उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने दी दिवाली की शुभकामनाएं,
पार्टी के 75 साल के इतिहास में पहली बार
Published on: October 04, 2025
By: BTNI
Location: Chennai, India
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कढ़गम (DMK) पार्टी, जो लंबे समय से सनातन धर्म को लेकर विवादित बयानों के लिए चर्चा में रही है, ने एक अप्रत्याशित कदम उठाकर सबको चौंका दिया है। पार्टी के युवा नेता और राज्य के उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान न केवल DMK की प्लेटिनम जयंती (75वीं वर्षगांठ) की शुभकामनाएं दीं, बल्कि हिंदू समुदाय को दिवाली की बधाई भी दी।
यह DMK के इतिहास में पहली बार है जब किसी वरिष्ठ नेता ने सार्वजनिक रूप से इस प्रमुख हिंदू त्योहार के लिए आधिकारिक शुभकामनाएं दी हों।यह घोषणा तब आई है जब देश भर में दिवाली की तैयारियां जोरों पर हैं, और राजनीतिक दलों के बीच धार्मिक सद्भाव पर बहस तेज हो रही है। Zee News की एक X पोस्ट ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से उछाला, जिसमें सवाल उठाया गया: “सनातन को ‘बीमारी’ बताने वाली पार्टी का अचानक कैसे बदल गया मन? CM ने दिवाली के लिए किया ये बड़ा ऐलान।” पोस्ट में Zee News के लेख का लिंक साझा किया गया, जो इस बदलाव की पृष्ठभूमि को विस्तार से बयान करता है।
विवाद की जड़: सनातन धर्म पर DMK का पुराना रुखDMK का सनातन धर्म को लेकर इतिहास विवादों से भरा पड़ा है। अगस्त 2023 में उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक कार्यक्रम में सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोविड-19 जैसी ‘बीमारियों’ से की थी। उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म को ‘उखाड़ फेंकना’ चाहिए, जैसे बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस बयान ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया था। सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, जहां कोर्ट ने स्टालिन के बयान को ‘असंवैधानिक’ करार दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर चिंता जताई।DMK के संस्थापक सी.एन. अन्नादुराई और बाद में एम. करुणानिधि जैसे नेताओं ने भी द्रविड़ आंदोलन के तहत हिंदू धर्म की रूढ़िवादी प्रथाओं का विरोध किया था।
पार्टी का दर्शन ‘स्वाभिमान’ (सेल्फ-रिस्पेक्ट) पर आधारित है, जो जातिवाद और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ है। लेकिन सनातन को ‘बीमारी’ बताने वाला बयान DMK के लिए राजनीतिक नुकसान का सबब बन गया, खासकर तमिलनाडु के हिंदू बहुल इलाकों में। विपक्षी दलों जैसे BJP और AIADMK ने इसे ‘हिंदू-विरोधी’ करार देकर हमला बोला।
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अचानक बदलाव का ऐलान: दिवाली शुभकामनाओं से सियासी संदेश?4 अक्टूबर 2025 को चेन्नई के एक बड़े समारोह में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “DMK की प्लेटिनम जयंती के अवसर पर सभी कार्यकर्ताओं को बधाई। साथ ही, इस दिवाली पर तमिलनाडु के सभी नागरिकों, खासकर हिंदू भाइयों-बहनों को हार्दिक शुभकामनाएं। यह त्योहार प्रकाश, समृद्धि और सद्भाव का प्रतीक है।” यह बयान DMK के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया गया, जिसे अब तक हजारों व्यूज मिल चुके हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह कदम पार्टी की समावेशी छवि को मजबूत करने के लिए है। तमिलनाडु में 80% से अधिक आबादी हिंदू है, और चुनावी समीकरणों को देखते हुए धार्मिक त्योहारों पर सकारात्मक संदेश देना जरूरी हो गया है।” विश्लेषकों का मानना है कि यह बदलाव 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है, जहां BJP जैसी पार्टियां हिंदू वोट बैंक को लक्षित कर रही हैं।मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन (उदयनिधि के पिता) ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कहा, “DMK हमेशा सभी धर्मों का सम्मान करती है। दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एकता का संदेश है।”
हालांकि, CM ने सनातन विवाद पर सीधे टिप्पणी करने से परहेज किया।सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएंX (पूर्व ट्विटर) पर Zee News की पोस्ट को अब तक 800 से अधिक व्यूज मिल चुके हैं, और प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं। कुछ यूजर्स ने इसे ‘राजनीतिक यू-टर्न’ बताते हुए तंज कसा: “कल को सनातन को ही वैक्सीन बता देंगे!” वहीं, DMK समर्थक इसे ‘परिपक्व कदम’ बता रहे हैं। BJP के एक प्रवक्ता ने X पर लिखा, “DMK का यह नाटक जनता को बेवकूफ नहीं बना सकता। सनातन पर माफी मांगो, शुभकामनाएं काफी नहीं।”राजनीतिक निहितार्थ: क्या है DMK की रणनीति?यह ऐलान तमिलनाडु की जटिल राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। DMK, जो 2021 के चुनावों में AIADMK को हराकर सत्ता में आई, अब विपक्ष के ‘हिंदू-विरोधी’ आरोपों से जूझ रही है।
हाल के सर्वे बताते हैं कि राज्य के युवा वोटर धार्मिक सद्भाव की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली शुभकामनाएं DMK की ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ अप्रोच का हिस्सा हो सकती हैं, बिना अपनी द्रविड़ विचारधारा से समझौता किए।एक ओर जहां यह कदम हिंदू समुदाय को लुभाने का प्रयास लगता है, वहीं विपक्ष इसे ‘अफसरदारी’ बता रहा है। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रामू कहते हैं, “DMK को अब सनातन विवाद पर स्पष्ट सफाई देनी होगी, वरना यह शुभकामनाएं उल्टी पड़ सकती हैं।”निष्कर्ष: सद्भाव की ओर कदम या चुनावी चाल?DMK का यह ऐलान निश्चित रूप से चर्चा का विषय बन गया है। सनातन को ‘बीमारी’ बताने से दिवाली शुभकामनाओं तक का सफर छोटा लेकिन सियासी रूप से महत्वपूर्ण है। क्या यह वास्तविक बदलाव है या चुनावी रणनीति? समय ही बताएगा। फिलहाल, तमिलनाडु के लोग दिवाली की रौनक में डूबे हैं, और DMK की यह पहल सद्भाव की नई उम्मीद जगाती दिख रही है।