सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विधान परिषद में भटक्या कुत्तों पर बहस के दौरान बयान ने मचाया विवाद, सरकार की नीतियों पर उठे सवाल
Published on: August 13, 2025
By: [BTI]
Location: Banaglore, India
कर्नाटक विधान परिषद सदस्य (MLC) और जनता दल (सेकुलर) के नेता एसएल भोजेगौड़ा ने एक सनसनीखेज बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि चिक्कमंगलूर सिटी म्यूनिसिपल काउंसिल के चेयरपर्सन के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2,500 आवारा कुत्तों को मरवा कर पेड़ों के नीचे दफनाया, ताकि वे प्राकृतिक खाद के रूप में काम करें। यह बयान दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह में पकड़कर शेल्टर में रखने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद आया है। भोजेगौड़ा की टिप्पणी ने न केवल पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं के बीच गुस्सा भड़काया है, बल्कि सरकार की आवारा कुत्तों से निपटने की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।
विवादास्पद बयान और उसका संदर्भ
कर्नाटक विधान परिषद में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर चर्चा के दौरान भोजेगौड़ा ने यह बयान दिया। उन्होंने कहा, “चिक्कमंगलूर में मेरे कार्यकाल के दौरान, हमने 2,500 कुत्तों को मारा और उन्हें नारियल के बगीचों और कॉफी के खेतों में दफनाया।” यह दावा उन्होंने कर्नाटक में बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों के संदर्भ में किया, जहां इस साल अब तक 2.4 लाख कुत्तों के काटने की घटनाएं और 19 रेबीज से संबंधित मौतें दर्ज की गई हैं। भोजेगौड़ा ने यह भी सुझाव दिया कि जो लोग आवारा कुत्तों को हटाने का विरोध करते हैं, उनके घरों में 10 कुत्ते छोड़ दिए जाएं, ताकि वे इस समस्या की गंभीरता को समझ सकें।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और कर्नाटक की स्थिति
यह विवाद तब और गहरा गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त 2025 को दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर पकड़कर शेल्टर में रखने का आदेश दिया। इस फैसले ने देशभर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर बहस को तेज कर दिया है। कर्नाटक में भी यह मुद्दा गंभीर है, जहां बेंगलुरु और अन्य क्षेत्रों में कुत्तों के हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में, बेंगलुरु में 68 वर्षीय सीतप्पा और 76 वर्षीय रजदुलारी सिन्हा की आवारा कुत्तों के हमले में मृत्यु ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है। कर्नाटक लोकायुक्त ने भी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए फटकार लगाई है।
सरकारी नीतियों पर सवाल
भोजेगौड़ा के बयान ने कर्नाटक सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। नगरविकास और हज मंत्री रहीम खान ने विधान परिषद में बताया कि मौजूदा नियमों के तहत आवारा कुत्तों को मारने की अनुमति नहीं है; केवल उनकी नसबंदी और टीकाकरण की अनुमति है। फिर भी, भोजेगौड़ा ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में ऐसा करना संभव था, क्योंकि तब ऐसी कोई कानूनी पाबंदी नहीं थी। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि अतीत में स्थानीय प्रशासन ने गैरकानूनी तरीकों का सहारा लिया हो सकता है। पशु कल्याण संगठनों ने इस बयान की निंदा करते हुए इसे क्रूर और गैरकानूनी बताया है।
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सार्वजनिक और पशु कार्यकर्ताओं का रोष
भोजेगौड़ा के बयान ने पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी पैदा की है। पशु कल्याण संगठन ‘एक्शन फॉर एनिमल जस्टिस’ की सदस्य सुजाता प्रसन्ना ने इसे “अमानवीय और शर्मनाक” करार दिया। उन्होंने कहा, “आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान उनकी हत्या नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और मानवीय तरीके जैसे नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल हैं।” कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की और कहा, “आवारा कुत्तों को हटाने की नीति शासन नहीं, क्रूरता है। हमें मानवीय समाधान खोजने चाहिए।”
कानूनी और नैतिक बहस
भारत में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2001 के तहत आवारा कुत्तों को मारना गैरकानूनी है। भोजेगौड़ा का दावा कि उन्होंने 2,500 कुत्तों को मरवा दिया, न केवल कानूनी उल्लंघन को दर्शाता है, बल्कि नैतिकता पर भी सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बयान सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति की गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाते हैं और इससे समाज में गलत संदेश जाता है। रक्षा विश्लेषक प्रोफेसर अनुराधा चेनॉय ने कहा, “सार्वजनिक पदाधिकारियों को अपनी बातों में संयम बरतना चाहिए, खासकर जब यह पशु कल्याण और सामाजिक संवेदनशीलता से जुड़ा हो।”
आगे की राह
भोजेगौड़ा के बयान ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक और मानवीय समाधान की जरूरत को रेखांकित किया है। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए: नसबंदी और टीकाकरण अभियान: आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए व्यापक नसबंदी और रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जाएं।
शेल्टर और पुनर्वास: दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर कर्नाटक में भी पर्याप्त पशु शेल्टर स्थापित किए जाएं।
जागरूकता अभियान: कुत्तों के काटने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा उपचार और रेबीज वैक्सीन की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जाए।
कानूनी कार्रवाई: गैरकानूनी रूप से पशुओं की हत्या करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
एसएल भोजेगौड़ा का बयान न केवल उनके लिए मुश्किलें खड़ा कर रहा है, बल्कि यह आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने में सरकार की कमियों को भी उजागर करता है। यह समय है कि कर्नाटक सरकार और स्थानीय प्रशासन मानवीय और वैज्ञानिक तरीकों से इस समस्या का समाधान करें, ताकि न तो नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़े और न ही पशुओं के साथ क्रूरता हो। भोजेगौड़ा का बयान एक चेतावनी है कि ऐसी संवेदनशील समस्याओं पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां समाज में तनाव को और बढ़ा सकती हैं।