अमरनाथ यात्रा 2025 की भव्य शुरुआत
श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड द्वारा पवित्र गुफा में प्रथम आरती, 'हर हर महादेव' के जयकारों से गूंजा हिमालय
Published on: July 04, 2025
By: BTNI
Location: Shreenagar, India
श्री अमरनाथ जी यात्रा 2025 की शुरुआत पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी की प्रथम आरती के साथ एक भव्य और आध्यात्मिक उत्सव के रूप में हुई। 3 जुलाई को शुरू हुई इस पवित्र यात्रा के पहले दिन, हजारों श्रद्धालुओं ने दक्षिण कश्मीर के हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन किए। प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चार के बीच पहली आरती ने भक्तों को भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया।
श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड द्वारा आयोजित इस आरती का सीधा प्रसारण किया गया, जिसमें ‘हर हर महादेव’ के जयकारों ने हिमालय की वादियों को गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2 जुलाई को जम्मू के भगवती नगर आधार शिविर से 5,892 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर यात्रा की औपचारिक शुरुआत की। यात्रा दो प्रमुख मार्गों—48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग और 14 किलोमीटर के छोटे लेकिन खड़ी चढ़ाई वाले बालटाल मार्ग से शुरू हुई।
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श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। RFID आधारित ट्रैकिंग सिस्टम, 24×7 एकीकृत कमांड सेंटर, और प्रत्येक 2 किलोमीटर पर मेडिकल सुविधाएं इस साल की यात्रा को और सुरक्षित बनाती हैं। बोर्ड ने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रत्येक यात्री को वैध स्वास्थ्य प्रमाणपत्र (CHC) और RFID कार्ड लेना अनिवार्य हो, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो।
पहली आरती के दौरान भक्तों ने बाबा बर्फानी से देश और विश्व की समृद्धि के लिए प्रार्थना की। एक तीर्थयात्री ने कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे आध्यात्मिक अनुभव है। बाबा बर्फानी के दर्शन और आरती ने मेरे मन को शांति दी।” इस यात्रा का समापन 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के दिन होगा, जो 38 दिनों तक चलेगी।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस अवसर पर कहा, “श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्ति और एकता का प्रतीक है। मैं सभी भक्तों से आग्रह करता हूं कि वे इस पवित्र यात्रा में शामिल हों और बाबा बर्फानी से जम्मू-कश्मीर व राष्ट्र की प्रगति के लिए प्रार्थना करें।” यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी विश्व पटल पर प्रदर्शित करती है।