ABVP ने अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर दर्ज की जीत, NSUI ने उपाध्यक्ष पद पर लगाई सेंध; कैंपस में दिखा जोशीला माहौल
Published on: September 19, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजे आज घोषित हो गए। इस बार भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने बाज़ी मारी और चार में से तीन पदों पर कब्ज़ा जमाया, जबकि कांग्रेस समर्थित NSUI को सिर्फ उपाध्यक्ष पद मिला। सुबह से ही गिनती के दौरान कैंपस का माहौल गरमाया रहा और परिणाम आते ही छात्रों में ज़बरदस्त उत्साह देखा गया।
कौन जीता कौन हारा
अध्यक्ष (President): अर्यन मान (ABVP) — 28,821 वोट उपाध्यक्ष (Vice-President): राहुल झांसला (NSUI) — 29,339 वोट सचिव (Secretary): कुणाल चंद्रा (ABVP) — 23,779 वोट संयुक्त सचिव (Joint Secretary): दीपिका झा (ABVP) — 21,825 वोट
विजेताओं के बयान
अर्यन मान (अध्यक्ष, ABVP): “यह जीत छात्रों के भरोसे की जीत है। हम वादा करते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हर छात्र की आवाज़ सुनी जाएगी और कैंपस को तकनीकी रूप से और मज़बूत बनाया जाएगा।” राहुल झांसला (उपाध्यक्ष, NSUI): “भले ही NSUI को एक पद मिला है, लेकिन यह छात्रों के मुद्दों की जीत है। हम होस्टल, सुरक्षा और छात्राओं के अधिकारों पर लगातार आवाज़ उठाते रहेंगे।” दीपिका झा (संयुक्त सचिव, ABVP): “लड़कियों की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर हमने जो वादे किए हैं, उन्हें प्राथमिकता देंगे।”
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छात्रों की प्रतिक्रियाएँ
आकांक्षा शर्मा (हिंदू कॉलेज की छात्रा): “कैंपस में माहौल बहुत जोशीला था। हमें उम्मीद है कि नए प्रतिनिधि वाकई हमारे मुद्दे उठाएँगे।” रोहित कुमार (किरोड़ीमल कॉलेज): “ABVP की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन उपाध्यक्ष पद पर NSUI का जीतना चौंकाने वाला रहा।” सिमी आहूजा (मिरांडा हाउस): “NSUI ने महिला छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया, शायद इसी वजह से उन्हें उपाध्यक्ष पद पर सफलता मिली।”
चुनाव का माहौल और सरगर्मी प्रचार के दौरान कैंपस पूरी तरह सरगर्म रहा। ABVP और NSUI दोनों ने रोड शो, नुक्कड़ सभा और पर्चे बाँटकर छात्रों को साधने की कोशिश की। गिनती के दौरान ABVP और NSUI समर्थकों के बीच कई बार नारेबाज़ी हुई, लेकिन माहौल नियंत्रित रहा। राजनीतिक संदेश इस परिणाम से साफ है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में ABVP का दबदबा कायम है, हालांकि NSUI भी उपाध्यक्ष पद जीतकर लड़ाई में मजबूती से मौजूद है। छात्र संगठनों का कहना है कि आने वाला साल विश्वविद्यालय की नीतियों और छात्रों की समस्याओं पर बहस से भरा रहेगा।