राजनांदगांव का ऐतिहासिक सदर गणेश बाल मंडल, ‘सेठ गणेश’ के नाम से विख्यात, परंपरा और आस्था का अनूठा प्रतीक
Published on: 03 September, 2025
By: BTNI
Location: Rajnandgaon, India
संस्कारधानी के हृदय स्थल सदर बाजार की पहचान और शान है सदर गणेश बाल मंडल। 1960 से निरंतर गणपति प्रतिमा की स्थापना कर रहा यह मंडल आज भी अपनी परंपराओं और मौलिकता के कारण अलग पहचान रखता है। यही कारण है कि इसे सदर बाजार की शान कहा जाता है।
कभी यहां सदर थाना याने कि कोतवाली थाना हुआ करता था, जो अब बसंतपुर पुलिस थाना है उस स्थान से लेकर भारत माता चौक तक की लाइन में आज तक कई समितियां बनीं और समय के साथ विलुप्त हो गईं, लेकिन सदर गणेश बाल मंडल अब भी निरंतर परंपरा निभाते हुए गणपति बप्पा को भव्य रूप से प्रतिष्ठित कर रहा है। सदर गणेश बाल मंडल के बाद स्वर्गीय नारायण सोनी जी के निर्देशन में युवा मंच गणेश उत्सव समिति सशक्त रूप से सामने आई जिसको आगे बढ़ाया बंटी सोनी, मुन्ना पांडे (स्वर्गीय हो चुके हैं) एवं साथियों ने।
]इसके बाद आनंद उर्फ पप्पी चोपड़ा ने महावीर मार्केट गणेश उत्सव समिति बनाकर गणेश प्रतिमा बिठाई। इस समिति ने भी अच्छा जोर पकड़ा और लगभग 8 – 10 वर्षों तक यहां काफी चकाचौंध रही लेकिन बाद में यह समिति भी विलुप्त हो गई।
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इसके बाद में मित्र मंडल के नाम से है यह बसंतपुर थाने के पास दीपचंद इंदरचंद चोपड़ा सराफा फर्म (पप्पी चोपड़ा) व साथीगण सुरेन्द्र लुनिया) एवं अन्य के द्वारा सामने आई और क्योंकि यह एक प्रकार से महावीर मार्केट गणेश उत्सव समिति का बदला हुआ रूप ही था इसलिए इसने बहुत ही जल्दी विशाल रूप धारण कर लिया और अपनी भव्यता के चलते चार-पांच साल में ही राजनांदगांव के विभिन्न गणेश मंडलों में सिरमौर बना हुआ है।
इसी के समानांतर ही सदर गणेश बाल मंडल के पंडाल के रखकर महावीर गणेश उत्सव समिति की बहुत ही ताम धाम के साथ शुरू हुई थी जो आज भी अपनी गरिमा को बनाए हुए हैं और भव्यतम को प्राप्त कर चुका है। मधुर गोलछा, महावीर छाजेड़ एवं साथीगण इसमें तन मन एवं धन से जुड़े रहते है।
‘"सेठ गणेश’ या ‘मारवाड़ी गणेश’ के नाम से प्रसिद्ध"
सदर गणेश की प्रतिमा को पूरे शहर में विशेष सम्मान प्राप्त है। यहां विराजमान गणपति को सेठ गणेश या मारवाड़ी गणेश के नाम से भी जाना जाता है। कारण यह है कि प्रतिमा का श्रृंगार और साज-सज्जा पूरी तरह राजस्थानी परंपरा और मारवाड़ी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है।
गणेश जी के साथ विराजमान रिद्धि–सिद्धि का श्रृंगार किसी महारानी से कम नहीं होता। मारवाड़ी साड़ी, घाघरा , ओढ़नी,दुपट्टा, चोली, गहनों में गले का हार, हाथों के कंगन, कानों की बाली, नाक की नथनी,सिर पर बोरिया आदि अलंकरण से सुसज्जित रिद्धि–सिद्धि साक्षात लक्ष्मी के समान प्रतीत होती हैं। वहीं गणपति बप्पा का भव्य राजस्थानी श्रृंगार, जोधपुरी साफा, तुर्रा,कलंगी, मोतीयों की माला आदि का सुंदर श्रृंगार भगवान गणेश को सचमुच ब्रह्मांड के सेठ जी जैसा स्वरूप प्रदान करता है।
चमत्कारों में है अपार आस्था
लोगों का विश्वास है कि सदर गणेश बाल मंडल के गणपति जी श्रद्धापूर्वक अर्जी सुनते हैं। विवाह संबंधी रुकावटें हों या संतान प्राप्ति की कामना, श्रद्धालु यहां अर्जी लगाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कई परिवार आज भी अपने अनुभवों को बताकर कहते हैं कि ‘सेठ गणेश’ की कृपा से उनके जीवन की बाधाएं दूर हुईं।
पत्रकारिता में भी दर्ज हुई पहचान
सन 1988 में सवेरा संकेत के वरिष्ठ पत्रकार हाजरा ने उस समय कृषक युग में अपने लेख में उल्लेख किया था कि यहां विराजमान गणेश जी का स्वरूप सेठ जी के समान है। तभी से यह नाम प्रचलित हुआ और आज पूरा शहर श्रद्धा से उन्हें सेठ गणेश कहकर पुकारता है।
विगत,कुछ वर्षों से आशीष शर्मा इस मंडल को संजीवता प्रदान करते आ रहे हैं। इनके पूर्व प्रेमचंद शर्मा, पुखराज सोनी,वरिष्ठ पत्रकार अशोक पांडे, पुरुषोत्तम तिवारी, जयदीप शर्मा आदि ने इस मंडल को भव्यता प्रदान की। वर्तमान में बसंत शर्मा, महेश शर्मा, पुरुषोत्तम तिवारी, जयदीप शर्मा भी सक्रिय रहकर मंडल की गतिविधियां संचालित करने में सहयोग करते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार श्याम खंडेलवाल का मंडल को विगत,३५ वर्षों से मार्गदर्शन मिलते आ रहा है।
राजनांदगांव की परंपरा, संस्कृति और आस्था का अनूठा संगम है सदर गणेश बाल मंडल। हर साल यहां गणपति बप्पा के आगमन से लेकर विसर्जन तक भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है और पूरे बाजार का माहौल भक्तिमय हो उठता है।