वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से संचालित मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 84–85% सीटें मुस्लिम छात्रों को मिलने पर हंगामा, प्रशासन ने मेरिट-आधारित चयन प्रक्रिया का बचाव किया।
Published on: November 27, 2025
By: BTNI
Location: Katra, India
हाल ही में 2025-26 बैच के लिए जारी पहली एमबीबीएस एडमिशन सूची ने Shri Mata Vaishno Devi Institute of Medical Excellence (SMVDIME) में सांप्रदायिक रूप से असंतुलित दाखिले का बवंडर खड़ा कर दिया है। कुल 50 सीटों में से 42 सीटें मुस्लिम छात्रों को दी गई हैं — यानी करीब 84–85% सीटें मुस्लिमों को, जबकि सिर्फ 8–7 सीटें हिंदू (और 1 सीट सिख) छात्रों को मिली हैं।
विवाद की शुरुआत, आरोप-प्रत्यारोप और मांग
यह मेडिकल कॉलेज पूरी तरह Vaishno Devi Shrine Board (श्राइन बोर्ड) की फंडिंग से चलता है — यानी वह दान जो श्रद्धालुओं ने हिंदू धर्मार्थ चढ़ावा के रूप में दिया था। कई हिंदू संगठन — जैसे Bajrang Dal, Vishwa Hindu Parishad (VHP) — और राजनीतिक दलों ने कहा है कि ऐसे धार्मिक-भावनात्मक रूप से संवेदनशील संस्थान में हिंदू छात्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
विरोध में, इन संगठनों ने मांग की है कि या तो इस प्रवेश सूची को रद्द किया जाए, या फिर संस्थान को “अल्पसंख्यक संस्था” का दर्जा न देकर, भविष्य में हिंदू छात्रों के लिए आरक्षण तय किया जाए।
उनके मुताबिक, “हिंदुओं के दान से बनी संस्था में मुस्लिमों के लिए इतनी अधिक सीटें देना अनुचित है” — और यह समाज की भावनाओं का अपमान है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया — मेरिट vs साम्प्रदायिकता
कॉलेज प्रशासन और दाखिला प्रक्रिया में शामिल सरकारी बोर्ड ने साफ कहा है कि प्रवेश पूरी तरह मेरिट (NEET UG) और जम्मू-कश्मीर प्रवेश नियमों के अनुसार हुआ है; इसमें धर्म, संप्रदाय या धार्मिक पृष्ठभूमि की कोई भूमिका नहीं थी।
इसी आधार पर, यह भी बताया गया है कि इस कॉलेज को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया गया है — अतः धर्म आधारित आरक्षण लागू नहीं हो सकता।
राज्य के मुख्यमंत्री Omar Abdullah ने इस प्रस्ताव पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि भारत का संविधान सेक्युलर है — अगर धर्म के आधार पर प्रवेश देना है, तो पहले संस्थान को अल्पसंख्यक घोषित करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि “अगर आप मेरिट से इत्तेफाक नहीं रखते, तो फिर संविधान से सेक्युलर शब्द हटा दीजिए।”
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