June 29, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनी सांस्कृतिक जड़ों और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति गहरे सम्मान का परिचय दिया। शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन मुनि आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज की जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होने के दौरान, पीएम मोदी ने जैन आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज का अभिवादन करने से पहले अपने जूते उतारकर एक नम्र और प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया। यह मूक किंतु प्रभावशाली इशारा भारतीय संस्कृति और संतों के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाता है।
आचार्य विद्यानंद का सम्मान: समारोह में पीएम मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने जैन दर्शन, प्राकृत भाषा और प्राचीन मंदिरों के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा, “आचार्य जी का जीवन त्याग, करुणा और अहिंसा का प्रतीक है। उनकी शिक्षाएं हमारी योजनाओं को प्रेरित करती हैं, जो सबको साथ लेकर चलने का संदेश देती हैं।” इस अवसर पर पीएम मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने विनम्रता के साथ माँ भारती को समर्पित किया।
संस्कृति और नम्रता का संगम: पीएम मोदी का जूते उतारने का यह कदम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं के प्रति उनकी गहरी निष्ठा का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर इस भावपूर्ण पल की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां लोग इसे “सच्चे सनातनी सेवक” और “नेता में संस्कार” का उदाहरण बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यह कोई औपचारिकता नहीं, आत्मा से निकली श्रद्धा थी। यही भारत की परंपरा है।”
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वर्षभर का उत्सव: यह समारोह, जो संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया, आचार्य विद्यानंद जी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले सांस्कृतिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत है। आचार्य जी ने 8,000 से अधिक जैन आगम छंदों को याद करने और 50 से अधिक ग्रंथों की रचना के साथ-साथ प्राकृत भाषा और जैन मंदिरों के संरक्षण में ऐतिहासिक योगदान दिया।
प्रेरणा का स्रोत: पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “भारत विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है, क्योंकि हमारे संतों और आचार्यों की शिक्षाएं अमर हैं।” उन्होंने आचार्य विद्यानंद जी को ‘युग पुरुष’ और ‘युग द्रष्टा’ बताते हुए उनकी अहिंसा, समावेशिता और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की। इस अवसर पर डाक टिकट और सिक्कों का अनावरण भी किया गया, जो आचार्य जी की विरासत को अमर बनाएंगे।
जैन समुदाय की प्रतिक्रिया: जैन समुदाय ने पीएम मोदी की उपस्थिति और उनके इस नम्र इशारे को गर्व का क्षण बताया। समुदाय के सदस्यों ने कहा कि यह कदम न केवल आचार्य जी के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार की योजनाएं जैन दर्शन की सेवा और अहिंसा की भावना से प्रेरित हैं।
यह घटना न केवल पीएम मोदी की सांस्कृतिक संवेदनशीलता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भारत अपनी प्राचीन परंपराओं और आधुनिक विकास को एक साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। यह क्षण हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रति गहरे सम्मान को उजागर करता है।