अल-कायदा की आतंकी शमा परवीन बेंगलुरु में गिरफ्तार
Published on: August 13, 2025
By: BTNI
Location: Ahemdabad/ Bangalore , India
गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने एक सनसनीखेज खुलासे के साथ अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) के एक खतरनाक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस ऑपरेशन के तहत 30 वर्षीय शमा परवीन अंसारी को बेंगलुरु के हेब्बल इलाके से 29 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया। शमा परवीन पर आरोप है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से भारत में धार्मिक आधार पर हिंसा फैलाने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर प्रेरित करने और देश की एकता व संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रही थी।
शमा परवीन का खतरनाक मंसूबा
गुजरात ATS के अनुसार, शमा परवीन ने सोशल मीडिया पर दो फेसबुक पेज और एक इंस्टाग्राम हैंडल संचालित किए, जिनके 10,000 से अधिक फॉलोअर्स थे। इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग वह भारत विरोधी प्रचार, कट्टरपंथी सामग्री और जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए कर रही थी। उसने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से “गजवा-ए-हिंद” के तहत भारत में इस्लामी शासन लागू करने की खुली अपील की थी। यह अपील खास तौर पर 9 जुलाई 2025 को शुरू हुए भारत के सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान की गई, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था।

ATS की जांच में सामने आया कि शमा ने लाहौर की लाल मस्जिद के इमाम अब्दुल अजीज के भड़काऊ बयानों को साझा किया, जिनमें भारत में सशस्त्र क्रांति और जिहाद के जरिए सरकार को उखाड़ फेंकने की बात कही गई थी। इसके अलावा, उसने AQIS के नेताओं के वीडियो शेयर किए, जो हिंदू समुदाय और भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाने की बात करते थे। शमा का मकसद युवाओं को कट्टरपंथ की ओर प्रेरित कर AQIS के लिए स्लीपर सेल तैयार करना था।
ऑपरेशन सिंदूर और शमा की प्रतिक्रिया
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे भारतीय सेना ने 6 मई 2025 की रात शुरू किया, पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने में सफल रहा। इस कार्रवाई ने अल-कायदा और अन्य आतंकी संगठनों को बौखला दिया। शमा परवीन ने इस ऑपरेशन के दो दिन बाद, 9 जुलाई को एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, “आपके पास इस्लाम के प्रचार के लिए सुनहरा मौका है। खिलाफत योजना अपनाएं, मुस्लिम भूमि को एकीकृत करें और हिंदुत्व को खत्म करने के लिए कदम उठाएं।” यह पोस्ट भारत की संप्रभुता के खिलाफ सीधा हमला थी और इसे ATS ने गंभीरता से लिया।
शमा परवीन का बैकग्राउंड
30 वर्षीय शमा परवीन मूल रूप से झारखंड की रहने वाली है और बेंगलुरु के हेब्बल इलाके में अपने भाई के साथ रहती थी, जो एक निजी कंपनी में काम करता है। उसने स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और सामान्य नागरिक की तरह जीवन जी रही थी, जिसके कारण उसकी गतिविधियां लंबे समय तक नजरों से बची रहीं। ATS के अनुसार, शमा फोन और ईमेल के जरिए पाकिस्तानी संस्थाओं और व्यक्तियों के संपर्क में थी। वह एक गुप्त ग्रुप “अल-उम्माह” भी चला रही थी, जहां मुस्लिम महिलाओं को कट्टरपंथी प्रशिक्षण दिया जाता था।
ATS की कार्रवाई और अन्य गिरफ्तारियां
शमा परवीन की गिरफ्तारी गुजरात ATS के एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा थी, जिसमें अल-कायदा के ऑनलाइन टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया। इससे पहले 23 जुलाई को दिल्ली, नोएडा, अहमदाबाद और गुजरात के मोडासा से चार अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था, जो सोशल मीडिया पर जिहादी प्रचार सामग्री साझा कर रहे थे। इन सभी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ATS ने कई मोबाइल डिवाइस जब्त किए हैं और उनकी जांच जारी है ताकि इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों और पाकिस्तान से जुड़े संपर्कों का पता लगाया जा सके।
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भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती
शमा परवीन की गिरफ्तारी ने भारत में स्लीपर सेल्स और ऑनलाइन कट्टरपंथ के खतरे को एक बार फिर उजागर किया है। ATS का कहना है कि शमा की गतिविधियां देश की कानून-व्यवस्था और एकता के लिए गंभीर खतरा बन चुकी थीं। उसका सोशल मीडिया नेटवर्क न केवल भारत में, बल्कि विभिन्न राज्यों में फैला हुआ था, और वह पाकिस्तान से सीधे निर्देश प्राप्त कर रही थी। यह मामला केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय की सफलता को भी दर्शाता है।
आगे की जांच
फिलहाल, शमा परवीन ATS की हिरासत में है, और उससे पूछताछ जारी है। जांच एजेंसियां उसके नेटवर्क, पाकिस्तानी संपर्कों और संभावित स्लीपर सेल्स की जानकारी जुटाने में लगी हैं। ATS ने यह भी बताया कि शमा के कुछ मोबाइल डिवाइस अभी बरामद होने बाकी हैं, जिनमें महत्वपूर्ण सबूत हो सकते हैं।
विशेष उल्लेखनीय कि शमा परवीन की गिरफ्तारी भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी सफलता है, लेकिन यह ऑनलाइन कट्टरपंथ और आतंकी संगठनों के बढ़ते प्रभाव की गंभीरता को भी दर्शाता है। “कांग्रेसी साजिश” जैसे दावों को बिना सबूत के स्वीकार करना ठीक नहीं है, और जांच एजेंसियों को इस मामले में तथ्यों के आधार पर आगे बढ़ने की जरूरत है। भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस तरह के खतरों से निपटने के लिए लगातार काम कर रही हैं ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे।