असम के धुबरी में सांप्रदायिक तनाव
Published on: June 13, 2025
By: [BTNI]
Location: Guwahati, India
असम के धुबरी जिले में हाल ही में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं ने राज्य के कानून-व्यवस्था की स्थिति को चुनौती दी है। एक मंदिर के पास कथित तौर पर गोमांस फेंके जाने की घटना के बाद शुरू हुए विवाद ने हिंसक प्रदर्शनों का रूप ले लिया, जिसके जवाब में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ‘देखते ही गोली मारने’ (शूट-एट-साइट) के आदेश जारी किए हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ाया है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। आइए, इस मामले की पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।
घटना की शुरुआत
9 जून 2025 को धुबरी शहर के एक हनुमान मंदिर के पास मांस के टुकड़े मिलने की खबर सामने आई। स्थानीय लोगों ने दावा किया कि यह गोमांस था, जिसे जानबूझकर मंदिर को अपवित्र करने के इरादे से फेंका गया। इस घटना ने तुरंत सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया, और स्थानीय हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शनों के दौरान भीड़ ने सब्जी विक्रेताओं और ई-रिक्शा चालकों पर हमले किए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। पुलिस को हालात नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े।
10 जून को धुबरी के जिला मजिस्ट्रेट दिवाकर नाथ ने भारतीय दंड संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। इस आदेश के तहत शहर में सभी दुकानें और बाजार बंद रखने, पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध, और रैलियों, जुलूसों या प्रदर्शनों पर रोक लगाई गई। आपातकालीन सेवाओं को इन प्रतिबंधों से छूट दी गई।
'नबीन बांग्ला' संगठन का विवाद
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया कि बकरीद से एक दिन पहले ‘नबीन बांग्ला’ नामक एक संगठन ने भड़काऊ पोस्टर चिपकाए थे, जिनमें धुबरी को बांग्लादेश में शामिल करने की मंशा जाहिर की गई थी। इन पोस्टरों ने स्थानीय लोगों के बीच और अधिक गुस्सा भड़काया। सरमा ने इसे एक सांप्रदायिक समूह की साजिश करार देते हुए कहा कि यह समूह जानबूझकर अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है।
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मुख्यमंत्री का सख्त रुख
13 जून को धुबरी का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने सख्त कार्रवाई का ऐलान किया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “धुबरी में एक विशेष वर्ग हमारे मंदिरों को क्षति पहुंचाने की नीयत से सक्रिय हो चुका है। इसके बाद हमने देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे स्वयं बकरीद के दौरान हनुमान मंदिर में रात भर पहरेदारी करेंगे।
सरमा ने यह भी आरोप लगाया कि धुबरी में एक ‘नया गोमांस माफिया’ उभरा है, जिसने ईद से पहले हजारों पशुओं की खरीद की है। उन्होंने प्रशासन को इसकी जांच के आदेश दिए और दोषियों को सलाखों के पीछे डालने की बात कही।
पहले भी विवादों में रहा धुबरी
धुबरी, जो बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है, पहले भी सांप्रदायिक और घुसपैठ के मुद्दों को लेकर चर्चा में रहा है। हाल ही में असम सरकार ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ अभियान तेज किया है, जिसके तहत कई लोगों को ‘नो मैन्स लैंड’ में छोड़ा गया। इस कार्रवाई की सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
2021 में धुबरी के पास दीमा हसाओ जिले में एक मतदान केंद्र पर अनियमितता की खबरें आई थीं, जहां 90 मतदाताओं के बूथ पर 171 वोट डाले गए थे। इसके अलावा, 2021 में ही अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने मुख्यमंत्री सरमा पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अपनी सरकार को बचाने के लिए मुस्लिम विरोधी बयानबाजी और गैरकानूनी कार्रवाइयां कर रहे हैं। उन्होंने इस घटना को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दिया।
वर्तमान स्थिति
13 जून तक धुबरी में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है। प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए हैं, और शूट-एट-साइट आदेश रात के समय लागू हैं। स्थानीय लोग इस बात से नाराज हैं कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं, और सरकार की कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे सांप्रदायिक तनाव को और भड़काने वाला कदम बता रहे हैं।
निष्कर्ष
धुबरी में सांप्रदायिक तनाव की यह घटना असम में सामाजिक और राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाती है। बकरीद और आगामी विधानसभा चुनावों (2024) के बीच इस तरह की घटनाएं और सरकार का सख्त रुख स्थिति को और जटिल बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शांति बहाली के लिए प्रशासन को न केवल सख्ती बरतनी होगी, बल्कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए संवाद और सहयोग की भी जरूरत है।