IBC24 के स्टिंग ऑपरेशन से भूपेश सरकार के कार्यकाल में आदिवासी हॉस्टलों और आश्रमों में हुए घोटाले का पर्दाफाश, कांग्रेस विधायकों पर भी आरोप
Published on: July 20, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों ने राज्य को भ्रष्टाचार के केंद्र के रूप में सुर्खियों में ला दिया है। हाल ही में आईबीसी 24 न्यूज़ चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ‘रावण’ ने भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल (2020-2023) में हुए ₹1500 करोड़ के महाघोटाले का खुलासा किया है। इस घोटाले में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी क्षेत्रों में बने हॉस्टल और आश्रमों के लिए कागजों पर ही करोड़ों रुपये की खरीदी दिखाकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया। चैनल के अनुसार, इस घोटाले में कांग्रेस के कई विधायकों पर कमीशनखोरी और लूट के गंभीर आरोप हैं, जिसने राज्य की सियासत में हड़कंप मचा दिया है।
यह केवल शुरुआत है। छत्तीसगढ़ में हाल के वर्षों में कई अन्य बड़े घोटाले भी उजागर हुए हैं, जो भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घोटाले निम्नलिखित हैं:
शराब घोटाला (₹3200 करोड़): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2019 से 2022 के बीच हुए इस घोटाले में ₹3200 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा किया। इसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, राजनेताओं और आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब बिक्री और कमीशनखोरी का खेल चला। ईडी ने इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ₹72 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगाया, और ₹205 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई।
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कोल लेवी घोटाला (₹540 करोड़): ईडी की जांच में पता चला कि कोयला परिवहन पर ₹25 प्रति टन की अवैध उगाही की गई, जिससे ₹540 करोड़ का नुकसान हुआ। इस घोटाले में दो कांग्रेस विधायकों सहित कई बड़े नाम शामिल हैं, और इसका उपयोग कथित तौर पर चुनावी फंडिंग और बेनामी संपत्ति खरीद में किया गया।
गोठान घोटाला (₹1300 करोड़): भाजपा ने भूपेश सरकार पर गोठान योजना में ₹1300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया। दावा है कि 10,000 गोठानों में से अधिकांश केवल कागजों पर हैं, और इनके लिए आवंटित धनराशि का दुरुपयोग हुआ।
गोबर घोटाला (₹229 करोड़): गोधान न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी में ₹229 करोड़ की अनियमितता का आरोप है। भाजपा का दावा है कि यह घोटाला बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा है।
डीएमएफ घोटाला (₹75 करोड़): कोरबा जिले में खनन प्रभावित क्षेत्रों के लिए बने डीएमएफ फंड में ₹75 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा हुआ। इसमें टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और कमीशनखोरी के आरोप हैं।
साइबर घोटाले (₹107 करोड़): 2024 से जून 2025 तक छत्तीसगढ़ में साइबर अपराधों के 1,301 मामले दर्ज हुए, जिनमें पीड़ितों ने ₹107 करोड़ गंवाए। रायपुर में ही ₹48 करोड़ की ठगी हुई।
इन घोटालों ने छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया है, जिसके कारण जनता में भारी आक्रोश है। विपक्षी दल भाजपा ने इन मुद्दों को विधानसभा चुनावों में प्रमुखता से उठाया और सत्ता में आने के बाद जांच को तेज किया। दूसरी ओर, कांग्रेस ने इन आरोपों को भाजपा की साजिश करार देते हुए दावा किया कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग उनके खिलाफ हो रहा है।
आईबीसी 24 के इस स्टिंग ऑपरेशन ने न केवल आदिवासी क्षेत्रों में हुए घोटाले को उजागर किया, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि सरकारी योजनाओं के नाम पर गरीबों और आदिवासियों के हक को कैसे लूटा गया। जनता के बीच अब इन मामलों में कड़ी कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग उठने लगी है।