सैकड़ों परिवार बेघर, माहौल तनावपूर्ण
Published on: June 03, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जंगपुरा इलाके में स्थित मद्रासी कैंप में रविवार, 1 जून 2025 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर एक बड़े पैमाने पर बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया। इस अभियान में बारापुला नाले के पास बसी लगभग 300 से अधिक झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। कार्रवाई के दौरान इलाके में भारी पुलिस बल, दंगा नियंत्रण वाहन (Riot Control Vehicles), और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) तैनात रही ताकि विरोध को नियंत्रित किया जा सके।

ग्राउंड रिपोर्ट: आंसुओं और मलबे के बीच बस्ती का अंत
मौके की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, सुबह करीब 7 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई ने मद्रासी कैंप में हड़कंप मचा दिया। 60 साल से अधिक समय से इस बस्ती में रह रहे मजदूर वर्ग के 370 से ज्यादा परिवारों के लिए यह दिन तबाही लेकर आया। महिलाएं और बच्चे अपने घरों के मलबे के बीच रोते-बिलखते नजर आए, जबकि कुछ निवासियों ने झुग्गियां न तोड़ने की गुहार लगाई। एक निवासी, 65 वर्षीय जानकी ने बताया, “हमने यहां 50 साल गुजारे, अब मलबे में बची बाल्टियों और बर्तनों के साथ कहां जाएं?”
पुनर्वास का मुद्दा: केवल 189 परिवारों को मिला आवास
दिल्ली हाई कोर्ट ने बारापुला नाले को अतिक्रमण से मुक्त करने और मानसून से पहले जलभराव रोकने के लिए यह कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। 370 झुग्गियों में से केवल 189 परिवारों को दिल्ली स्लम एंड झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास नीति 2015 के तहत नरेला में फ्लैट आवंटित किए गए, जो बस्ती से करीब 40 किलोमीटर दूर है। शेष 111 परिवारों को पुनर्वास का कोई विकल्प नहीं मिला, जिसके चलते उनमें आक्रोश और निराशा है। एक निवासी मुरुगन ने कहा, “हम यहीं मर जाएंगे, लेकिन अपनी झुग्गियां नहीं छोड़ेंगे।”
राजनीतिक विवाद: AAP ने लगाए आरोप
इस कार्रवाई ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने एक दिन पहले ही दावा किया था कि उनकी सरकार कोई झुग्गी नहीं तोड़ेगी। भारद्वाज ने ट्वीट कर कहा, “मुख्यमंत्री ने गरीबों के कल्याण का वादा किया था, लेकिन आज हजारों लोगों की छत छीन ली गई।” उन्होंने कार्रवाई का वीडियो साझा करते हुए इसे ‘अन्याय’ करार दिया।
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प्रशासन का पक्ष: नोटिस जारी किया गया था
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए जरूरी थी और इसके लिए पहले ही नोटिस जारी किए गए थे। 12 अप्रैल को बस्ती की दीवारों पर पात्र परिवारों की सूची चस्पा की गई थी, और 30 मई को निवासियों को सामान ले जाने के लिए ट्रक उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। हालांकि, कई निवासियों का आरोप है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया।