पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाने वाला व्रत, इस वर्ष 26 मई को मनाया जाएगा
Published on: May 22, 2025
By: BTI
Location: New Delhi, India
भारतीय संस्कृति में पति की दीर्घायु और पारिवारिक सुख-शांति के लिए व्रत-उपवास रखने की परंपरा को विशेष महत्व दिया गया है। ऐसा ही एक प्रमुख पर्व है वट सावित्री व्रत, जो विशेष रूप से उत्तर और पश्चिम भारत की विवाहित महिलाएं बड़ी आस्था के साथ करती हैं। यह पर्व इस वर्ष सोमवार, 26 मई 2025 को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाएगा।
यह पर्व पौराणिक पात्र सावित्री के अदम्य संकल्प और प्रेम की कथा से प्रेरित है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस पाने तक तप और भक्ति का परिचय दिया। सावित्री की इसी भावना को आदर्श मानकर विवाहित महिलाएं यह व्रत करती हैं।

📅 वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- वट सावित्री अमावस्या व्रत: सोमवार, 26 मई 2025
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: दोपहर 12:11 बजे, 26 मई 2025
- अमावस्या तिथि समाप्त: प्रातः 8:31 बजे, 27 मई 2025
- वट सावित्री पूर्णिमा व्रत: मंगलवार, 10 जून 2025
🌳 व्रत विधि और पूजा की परंपराएं
व्रत की शुरुआत भोर में स्नान के बाद होती है। महिलाएं लाल या पीले रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं, जो सुहाग का प्रतीक माने जाते हैं। सोलह श्रृंगार के साथ वे स्वयं को सजाती हैं और पूरे दिन निर्जल या फलाहारी उपवास रखती हैं।
दोपहर या शाम को महिलाएं पास के वट (बरगद) वृक्ष के पास एकत्र होकर पूजा करती हैं। वृक्ष को लाल धागों, फूलों और चुनरी से सजाया जाता है। फिर महिलाएं बरगद के पेड़ की सात या 108 बार परिक्रमा करती हैं और धागा लपेटती हैं, साथ ही सावित्री-सत्यवान की कथा (व्रत कथा) सुनती और पढ़ती हैं।
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🍽️ व्रत खोलने की परंपरा और विशेष भोजन
सभी पूजा विधियों के पूर्ण होने के बाद शाम को व्रत खोला जाता है। कई महिलाएं हल्का फलाहार लेती हैं, जबकि कुछ पूरी तरह व्रत समाप्त कर पारंपरिक भोजन करती हैं। व्रत खोलते समय आमतौर पर फलों (सेब, केला), मेवे (किशमिश, बादाम) और गुड़ व तिल से बनी मिठाइयों का सेवन किया जाता है। कुछ परिवारों में लड्डू, बर्फी और अन्य पकवान महिलाओं के लिए विशेष रूप से बनाए जाते हैं।
🔚 निष्कर्ष
वट सावित्री व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। यह पर्व आधुनिक दौर में भी अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक प्रासंगिकता बनाए हुए है। सावित्री जैसी आस्था और त्याग की भावना के साथ यह पर्व हर वर्ष महिलाओं द्वारा पूरे उत्साह से मनाया जाता है।