सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद
हिंदू संगठनों में रोष
Published on: June 24, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
भारत के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों को लेकर सोशल मीडिया और हिंदू संगठनों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक एक्स पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट पर हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाने का आरोप लगाया गया है, जिसने देशभर में बहस छेड़ दी है। पोस्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को उनकी टिप्पणियों के लिए कठोर फटकार लगाई और उनकी “बेलगाम जुबान” को देश में “आग लगाने” का जिम्मेदार ठहराया, जबकि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वजाहत खान की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाकर उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर पर कार्रवाई स्थगित कर दी। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने “नूपुर शर्मा को मरने के लिए छोड़ दिया, जबकि वजाहत के समर्थन में खड़ा हो गया।”
नूपुर शर्मा और वजाहत खान के मामले
2022 में नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी ने “देश में आग लगा दी।” कोर्ट ने नूपुर को टीवी पर माफी मांगने की सलाह दी थी और उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने देशभर में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की थी। इस मामले में नूपुर को भारी आलोचना और जान से मारने की धमकियों का सामना करना पड़ा।

वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत खान की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। खान के खिलाफ पश्चिम बंगाल सहित छह राज्यों में धार्मिक भावनाएं भड़काने और नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट करने के आरोप में एफआईआर दर्ज हैं। कोर्ट ने केंद्र और कई राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 14 जुलाई को निर्धारित की है। खान ने कोर्ट में माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने विवादित पोस्ट हटा दी थी।
हिंदू संगठनों में रोष
सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों को लेकर कई हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने कोर्ट के रवैये को “हिंदू-विरोधी” करार देते हुए कहा कि यह दोहरे मापदंड का स्पष्ट उदाहरण है। विहिप के एक प्रवक्ता ने कहा, “जब नूपुर शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की बात आई, तो कोर्ट ने उन्हें कठघरे में खड़ा किया, लेकिन वजाहत खान को राहत दी गई। यह हिंदुओं के साथ अन्याय है।”
देशभर में कई हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा में स्थानीय संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रैलियां निकालने और ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है। सोशल मीडिया पर भी #JusticeForHindus और #SupremeCourtBias जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं।
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सोशल मीडिया पर बहस
एक्स पर कई यूजर्स ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “न्यायिक आतंकवाद” तक करार दिया है। एक यूजर ने लिखा, “नूपुर शर्मा को सजा और वजाहत खान को राहत, यह है सुप्रीम कोर्ट का दोहरा चेहरा।” एक अन्य यूजर ने कहा, “हिंदुओं के लिए कठोर कानून और मुस्लिमों के लिए नरमी, यह कहां का न्याय है?” इन पोस्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, हालांकि कुछ यूजर्स ने कोर्ट के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रत्येक मामले की परिस्थितियां अलग होती हैं।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों मामलों की तुलना करना उचित नहीं हो सकता, क्योंकि प्रत्येक के तथ्य और संदर्भ अलग हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का काम कानून के आधार पर फैसला देना है, न कि भावनाओं के आधार पर। नूपुर शर्मा और वजाहत खान के मामलों में अलग-अलग परिस्थितियां थीं।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोर्ट की टिप्पणियों को लेकर जनता में गलतफहमी हो सकती है, जिसे स्पष्ट करने की जरूरत है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने वजाहत खान मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को निर्धारित की है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के जवाब के बाद स्थिति और स्पष्ट हो सकती है। वहीं, हिंदू संगठनों ने अपने प्रदर्शनों को तेज करने की चेतावनी दी है। इस विवाद ने एक बार फिर न्यायपालिका की निष्पक्षता और धार्मिक संवेदनशीलता को लेकर गहन बहस छेड़ दी है।