Published on: April 29, 2025
By: Purushottam Tiwari
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई, प्रशासन ने कश्मीर घाटी में सुरक्षा चिंताओं के चलते 87 में से 48 पर्यटक स्थलों को अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया है। यह निर्णय खुफिया सूचनाओं के आधार पर लिया गया है, जिसमें घाटी में और आतंकी हमलों की आशंका जताई गई है। यह कदम पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और आतंकवाद विरोधी अभियानों को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है। इस लेख में हम इस निर्णय के कारणों, प्रभावित क्षेत्रों, और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
पृष्ठभूमि: पहलगाम आतंकी हमला
पहलगाम के बाइसारन मीडो में हुए इस हमले में आतंकियों ने हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया, जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय गाइड मारे गए। हमले की जिम्मेदारी पहले द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने अपनी हवाई सीमा और व्यापार भारत के लिए बंद कर दी, जबकि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की।
इस हमले ने कश्मीर में पर्यटन को गहरा झटका दिया, जो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सामान्य स्थिति के प्रतीक के रूप में उभरा था। 2024 में 26 लाख पर्यटकों ने कश्मीर का दौरा किया था, लेकिन इस हमले के बाद बुकिंग में 80-90% की कमी दर्ज की गई है।
48 पर्यटक स्थलों का बंद होना: विवरण
जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन पर्यटक स्थलों को बंद किया है जो या तो आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल हैं या कमजोर माने गए हैं। इनमें से कई स्थान पिछले दशक में पर्यटकों के लिए खोले गए थे, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में इन्हें जोखिम भरा माना गया। बंद किए गए प्रमुख स्थलों में शामिल हैं:
यूसमर्ग, तुसमैदान, दूधपथरी, अहरबल, कौसरनाग, बंगस वैली, सिन्थान टॉप, वेरिनाग गार्डन
मुंडिज-हमाम-मारकूट वाटरफॉल, खम्पू, बोस्निया, विजिटॉप, हब्बा खातून पॉइंट, बाबारेशी
अन्य स्थल जैसे रामपोरा, राजपोरा, चेहरार, और मार्गन टॉप।
ये स्थान श्रीनगर, बारामूला, बडगाम, अनंतनाग, और कुपवाड़ा जैसे जिलों में फैले हैं। कई मुगल गार्डनों के प्रवेश द्वार भी बंद कर दिए गए हैं। बाकी 39 पर्यटक स्थलों, जैसे गुलमर्ग, सोनमर्ग, और डल झील, को कड़ी सुरक्षा के साथ खुला रखा गया है।
निर्णय के कारण
खुफिया चेतावनियाँ: खुफिया एजेंसियों ने संभावित आतंकी हमलों की चेतावनी दी है। सूत्रों के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद घाटी में स्लीपर सेल सक्रिय हो गए हैं।
सुरक्षा कमियाँ: बाइसारन जैसे कई स्थल, जो पैदल या घोड़े से ही पहुंचे जा सकते हैं, में कोई सुरक्षा कवर नहीं था।
आतंकवाद विरोधी अभियान: सुरक्षा बलों ने घाटी में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है, जिसमें श्रीनगर में 34 संदिग्धों के घरों की तलाशी ली गई और 1000 से अधिक घरों की जांच की जा चुकी है।
पर्यटकों की सुरक्षा: हमले के बाद पर्यटकों में दहशत फैल गई, जिसके चलते प्रशासन ने जोखिम को कम करने के लिए यह कदम उठाया।
प्रभाव
पर्यटन उद्योग पर असर: पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है। हमले के बाद श्रीनगर हवाई अड्डे पर यात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है, और टूर ऑपरेटरों ने 90% बुकिंग रद्द होने की बात कही है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था: होटल, टूर गाइड, और स्थानीय दुकानदारों की आजीविका प्रभावित हुई है। कई पर्यटक जल्दी वापस लौट रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय ठप हो गए हैं।
सामाजिक तनाव: हमले को हिंदुओं के खिलाफ लक्षित माना जा रहा है, जिससे कुछ क्षेत्रों में सामुदायिक तनाव बढ़ा है। कुछ कट्टरपंथी समूहों ने कश्मीर के बहिष्कार की मांग की है।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों ने जम्मू-कश्मीर के लिए यात्रा सलाह जारी की है, जिसे भारत ने वापस लेने की मांग की है।
सरकार और समाज की प्रतिक्रिया
सरकारी कदम: उमर अब्दुल्ला सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह अस्थायी कदम है और सुरक्षा मूल्यांकन के बाद स्थल फिर से खोले जाएंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति से अवगत कराया है।
पर्यटन को बढ़ावा: बॉलीवुड सितारों और टूर ऑपरेटरों ने ‘लव कश्मीर, प्रमोट कश्मीर’ अभियान शुरू किया है। विदेश मंत्रालय ने भी पर्यटन को पुनर्जनन के लिए कदम उठाए हैं।
स्थानीय अपील: स्थानीय लोग और ड्राइवर पर्यटकों से कश्मीर को न छोड़ने की अपील कर रहे हैं, ताकि आतंकियों के मंसूबे कामयाब न हों।
विश्लेषण और भविष्य की संभावनाएँ
यह निर्णय कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक था, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभाव चिंताजनक हैं। पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को पुनर्जनन के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सुरक्षा बलों को आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए प्रभावी रणनीति बनानी होगी, ताकि पर्यटकों का विश्वास बहाल हो। साथ ही, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास जरूरी हैं।
निष्कर्ष
पहलगाम हमले के बाद 48 पर्यटक स्थलों को बंद करना एक कठिन लेकिन आवश्यक कदम है। यह कश्मीर में सुरक्षा और पर्यटन के बीच नाजुक संतुलन को दर्शाता है। सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक नीतियाँ बनानी होंगी। कश्मीर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, को फिर से ‘जन्नत’ के रूप में स्थापित करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा।
सुझाव
पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे यात्रा से पहले सरकारी सलाह और स्थानीय समाचारों पर नजर रखें। कश्मीर की यात्रा के लिए गुलमर्ग और श्रीनगर जैसे सुरक्षित स्थानों को प्राथमिकता दें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।