Published on: December 03, 2025
By: BTNI
Location: Rachi, India
झारखंड की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के राजनीतिक रुख में संभावित बदलाव को लेकर अटकलें लगातार बढ़ रही हैं। चर्चाओं का केंद्र यह है कि क्या राज्य में मौजूदा गठबंधन ढांचे से हटकर कोई नया समीकरण तैयार हो सकता है और क्या एनडीए की सरकार बनने की जमीन तैयार हो रही है।
दिल्ली दौरे से बढ़ी चर्चा
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी के दिल्ली दौरे के बाद राजनीतिक कयासों ने और अधिक तूल पकड़ लिया है। बताया जाता है कि दौरे के दौरान भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात होने की संभावना जताई गई है। भले ही इन बैठकों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसने राजधानी रांची से दिल्ली तक राजनीतिक बाजार गर्म कर दिया है।
कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल
सूत्र बताते हैं कि गठबंधन सरकार चलते हुए भी JMM और कांग्रेस के बीच कई मुद्दों पर मतभेद बढ़े हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के रवैये से हेमंत सोरेन की नाराज़गी की चर्चा भी राजनीतिक गलियारों में सुनाई दे रही है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि मतभेद गहराते रहे तो भविष्य में JMM नए विकल्प खोज सकता है।
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एनडीए के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं
बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद अब राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर झारखंड पर है। यदि JMM किसी नए गठबंधन की ओर कदम बढ़ाता है तो झारखंड की सत्ता का पूरा समीकरण बदल सकता है। भाजपा भी संभावित सहयोग को लेकर रणनीतिक रूप से सक्रिय बताई जा रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हाल के दिनों में JMM और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति अपेक्षाकृत नरम बयानों से संकेत देने की कोशिश की है।
JMM का आधिकारिक रुख — अफ़वाहें बेबुनियाद
इन चर्चाओं के बीच JMM की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया भी सामने आई है। पार्टी प्रवक्ताओं ने BJP के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन की अटकलों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि राज्य में सरकार स्थिर है तथा किसी राजनीतिक बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है। पार्टी ने इसे “राजनीतिक अफवाह” करार दिया है।
अभी तस्वीर साफ़ नहीं
राजनीति के जानकार मानते हैं कि हालात अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। सत्ता परिवर्तन की अटकलें ज़रूर हैं, लेकिन:
न तो गठबंधन बदलने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा हुई है,
और न ही विधायक दल की बैठक में इस संबंध में कोई प्रस्ताव आया है।
फिर भी बंद कमरे की सियासत में सब कुछ संभव माना जा रहा है, और आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति बड़े बदलावों की साक्षी बन सकती है।
बहरहाल झारखंड में सत्ता परिवर्तन की खबरें फिलहाल संभावनाओं और चर्चाओं के दायरे में हैं। राजनीतिक घटनाक्रम जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए आने वाले कुछ हफ्ते झारखंड की राजनीति के लिए बेहद निर्णायक हो सकते हैं।


