नवरात्रि के दौरान गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक की मांग ने छेड़ी बहस, विपक्ष ने बताया साम्प्रदायिक कदम, पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा
Published on: September 23, 2025
By: BTNI
Location: Bhopal, India
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नवरात्रि के दौरान होने वाले गरबा और डांडिया आयोजनों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कुछ हिंदू संगठनों ने गरबा पंडालों में प्रवेश के लिए सख्त नियम लागू करने की मांग की है, जिसमें पंडालों के बाहर भगवान विष्णु के वराह अवतार की तस्वीर लगाने और उसकी पूजा के बाद ही प्रवेश देने का प्रस्ताव शामिल है। संगठनों का तर्क है कि यह कदम गैर-हिंदू व्यक्तियों को धार्मिक आयोजनों में प्रवेश से रोकेगा और गरबा की धार्मिक पवित्रता को बनाए रखेगा।
इस मांग ने शहर में सामाजिक और सांस्कृतिक बहस को जन्म दे दिया है।विवाद की पृष्ठभूमि: नवरात्रि के पहले दिन से भोपाल में गरबा और डांडिया आयोजनों की तैयारियां जोरों पर हैं। शहर के कई हिस्सों में बड़े पंडाल सजाए गए हैं, जहां हजारों लोग हर साल उत्साह के साथ भाग लेते हैं। लेकिन इस बार कुछ हिंदू संगठनों ने आयोजकों के साथ बैठक कर मांग की कि गरबा में केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को ही प्रवेश दिया जाए। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि पंडालों के प्रवेश द्वार पर भगवान वराह की तस्वीर लगाई जाए और हर आने वाले व्यक्ति को उसकी पूजा करने के बाद ही अंदर जाने की अनुमति दी जाए। संगठनों का दावा है कि इससे “लव जिहाद” जैसे मामलों को रोका जा सकेगा और धार्मिक आयोजन सुरक्षित रहेंगे।
आयोजकों का रुख: कुछ आयोजकों ने इस मांग पर सहमति जताई, लेकिन कई ने इसे अव्यवहारिक और समाज को बांटने वाला कदम बताया। एक आयोजक ने कहा, “गरबा न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जिसमें सभी समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं। ऐसी मांगें सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती हैं।” कई आयोजकों ने प्रशासन से मार्गदर्शन मांगा है ताकि आयोजन शांतिपूर्ण और समावेशी तरीके से हो सकें।
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विपक्ष का विरोध: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मांग को साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास करार दिया। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “नवरात्रि एक ऐसा उत्सव है जो सभी को जोड़ता है। इस तरह की मांगें समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश हैं।” उन्होंने सरकार से मांग की कि वह ऐसी मांगों को खारिज करे और सभी समुदायों के लिए समावेशी माहौल सुनिश्चित करे। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मांग की निंदा की और कहा कि यह धार्मिक आयोजनों की भावना के खिलाफ है।
प्रशासन की कार्रवाई: विवाद बढ़ता देख भोपाल पुलिस ने सभी प्रमुख गरबा पंडालों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। आयोजकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी नियमों का पालन करें और किसी भी तरह का भेदभाव न करें। पुलिस ने यह भी कहा कि वे सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर नजर रख रही है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: भोपाल में गरबा और डांडिया आयोजन हर साल सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक रहे हैं। लेकिन इस तरह के विवादों ने इन आयोजनों की समावेशी प्रकृति पर सवाल उठा दिए हैं। शहरवासियों में इस मुद्दे पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग धार्मिक आयोजनों की पवित्रता को बनाए रखने की बात कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा मान रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मुद्दे पर खुला संवाद जरूरी है ताकि सभी समुदायों का सम्मान हो और उत्सव की भावना बरकरार रहे।
आगे की राह: नवरात्रि के बाकी दिन भोपाल के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यह देखना बाकी है कि क्या आयोजक इन मांगों को लागू करेंगे या प्रशासन के दबाव में समावेशी रुख अपनाएंगे। इस बीच, शहर में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की सुरक्षा और समावेशिता को लेकर बहस तेज हो गई है। यह विवाद न केवल भोपाल, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में सामाजिक एकता के लिए एक चुनौती बन सकता है।