अभिषेक अग्रवाल ने असहज इतिहास को उजागर करने की कीमत चुकाई, कहा- “सच की कीमत चुकाने को तैयार हूँ”
Published on: September 01, 2025
By: BTNI
Location: Hyderabad, India
तेलंगाना के फिल्म निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने साहस और सत्य के प्रति अपनी अटल प्रतिबद्धता से एक बार फिर सुर्खियाँ बटोरी हैं। ‘द कश्मीर फाइल्स’ (2021) और अब ‘द बंगाल फाइल्स’ (2025) को पूरी तरह से वित्तपोषित करने वाले अग्रवाल ने खुलासा किया कि इन विवादास्पद फिल्मों के समर्थन के कारण उनके कारोबार को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, “द कश्मीर फाइल्स को समर्थन देने से मेरा 60% कारोबार खत्म हो गया, और शायद और नुकसान होगा। लेकिन सत्य की एक कीमत होती है, और मैं इसे चुकाने को तैयार हूँ। मैं ऐसी फिल्में बनाना बंद नहीं करूँगा जो असहज इतिहास का सामना करती हैं।”
अभिषेक अग्रवाल, जिनकी प्रोडक्शन कंपनी अभिषेक अग्रवाल आर्ट्स ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ का निर्माण किया, ने इन फिल्मों के माध्यम से भारत के इतिहास के उन अध्यायों को उजागर किया, जिन्हें अक्सर दबा दिया गया। ‘द कश्मीर फाइल्स’, जो 1990 के कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित थी, ने 15 करोड़ रुपये के बजट के साथ 350 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की, लेकिन इसकी आलोचना भी हुई क्योंकि कुछ लोगों ने इसे सांप्रदायिक उन्माद भड़काने वाला माना। इसी तरह, ‘द बंगाल फाइल्स’, जो 1946 के ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स और नोआखाली दंगों पर केंद्रित है, 5 सितंबर 2025 को रिलीज के लिए तैयार है और पहले ही विवादों में घिर चुकी है।
अग्रवाल ने एक हालिया साक्षात्कार में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “जब आप सत्य को सामने लाते हैं, तो विरोध स्वाभाविक है। मेरे व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ—60% से अधिक कारोबार प्रभावित हुआ। लेकिन यह मेरे लिए केवल पैसे का सवाल नहीं है। यह उन लोगों की कहानियों को सामने लाने का सवाल है जिनकी आवाज़ दबा दी गई।” उन्होंने यह भी कहा कि वह ‘द बंगाल फाइल्स’ के साथ उसी दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिसके साथ उन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ का समर्थन किया था।
‘द बंगाल फाइल्स’, विवेक अग्निहोत्री की ‘फाइल्स ट्रायोलॉजी’ की अंतिम कड़ी है, जिसमें ‘द ताशकंद फाइल्स’ (2019) और ‘द कश्मीर फाइल्स’ (2022) शामिल हैं। यह फिल्म 1946 के सांप्रदायिक दंगों को दर्शाती है, जिसे अग्निहोत्री ने “हिंदू नरसंहार” के रूप में चित्रित किया है। फिल्म का ट्रेलर कोलकाता में 16 अगस्त 2025 को लॉन्च होने वाला था, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के कथित हस्तक्षेप के कारण इसे रद्द करना पड़ा। इस घटना ने अग्रवाल और उनकी टीम को और दृढ़ किया कि वे सही दिशा में हैं। अग्रवाल ने कहा, “जब आपकी आवाज़ को दबाने की कोशिश होती है, तो यह साबित करता है कि आप सही मुद्दे उठा रहे हैं।”
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अग्रवाल का यह साहस तब और उल्लेखनीय हो जाता है जब हम उनके कारोबारी नुकसान के पैमाने को देखते हैं। तेलंगाना में उनके मनोरंजन और अन्य व्यवसायों को निशाना बनाया गया, जिसके कारण उनकी आय का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी पत्नी और सह-निर्माता पल्लवी जोशी ने भी इस जुनून का समर्थन किया है। जोशी ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल फिल्में बनाना नहीं है, बल्कि उन कहानियों को सामने लाना है जो इतिहास के पन्नों में दब गई हैं।”
‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक विवाद चरम पर है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही इस फिल्म को “विकृत कहानी” बताकर इसकी आलोचना की थी, और बीजेपी ने इसे समर्थन देकर इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है। अग्रवाल ने इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं राजनीति में नहीं हूँ। मेरा मकसद केवल सत्य को सामने लाना है। अगर यह किसी को असहज करता है, तो यह उनकी समस्या है।”
फिल्म उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अग्रवाल का यह कदम न केवल साहसी है, बल्कि यह फिल्म निर्माण के पारंपरिक ढांचे को भी चुनौती देता है। एक विश्लेषक ने कहा, “अभिषेक अग्रवाल ने दिखाया कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का एक माध्यम भी हो सकता है। लेकिन इसकी कीमत भारी है।” ‘द बंगाल फाइल्स’ की रिलीज से पहले ही इसकी चर्चा जोरों पर है, और यह देखना बाकी है कि क्या यह ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तरह बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाएगी।
अभिषेक अग्रवाल का साहस और सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारतीय सिनेमा में एक नया अध्याय लिख रही है। भारी कारोबारी नुकसान के बावजूद, ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ के जरिए उन्होंने उन कहानियों को सामने लाने का बीड़ा उठाया है जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं। जैसे-जैसे ‘द बंगाल फाइल्स’ की रिलीज नजदीक आ रही है, अग्रवाल का यह जुनून दर्शकों को इतिहास के पन्नों पर गहरी नजर डालने के लिए प्रेरित कर रहा है।