छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ हजारों शिक्षकों का प्रदर्शन, सरकार पर शिक्षकों की अनदेखी का आरोप
Published on: May 28, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की नीति को लेकर शिक्षक समुदाय में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। सर्व शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ के बैनर तले हजारों शिक्षकों ने नवा रायपुर में मंत्रालय का घेराव किया और युक्तियुक्तकरण नीति को रद्द करने की मांग की। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह नीति न केवल शिक्षकों के हितों के खिलाफ है, बल्कि यह बच्चों की शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
युक्तियुक्तकरण नीति का उद्देश्य और विवाद छत्तीसगढ़ सरकार ने 7 मई 2025 से शुरू हुई इस नीति के तहत स्कूलों में शिक्षकों के समान वितरण का लक्ष्य रखा है। इसके तहत 5,370 अतिशेष शिक्षकों (3,608 प्राथमिक और 1,762 मिडिल स्कूल) को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा है जहां शिक्षकों की कमी है। सरकार का दावा है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करना है।
हालांकि, शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह नीति 2008 के सेटअप को बदलने की कोशिश है, जो शिक्षकों के लिए अन्यायपूर्ण है। उनका आरोप है कि स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और यह नीति शिक्षकों को दूरदराज के क्षेत्रों में भेजकर उनकी नौकरी और निजी जीवन को प्रभावित कर रही है।
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शिक्षकों का प्रदर्शन और सरकार का रुख 23 शिक्षक संगठनों ने एकजुट होकर मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया और उनकी बात सुने बिना नीति को लागू किया जा रहा है। एक शिक्षक ने कहा, “हम बच्चों की भलाई के लिए काम करते हैं, लेकिन इस नीति से स्कूलों में अराजकता बढ़ेगी और बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ेगा।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के बयान को शिक्षक संगठनों ने “निराशाजनक” करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम बच्चों के हित में है, लेकिन शिक्षकों का मानना है कि नीति के पीछे सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
पहले भी रहा है विवाद यह पहली बार नहीं है जब छत्तीसगढ़ में शिक्षा नीतियों को लेकर विवाद हुआ है। जनवरी 2025 में 2,897 बीएड धारी सहायक शिक्षकों की सेवा समाप्ति के फैसले ने भी बवाल मचाया था। उस समय भी शिक्षकों ने धरना-प्रदर्शन किया और पुलिस पर महिला शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा था।
आगे क्या? शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि युक्तियुक्तकरण से स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर होगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
यह विवाद अब जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। सवाल यह है कि क्या यह नीति वास्तव में बच्चों की भलाई के लिए है, या इसमें सरकार की नीयत पर सवाल उठना जायज है? इस मुद्दे पर जनता और शिक्षक समुदाय की नजर सरकार के अगले कदम पर टिकी है।