NQAS, क्षय उन्मूलन और मलेरिया मुक्त अभियान ने बदली बस्तर की स्वास्थ्य तस्वीर
Published on: July 05, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं ने नया मुकाम हासिल किया है। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS), राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान और मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान जैसे पहलों ने इस नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त और सुलभ बनाया है। कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे जिलों में अब आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं, जो सुशासन सरकार की प्रतिबद्धता का जीता-जागता उदाहरण है।
1 जनवरी 2024 से 16 जून 2025 तक बस्तर संभाग के 130 स्वास्थ्य संस्थानों को NQAS के तहत गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त हुआ है, जिसमें 1 जिला अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 113 उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों—कांकेर (8), बीजापुर (2), सुकमा (3) और दंतेवाड़ा (1)—में 14 संस्थानों ने यह मानक हासिल किया है। इसके साथ ही 65 अन्य स्वास्थ्य केंद्रों का सर्टिफिकेशन प्रक्रियाधीन है, जो क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को और सुदृढ़ करेगा।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा, “बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और गुणवत्ता हमारी सरकार की प्राथमिकता है।
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स्वास्थ्य विभाग, मितानिनों और कर्मचारियों के अथक प्रयासों से यह संभव हुआ है।” मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सफलता को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि यह मॉडल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा बटोर रहा है। भारत सरकार ने इसे “बेस्ट प्रैक्टिस” के रूप में मान्यता दी है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे अन्य आदिवासी क्षेत्रों के लिए अनुकरणीय बताया है।स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मलेरिया नियंत्रण के लिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग, रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट, मच्छरदानी वितरण और लार्वा नियंत्रण जैसे कदमों से मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।
इसके अलावा, बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 382 स्टाफ और प्रबंधकीय पदों पर भर्ती की गई है, और 291 अन्य पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है।मुख्यमंत्री श्री साय के सुशासन ने बस्तर को स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नया प्रतीक बनाया है। यह क्षेत्र, जो कभी नक्सलवाद और मलेरिया जैसी चुनौतियों से जूझता था, अब स्वास्थ्य और विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है।