कांकड़ा गांव प्राथमिक विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस पर प्रार्थना में फातिहा, उठे सवाल
Published on: August 17, 2025
By: [BTNI]
Location: Assam, India
असम के बोंगाईगांव जिले के कांकड़ा गांव प्राथमिक विद्यालय से एक विवादास्पद खबर सामने आई है, जहां स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बच्चों से राष्ट्रगान या ‘वंदे मातरम’ की जगह कुरान की आयतें और फातिहा पढ़वाए जाने का दावा किया जा रहा है। यह घटना स्थानीय स्तर पर तीखी बहस का कारण बन गई है, जिसमें कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान के रूप में देख रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्कूल में प्रार्थना सत्र के दौरान, जहां आमतौर पर राष्ट्रगान गाया जाता है, बच्चों को कुरान की आयतें पढ़ने के लिए कहा गया। दावा किया जा रहा है कि यह व्यवस्था स्कूल के कुछ शिक्षकों द्वारा बनाई गई है, जिन्होंने इसे नियमित प्रथा बना लिया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया, जब स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस प्रथा पर सवाल उठाए और इसे सोशल मीडिया पर उजागर किया।स्थानीय निवासियों ने इस घटना को “राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक” करार देते हुए असम सरकार से तत्काल जांच की मांग की है।
कुछ लोगों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय प्रतीकों और परंपराओं का सम्मान होना चाहिए, और किसी भी धार्मिक प्रथा को थोपना अनुचित है। दूसरी ओर, स्कूल प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह प्रथा कुछ समय से चली आ रही थी।यह घटना असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के संज्ञान में लाई गई है, जिनसे इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की जा रही है।
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक आधार पर भड़काने वाला मुद्दा बनाने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं।राज्य शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय प्रतीकों और परंपराओं का सम्मान हो। किसी भी अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” उन्होंने कहा।
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यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब देश भर में राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत को लेकर बहस तेज है। कांकड़ा गांव प्राथमिक विद्यालय की इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को प्रभावित किया है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। जनता अब सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्कूलों में शिक्षा और राष्ट्रीय मूल्यों का सही संतुलन बना रहे।