मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नदी जोड़ो अभियान को बताया विकास का नया इंजन, बुंदेलखंड, मालवा और चंबल क्षेत्र होंगे लाभान्वित
Published on: July 30, 2025
By: [BTNI]
Location: Bhopali, India
मध्यप्रदेश, जिसे भारत का हृदय स्थल कहा जाता है, अब जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केन-बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना और तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना को राज्य की प्रगति का नया इंजन बताते हुए इनके महत्व को रेखांकित किया है। इन परियोजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश न केवल जल संकट से निपटेगा, बल्कि सिंचाई, पेयजल और आर्थिक समृद्धि के नए द्वार भी खोलेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना: बुंदेलखंड की जीवन रेखाकेन

बेतवा लिंक परियोजना, भारत की पहली प्रमुख नदी जोड़ो परियोजना है, जिसका शिलान्यास 25 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खजुराहो में किया। यह परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट को दूर करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इसके तहत मध्यप्रदेश के 10 जिलों—पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, रायसेन और निवार—तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को लाभ मिलेगा। यह परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी, 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराएगी और 103 मेगावाट बिजली उत्पादन करेगी।
इस परियोजना के तहत दौधन बांध और 221 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण होगा, जिससे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में हरियाली लौटेगी। मुख्यमंत्री ने इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण का साकार रूप बताते हुए कहा कि यह परियोजना क्षेत्र की समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खोलेगी।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना: मालवा और चंबल की नई पहचान

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए एक और महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका समझौता दिसंबर 2024 में दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के बीच हुआ। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 13 जिलों—गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सिहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़—तथा राजस्थान के 21 जिलों में पेयजल और सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह परियोजना 6.13 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई प्रदान करेगी और 3.25 करोड़ लोगों को पेयजल उपलब्ध कराएगी।
इस परियोजना के तहत 21 बांधों और बैराजों का निर्माण होगा, जो चंबल बेसिन में अतिरिक्त मानसूनी जल को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करेगा। मुख्यमंत्री ने इसे मालवा और चंबल क्षेत्र की नई पहचान बताते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल खेती को बढ़ावा देगी, बल्कि दोनों राज्यों के बीच सहयोग को भी मजबूत करेगी।
तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना: विश्व की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण योजना

तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच मई 2025 में हुए समझौते का परिणाम है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण योजना माना जा रहा है। यह परियोजना तापी नदी के जल को मध्यप्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों तथा महाराष्ट्र के जलगांव, अकोला, बुलढाना, अमरावती और नागपुर क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग करेगी। इस परियोजना से मध्यप्रदेश में 1.23 लाख हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 2.34 लाख हेक्टेयर भूमि को स्थायी सिंचाई सुविधा मिलेगी।
इस परियोजना की खासियत यह है कि यह 3,362 हेक्टेयर भूमि का उपयोग करेगी, बिना किसी गांव को विस्थापित किए। केंद्र सरकार द्वारा 90% वित्तीय सहायता के साथ इसे राष्ट्रीय जल परियोजना का दर्जा देने की तैयारी है। मुख्यमंत्री ने इसे जल संकट से निपटने और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इन परियोजनाओं को मध्यप्रदेश के विकास का नया आधार बताते हुए कहा कि यह नदी जोड़ो अभियान राज्य को जलसमृद्ध बनाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्यप्रदेश, जहां ग्लेशियर नहीं हैं, वहां घने जंगल जल स्रोतों को बनाए रखते हैं। इन परियोजनाओं से न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि पर्यटन, रोजगार और आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा।
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भविष्य की राह
ये तीनों परियोजनाएं मध्यप्रदेश को जल संरक्षण और प्रबंधन में अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। केन-बेतवा परियोजना बुंदेलखंड को, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना मालवा और चंबल को, और तापी बेसिन परियोजना दक्षिण-पूर्वी मध्यप्रदेश को नई समृद्धि प्रदान करेगी।
इन परियोजनाओं से न केवल जल संकट का समाधान होगा, बल्कि लाखों किसानों और नागरिकों के जीवन में खुशहाली आएगी।निष्कर्ष: मध्यप्रदेश की ये जल परियोजनाएं न केवल राज्य की प्रगति को नई गति देंगी, बल्कि भारत के नदी जोड़ो अभियान में एक मील का पत्थर साबित होंगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश जल, जीवन और समृद्धि का नया प्रतीक बनने की ओर अग्रसर है।