ममता बनर्जी सरकार पर फिल्म निर्माता का आरोप, “पुलिस ने राजनीतिक दबाव में रोका कार्यक्रम”समाचार
Published on: August 17, 2025
By: [BTNI]
Location: KOLKATA, India
फिल्म निर्माता विवेक रंजन अग्निहोत्री की आगामी फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ के ट्रेलर लॉन्च को शनिवार को कोलकाता में पुलिस ने कथित तौर पर रोक दिया, जिसके बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं। यह फिल्म 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और उस दौरान बंगाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर आधारित है। इस घटना ने न केवल सियासी हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि लोकतंत्र और सेंसरशिप पर भी बहस छेड़ दी है।
विवेक अग्निहोत्री ने दावा किया कि कोलकाता के एक फाइव-स्टार होटल में आयोजित ट्रेलर लॉन्च कार्यक्रम को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया। उनके अनुसार, पहले एक मल्टीप्लेक्स में ट्रेलर प्रदर्शन रद्द हुआ, और फिर निजी होटल में भी पुलिस ने हस्तक्षेप कर तार काट दिए। अग्निहोत्री ने इसे “अराजकता और तानाशाही” करार देते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर राजनीतिक दबाव डालने का आरोप लगाया। “यह फिल्म सेंसर बोर्ड से मंजूर है और इतिहास के तथ्यों पर आधारित है। फिर भी इसे रोकने की कोशिश की जा रही है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है,” उन्होंने कहा।
पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि अग्निहोत्री ने सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली थी, जिसके कारण यह कार्रवाई की गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “यदि उनके पास अनुमति थी, तो वे मीडिया को दस्तावेज दिखाएं।” यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल सिनेमाज (रेगुलेशन) एक्ट, 1954 की धारा 3 के उल्लंघन के तहत की गई।
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इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अग्निहोत्री के आरोपों को “बेबुनियाद” बताया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “अग्निहोत्री बीजेपी के इशारे पर बंगाल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर उनमें हिम्मत है, तो वे गोधरा दंगों पर ‘गुजरात फाइल्स’ बनाएं।” दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी पर इतिहास को दबाने का आरोप लगाया और कहा, “यह लोकतंत्र पर हमला है।”
‘द बंगाल फाइल्स’ में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, और पल्लवी जोशी जैसे कलाकार हैं, और यह 5 सितंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। फिल्म के निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है और कहा, “कोई ताकत हमें इस फिल्म को रिलीज करने से नहीं रोक सकती।”
यह विवाद तब और गहरा गया, जब अग्निहोत्री ने कहा कि बंगाल सरकार 1946 की हिंसा और जनसांख्यिकीय परिवर्तन की सच्चाई को सामने नहीं आने देना चाहती। उन्होंने दावा किया कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वे हार नहीं मानेंगे। इस घटना ने न केवल फिल्म के रिलीज को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सेंसरशिप जैसे मुद्दों पर देशव्यापी बहस को भी हवा दे दी है।