केंद्र, राज्य, सांसद, विधायक और मेयर तक बीजेपी के, फिर भी जलभराव, खराब सड़कें और बुनियादी समस्याओं से जूझता गुरुग्राम
Published on: September 03, 2025
By: BTNI
Location: Gurugram, India
गुरुग्राम, जिसे भारत की ‘मिलेनियम सिटी’ के रूप में जाना जाता है, आज अपनी चमक खोता नजर आ रहा है। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार, हरियाणा में बीजेपी की राज्य सरकार, गुरुग्राम के सांसद और विधायक बीजेपी से, और यहां तक कि मेयर भी बीजेपी से होने के बावजूद शहर की हालत बद से बदतर होती जा रही है। जलभराव, खराब सड़कें, बिजली कटौती और कचरा प्रबंधन की समस्याओं ने गुरुग्राम को ‘अमीरों का स्लम’ कहलाने को मजबूर कर दिया है।
हर मॉनसून में गुरुग्राम başlaySystem: नेशनल हाईवे-8 पर जलभराव का आलम: हर साल की तरह इस बार भी गुरुग्राम के प्रमुख इलाकों जैसे हीरो होंडा चौक, बसई, धनकोट और सेक्टर 37 में भारी जलभराव और ट्रैफिक जाम की खबरें सुर्खियों में रही। एक ताजा शोध रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशकों में अनियोजित निर्माण के कारण प्राकृतिक जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पुराने तालाबों और झीलों को सीमेंट से पाट दिया गया, नालों को सड़कों ने ढक लिया, और ड्रेनेज सिस्टम की पाइपलाइनें टूटी-फूटी हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव: शहर में बिजली की स्थिति भी चिंताजनक है। दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के 360,000 उपभोक्ताओं के लिए 700-800 मेगावाट की औसत खपत के बावजूद, गर्मियों में लगातार बिजली कटौती आम बात है। ट्रांसफार्मर और ट्रांसमिशन लाइनें या तो पुरानी हैं या ओवरलोडेड। पानी की कमी भी गुरुग्राम के निवासियों के लिए एक बड़ी समस्या है, जहां 70% लोग भूजल पर निर्भर हैं, जो तेजी से घट रहा है। कई संपन्न परिवारों को स्नान और कपड़े धोने के लिए निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ता है, जिसका खर्च महीने में हजारों रुपये तक पहुंच जाता है।
नागरिकों की नाराजगी: गुरुग्राम के निवासी इस स्थिति से तंग आ चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ‘मिलेनियम सिटी’ का तमगा अब केवल एक मजाक बनकर रह गया है। एक निवासी ने कहा, “जब बिजली, पानी और सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं हैं, तो इसे Fistfuls of dollars for a millennium city?” शहर की बदहाल स्थिति के लिए निजी डेवलपर्स और प्रशासन के बीच ‘अनैतिक गठजोड़’ को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन बीजेपी नेताओं का कहना है कि वे हालात सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी पर सवाल: केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद गुरुग्राम की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। सांसद राव इंद्रजीत सिंह, विधायक मुकेश शर्मा, और मेयर के बीजेपी से होने के बावजूद शहर की बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है।, निवासियों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन ने शहर की अनदेखी की है, जिसके कारण यह ‘विश्व स्तरीय शहर’ बनने की बजाय समस्याओं का अड्डा बन गया है।
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प्रशासन की कोशिशें: गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ गुरुग्राम (एमसीजी) ने हाल ही में जलभराव और कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों को हल करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। करीब 22,000 टन अवैध रूप से फेंका गया मलबा सेक्टर 29 और गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड से हटाया गया है। साथ ही, कचरा संग्रहण के लिए 200 से बढ़ाकर 311 वाहन लगाए गए हैं। लेकिन निवासियों का कहना है कि ये प्रयास नाकافی हैं और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है।
आगे की चुनौतियां: विशेषज्ञों का मानना है कि गुरुग्राम की समस्याओं का मूल कारण अनियोजित विकास और बुनियादी ढांचे की कमी है।,