45,000 रुपये की वार्षिक स्कॉलरशिप को बिटकॉइन में निवेश कर कमाया 1000% मुनाफा, गरीबों के हक पर सवाल
सामाजिक न्याय के नाम पर दुरुपयोग
Published on: August 17, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
सामाजिक न्याय और आरक्षण की व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं, जब एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक युवती ने कथित तौर पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण का दुरुपयोग कर न केवल कॉलेज में दाखिला लिया, बल्कि 45,000 रुपये की वार्षिक स्कॉलरशिप भी हासिल की। इस राशि को उसने बिटकॉइन में निवेश कर 1000% का भारी-भरकम मुनाफा कमाया, जिसने सामाजिक न्याय की मूल भावना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, यह युवती एक आर्थिक रूप से संपन्न परिवार से है, जिसके पास महंगे वाहन, डिजाइनर कपड़े और अन्य ऐशो-आराम की सुविधाएं हैं। इसके बावजूद, उसने एसटी आरक्षण का लाभ उठाकर न केवल शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश लिया, बल्कि सरकार द्वारा गरीब और वंचित वर्गों के लिए दी जाने वाली स्कॉलरशिप का भी उपयोग किया। इस राशि को उसने क्रिप्टोकरेंसी बाजार में निवेश किया, जिससे उसे लाखों रुपये का मुनाफा हुआ।यह मामला तब सामने आया, जब कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र संगठनों ने आरक्षण और स्कॉलरशिप के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज की।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह घटना उन लाखों गरीब और वंचित छात्रों के साथ अन्याय है, जिन्हें वास्तव में इन सुविधाओं की जरूरत है। एक कार्यकर्ता ने कहा, “जब डिजाइनर कपड़े पहनने वाले लोग गरीबों के लिए बनी योजनाओं का लाभ उठाते हैं, तो यह सामाजिक न्याय का मजाक है।”इस घटना ने आरक्षण व्यवस्था की पारदर्शिता और निगरानी की कमी को उजागर किया है।
Also read- https://www.btnewsindia.com/धर्म-पूछकर-मारेंगे-तो-हम-ध/ https://www.btnewsindia.com/यूट्यूबर-एल्विश-यादव-के-ग/
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं तब होती हैं, जब फर्जी दस्तावेजों या गलत जानकारी के आधार पर आरक्षण का लाभ उठाया जाता है। कई लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार को ऐसी योजनाओं की जांच के लिए सख्त तंत्र विकसित करना चाहिए, ताकि वास्तविक जरूरतमंदों तक ही लाभ पहुंचे।हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं हुई है, लेकिन इस खुलासे ने सोशल मीडिया और जनता के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत धोखाधड़ी का मामला मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे व्यवस्था की खामियों का परिणाम बता रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या भारत में आरक्षण और स्कॉलरशिप जैसी योजनाएं वास्तव में अपने उद्देश्य को पूरा कर रही हैं, या उनका दुरुपयोग संपन्न वर्गों द्वारा किया जा रहा है।इस मामले ने सरकार और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है। जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, ताकि सामाजिक न्याय की भावना को सही मायने में लागू किया जा सके।