पारंपरिक चिकित्सा का दर्जा देने की मांग तेज
गाय के विज्ञान को कृषकों तक पहुंचाने, गौशालाओं में पारदर्शिता लाने और छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने का आह्वान
Published on: June 05, 2025
By: BTI
Location: Rajnandgaon, India
छत्तीसगढ़ पंचगव्य डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय चतुर्थ पंचगव्य चिकित्सा सम्मेलन का आयोजन पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम, राजनांदगांव में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के मुख्य वक्ता पंचगव्य विद्यापीठम्, कांचीपुरम् के गुरूकुलपति गव्यसिद्ध डॉ. निरंजन वर्मा ‘गुरुजी’ रहे, जिन्होंने गाय आधारित चिकित्सा, पर्यावरणीय संतुलन, और सामाजिक स्वास्थ्य पर विचार व्यक्त किए।
डॉ. वर्मा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से पंचगव्य चिकित्सा को छत्तीसगढ़ की पारंपरिक चिकित्सा घोषित करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि पंचगव्य चिकित्सा केवल स्वास्थ्य नहीं बल्कि आर्थिक स्वावलंबन, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की ओर भी एक प्रभावी कदम है।

🌿 गाय के वैज्ञानिक लाभ और सामाजिक भूमिका:
डॉ. वर्मा ने बताया कि गौमूत्र व गोबर में चिकित्सा गुण हैं, जो आधुनिक बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “गाय के घर में रहने से वायरस पनप नहीं सकता। गोबर में 23% ऑक्सीजन होती है, जबकि मानव शरीर को 20.8% की जरूरत होती है।” उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में गौ आधारित जीवनशैली को अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय गौवंश की रक्षा अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि बाहरी नस्लों को लाने से स्थानीय जलवायु और पारिस्थितिकी पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
📉 भ्रष्टाचार रोकने के लिए सुझाव:
गौशालाओं के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर चिंता जताते हुए डॉ. वर्मा ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि किसानों से चारा खरीदकर गौशालाओं को वितरित किया जाए, जिससे न केवल चारे की गुणवत्ता बनी रहे, बल्कि किसानों को भी आर्थिक लाभ हो।
Also read- https://www.btnewsindia.com/कृषि-मंत्री-शिवराज-सिंह-क/ https://www.btnewsindia.com/सामुदायिक-नेतृत्व-में-सा/
🌳 वृक्ष, जल और आयुर्वेद की रक्षा:
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में वट, नीम, पीपल, साल जैसे वृक्षों की उपेक्षा हो रही है जबकि यही आयुर्वेद की मूलधारा हैं। “आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और प्राकृतिक वातावरण देना है तो इन वृक्षों और स्थानीय गायों की रक्षा आवश्यक है,” उन्होंने कहा।
🗣️ छत्तीसगढ़ी भाषा और लोकगीतों की महत्ता:
डॉ. वर्मा ने छत्तीसगढ़ी लोकगीतों को मिट्टी और सृष्टि का विज्ञान बताते हुए कहा कि मातृभाषा में बच्चों से संवाद करना संस्कृति और वैज्ञानिक चेतना दोनों को जीवित रखता है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय मान्यता की आवश्यकता:
डॉ. वर्मा ने बताया कि विदेशों में भारतीय गोबर और गौमूत्र की भारी मांग है। अमेरिका जैसे देशों ने पहले ही गौमूत्र पर पेटेंट ले लिया है। उन्होंने कहा, “अगर गौ विज्ञान को वैज्ञानिक रूप से बढ़ावा मिले तो भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है।”

🏛️ अतिथि वक्ताओं की राय:
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग अध्यक्ष श्री विशेषर सिंह पटेल ने कहा, “गाय सनातन संस्कृति का केन्द्र है। जब तक गाय को सामाजिक संरचना में केन्द्र नहीं बनाया जाएगा, तब तक भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता।”
इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष कोमल सिंह राजपूत, गव्यसिद्ध डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. विकास सिंह राठौर, समाजसेवी, गौ सेवक और नगरवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। संचालन गव्यसिद्ध डॉ. पुरुषोत्तम सिंह राजपूत द्वारा किया गया।