थरूर की सेना और सरकार की प्रशंसा ने कांग्रेस के भीतर विचारधारात्मक मतभेद को उजागर किया, सवाल उठा—क्या यह व्यक्तिगत राय है या पार्टी से विचलन?
Published on: May 15, 2025
By: BTI
Location: New Delhi
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई, ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर की सरकार और भारतीय सेना की प्रशंसा ने पार्टी के भीतर और बाहर तीखी बहस छेड़ दी है। थरूर की टिप्पणियों को कुछ कांग्रेस नेताओं ने ‘पार्टी लाइन’ से हटकर बताया, जबकि कई लोग इसे राष्ट्रीय एकता के समय में एक भारतीय के रूप में स्वाभाविक प्रतिक्रिया मान रहे हैं। इस मुद्दे पर देशभर में गर्मागरम चर्चा जारी है।

पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक मारे गए थे। हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, जिसे पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस ऑपरेशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली, जिसमें फ्रांस, रूस और इजरायल ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया।
शशि थरूर की प्रशंसा और विवाद
शशि थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सटीकता और सरकार की रणनीति की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे “सावधानीपूर्वक, सुनियोजित और सटीक” हमला बताया, जो आतंकवादियों को सजा देने के साथ-साथ युद्ध की स्थिति को टालने में सक्षम रहा। थरूर ने कहा, “मैं सरकार की सराहना करता हूं और हमारी सेना के साथ मजबूती से खड़ा हूं। हमने अपना पक्ष रखा और आत्मरक्षा में कार्रवाई की।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने ऐसी कार्रवाई की जो संघर्ष को और विस्तार देने का औचित्य नहीं देती, और अब सभी पक्षों को समझदारी से काम लेना चाहिए ताकि तनाव न बढ़े।
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हालांकि, थरूर की यह प्रशंसा कांग्रेस के कुछ नेताओं को रास नहीं आई। पार्टी के नेता उदित राज ने थरूर पर तीखा हमला बोला और सवाल उठाया कि क्या वह “कांग्रेस में हैं या बीजेपी के लिए बोल रहे हैं?” राज ने कहा, “शशि थरूर को बीजेपी से पूछना चाहिए कि वह PoK कब लेगी? क्या वह बीजेपी के वकील बन गए हैं?” राज ने थरूर के उस बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले को खुफिया विफलता बताया और कहा कि इस समय सरकार की आलोचना के बजाय राष्ट्रीय एकता पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं, जैसे विजय वडेट्टीवार, मणिशंकर अय्यर, तारिक हमीद कर्रा और सैफुद्दीन सोज के बयानों को भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर खारिज किया, यह कहते हुए कि केवल कांग्रेस कार्य समिति (CWC), अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के बयान ही पार्टी का आधिकारिक रुख दर्शाते हैं।
‘लक्ष्मण रेखा’ का सवाल
थरूर की टिप्पणियों को लेकर पार्टी के भीतर यह धारणा बन रही है कि उन्होंने ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ दी है। तिरुवनंतपुरम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में थरूर ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा, “इस समय, जब देश संकट में है, मैंने एक भारतीय के रूप में बात की। मैंने कभी किसी और के लिए बोलने का दिखावा नहीं किया।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके बयान व्यक्तिगत थे, लेकिन देश की भावना के अनुरूप थे।
पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने भी ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और कहा, “यह राष्ट्रीय एकता का समय है। हमारी सेना और सरकार के प्रयासों की मैं सराहना करता हूं।” हालांकि, पार्टी के आधिकारिक रुख में सरकार की खुफिया विफलता पर सवाल उठाए गए हैं। राहुल गांधी ने कहा, “पहलगाम हमले के जिम्मेदारों को कीमत चुकानी होगी। पीएम मोदी को मजबूती से कार्रवाई करनी चाहिए।”
देश में बहस और जनता की राय
थरूर की टिप्पणियों ने सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग थरूर की प्रशंसा को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे कांग्रेस की आंतरिक असहमति का संकेत बता रहे हैं। X पर एक यूजर ने लिखा, “थरूर लगातार अपनी पार्टी को आईना दिखा रहे हैं। उनका कहना सही है कि आतंकवादियों को कीमत चुकानी होगी।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “थरूर का बयान कांग्रेस की कमजोरी को उजागर करता है। क्या पार्टी राष्ट्रीय हितों पर एकजुट नहीं हो सकती?”
आगे की राह
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव चरम पर है। भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित कर दिया है, जिसे पाकिस्तान ने “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया है। इस बीच, थरूर ने शांति की वकालत करते हुए कहा, “आतंकवादियों को सबक सिखाया गया है, अब दोषियों की पहचान और सजा पर ध्यान देना चाहिए। तनाव बेवजह नहीं बढ़ना चाहिए।”
कांग्रेस के भीतर यह विवाद पार्टी की रणनीति और एकता पर सवाल उठा रहा है। क्या थरूर का बयान राष्ट्रीय हित में एक साहसिक कदम है या पार्टी लाइन से भटकाव? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में पार्टी के आधिकारिक रुख और नेतृत्व के बयानों से स्पष्ट हो सकता है। फिलहाल, देश की निगाहें इस बहस पर टिकी हैं कि क्या कांग्रेस इस संकट के समय में एकजुट होकर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगी।