दिग्गज एंकर शीला चमन की पुस्तक ने जीवंत की पुरानी यादें, साहित्यिक आयोजन में सितारों से रूबरू हुए साक्षी
Published on: September 16, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
भारतीय टेलीविजन के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय को समर्पित 66वें स्थापना दिवस पर दूरदर्शन ने एक यादगार आयोजन किया। 15 सितंबर 1959 को स्थापित इस संस्थान ने न केवल घर-घर तक सूचना पहुंचाई, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी बनाया। इस विशेष अवसर पर दिल्ली स्टडी ग्रुप के सहयोग से ओम बुक्स इंटरनेशनल ने दिग्गज पत्रकार और न्यूज एंकर शीला चमन की बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘दूरदर्शन डायरीज़: द गोल्डन एरा ऑफ टेलीविजन’ का लोकार्पण किया। यह आयोजन न केवल साहित्यिक उत्सव था, अपितु उन चेहरों से मुलाकात का माध्यम बना, जिन्होंने छोटे पर्दे को विश्वास और भरोसे का पुल बनाया।
शीला चमन, जो दूरदर्शन की एक चमकती सितारा रही हैं, ने तीन दशकों से अधिक समय तक पत्रकारिता, एंकरिंग, स्तंभ लेखन और वृत्तचित्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी। सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् के रूप में भी सम्मानित चमन ने इस पुस्तक में दूरदर्शन के सुनहरे दौर की अनकही कहानियां बयां की हैं। किताब भारतीय टेलीविजन के विकास को एक दुर्लभ आंतरिक दृष्टिकोण से उकेरती है, जहां काले-सफेद प्रसारण से रंगीन क्रांति तक का सफर जीवंत हो उठता है। लोकार्पण समारोह में उपस्थित अतिथियों ने इसे ‘एक जीवंत अभिलेखागार’ करार दिया, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
आयोजन का एक खास आकर्षण उन दिग्गजों से मुलाकात था, जिन्होंने दूरदर्शन को गौरव प्रदान किया। रामानंद सागर की ‘रामायण’, बी.आर. चोपड़ा की ‘महाभारत’ और संजय खान की ‘द स्वॉर्ड ऑफ टिपू सुल्तान’ जैसे महाकाव्यों के निर्माताओं की यादें ताजा हुईं। ‘चित्रहार’, ‘सुरभि’ और ‘हम लोग’ जैसे कार्यक्रमों ने करोड़ों दर्शकों को बांधे रखा, सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाई और ग्रामीण-शहरी विभेद को पाटा। समारोह में संगीत, नृत्य, नाटक और कथा-पाठ के माध्यम से ‘शब्दांजलि – ए कल्चरल ईवनिंग फ्रॉम ट्रेडिशन टू मॉडर्निटी’ का मंचन हुआ, जो परंपरा से आधुनिकता तक की यात्रा को दर्शाता था।
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इस अवसर पर प्रसार भारती के अधिकारियों ने दूरदर्शन की भूमिका पर प्रकाश डाला। पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की यादें ताजा करते हुए कहा गया कि दूरदर्शन ने महामारी काल में शिक्षा प्रसारण से छात्रों की मदद की, जबकि आज डिजिटल युग में मोबाइल ऐप के जरिए युवाओं तक पहुंच बनाई। आयोजन में सुझाव आया कि दूरदर्शन को वैश्विक न्यूज चैनल स्थापित कर भारत की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति मजबूत करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रायपुर केंद्र पर अलग आयोजन में कहा, “दूरदर्शन ने समाज को वैचारिक रूप से समृद्ध करने और संस्कारों को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”
आज 35 उपग्रह चैनलों, 66 स्टूडियो सेंटरों और फ्रीडिश सेवा के साथ दूरदर्शन 92 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र तक पहुंच चुका है। यह आयोजन पुरानी मुस्कुराहटों, अनकही कहानियों और मीडिया के स्वर्णिम युग की तस्वीरें साझा करने का माध्यम बना। शीला चमन की पुस्तक न केवल इतिहास को संजोए रखेगी, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। दूरदर्शन का यह 66वां जन्मदिन एक वादा है – नवाचार, समावेशिता और राष्ट्र निर्माण की निरंतर यात्रा का।