6 गिरफ्तार, रायपुर सहित 6 राज्यों में छापेमारी
Published on: July 03, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए रिश्वतखोरी के एक बड़े मामले में कड़ा कदम उठाते हुए छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के पदाधिकारियों, निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों और बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इस मामले में सीबीआई ने तीन डॉक्टरों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जो 55 लाख रुपये की रिश्वत के लेन-देन के दौरान रंगे हाथों पकड़े गए।
सीबीआई को सूचना मिली थी कि रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता दिलाने के लिए वैधानिक निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया जा रहा था। इसके तहत निरीक्षण के लिए नियुक्त आकलनकर्ता (असेसर्स) को प्रभावित कर अनुकूल रिपोर्ट तैयार की जा रही थी। इस जानकारी के आधार पर सीबीआई ने जाल बिछाया और बेंगलुरु में रिश्वत के लेन-देन के दौरान छह आरोपियों को धर दबोचा।
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छह राज्यों में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी
सीबीआई ने इस मामले में छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। रायपुर के रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज के प्रशासकीय निदेशक और मेडिकल निदेशक भी गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं। एजेंसी ने बताया कि आरोपियों ने निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए कई रणनीतियों का सहारा लिया, जिससे मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
डॉक्टर्स डे पर उठा भरोसे का सवाल
यह कार्रवाई उस समय हुई है, जब देश में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इस दिन चिकित्सा क्षेत्र में योगदान देने वाले डॉक्टरों को सम्मानित किया जाता है, लेकिन रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोपों ने चिकित्सा पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। हाल के समय में मेडिकल कॉलेजों द्वारा अत्यधिक फीस वसूली और मान्यता प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिसने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।
मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि कई मेडिकल कॉलेजों को अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए रिश्वत का लेन-देन एक सुनियोजित रैकेट का हिस्सा था। इस घोटाले ने भारत में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और भविष्य के स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सीबीआई ने कहा कि यह जांच अभी जारी है और इस रैकेट में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
यह मामला न केवल रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी तक सीमित है, बल्कि देश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी ऐसी अनियमितताओं की जांच की मांग को बल देता है। समाज और सरकार से अपेक्षा है कि इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता बरकरार रहे।
आरोपीगण 5 दिनों के लिए सी बी आई हिरासत में -
जांच ब्यूरो (CBI) ने नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मान्यता दिलाने के लिए रिश्वतखोरी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में तीन डॉक्टरों सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिन्हें आज, 2 जुलाई 2025 को रायपुर की CBI विशेष अदालत में पेश किया गया।
मामले का विवरण
सीबीआई को सूचना मिली थी कि रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया जा रहा था। इसके तहत 55 लाख रुपये की रिश्वत का लेन-देन बेंगलुरु में हुआ, जिसके दौरान सीबीआई ने जाल बिछाकर छह आरोपियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में मेडिकल कॉलेज के प्रशासकीय निदेशक, मेडिकल निदेशक, और तीन डॉक्टर—डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, और डॉ. अशोक शेलके—के अलावा एक बिचौलिया शामिल हैं।
अदालत में पेशी और कार्रवाई
आज रायपुर की विशेष CBI अदालत में सभी छह आरोपियों को पेश किया गया। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की हिरासत अवधि पर विचार किया। सीबीआई ने अदालत से अनुरोध किया कि इस रैकेट में और लोगों की संलिप्तता की जांच के लिए हिरासत की आवश्यकता है। सूत्रों के अनुसार, अदालत ने आरोपियों को 5 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा, ताकि इस मामले की गहन जांच की जा सके। इसके साथ ही, सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और मध्य प्रदेश में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
रिश्वतखोरी का रैकेट और मेडिकल शिक्षा पर सवाल
सीबीआई की जांच में सामने आया कि यह रिश्वतखोरी का एक सुनियोजित रैकेट था, जिसमें निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों को प्रभावित कर अनुकूल रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इस घोटाले ने मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जांच एजेंसी ने बताया कि रावतपुरा मेडिकल कॉलेज पहले भी फर्जी उपस्थिति, निरीक्षण के दौरान अस्थायी कर्मचारी नियुक्ति, और डमी मरीजों जैसे विवादों में घिर चुका है।
अगले कदम
सीबीआई ने संकेत दिया है कि यह जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और इस रैकेट में अन्य लोगों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। विशेष अदालत में अगली सुनवाई में सीबीआई द्वारा और साक्ष्य पेश किए जाने की संभावना है। इस बीच, इस मामले ने चिकित्सा शिक्षा में सुधार और कड़ी निगरानी की मांग को तेज कर दिया है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई ने चिकित्सा क्षेत्र में भरोसे को लेकर बहस छेड़ दी है, खासकर तब जब यह घटना डॉक्टर्स डे के आसपास सामने आई। समाज के विभिन्न वर्गों ने मांग की है कि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
यह मामला न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर के मेडिकल शिक्षा संस्थानों में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है। सीबीआई की इस कार्रवाई से उम्मीद जताई जा रही है कि मेडिकल शिक्षा में जवाबदेही और नैतिकता को बढ़ावा मिलेगा।