मीठे बोल व्यक्ति के दिल में सम्मानजनक स्थान दिलाते हैं
चातुर्मासिक प्रवचन
Published on: August 19, 2025
By: BTNI
Location: Rajnandgaon, India
“शब्दों का इस्तेमाल बहुत संभाल कर करना चाहिए। एक भी गलत एवं तीखे शब्द व्यक्ति के दिल को घायल कर देती है, जबकि मीठे बोल मरहम लगाने के साथ-साथ व्यक्ति के दिल में सम्मानजनक स्थान दिलाते हैं। पर्यूषण पर्व हर जीव से माफी मांगकर एवं हर जीव को माफी देकर हल्का करा ने के लिए आता है। पर्व से पूर्व हमें हर जीव से माफी मांग लेनी चाहिए। ” उक्त उद्गार आज महान तपस्वी संत वीरभद्र (विराग) मुनि ने व्यक्त किये।
राजनांदगांव के प्रसिद्ध जैन बगीचे में अन्य संतों के साथ चातुर्मास हेतु विराजित जैन संत विनय कुशल मुनि के शिष्य वीरभद्र मुनि ने आज अपने नियमित प्रवचन में पर्यूषण पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि यह पर्व मन, वचन,काया से क्षमा मांगने के लिए आता है। हमारे बोलने या कुछ करने से किसी को, किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ हुई हो तो क्षमा मांग लेनी चाहिए। मीठे बोल व्यक्ति के दिलों में हमारे लिए आदर जनक स्थान बनाते हैं। सवंत्सरी के पहले ही हर जीव से माफी मांग लेनी चाहिए। थोड़ा विचार कीजिए कि मैंने कब,कहाँ, किसे- मन, वचन, काया से दुख पहुंचाया है, उससे तत्काल माफी मांग लें।
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मुनि श्री वीरभद्र( विराग) ज़ी ने कहा कि हमें यह कोशिश करना चाहिए कि हर जीव के मन में हमारे लिए मैत्री का भाव हो और उसमें स्वार्थ का कोई नाम ना हो। उन्होंने कहा कि किस तरह समय निकल जाता है, कुछ पता नहीं चलता। इससे पहले प्राण निकल जाये सभी जीवों से माफी मांग लो ताकि बाद में कोई मलाल ना रह जाए। आप क्षमा मांगने के साथ-साथ क्षमा भी दीजिए और वह भी आदरपूर्वक। इससे भीतर काफ़ी असर पड़ता है।
मुनि श्री ने फरमाया कि जीवन का आनंद है क्षमा मांगना एवं क्षमा देना और इसका उत्सव मनाना। उन्होंने कहा कि जब तक उत्सव भाव का मन में प्रादुर्भाव ना हो, तब तक आनंद का अनुभव नहीं होगा। पर्यूषण पर्व पर तप-आराधना कर आत्मा को निर्मल से निर्मल बनाएं और आत्म कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ जाएं। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।