चित्तौड़गढ़ नरसंहार का उल्लेख, 25 साल की उम्र में 30,000 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार अकबर को बताया गया ‘क्रूर और सहिष्णु’ का मिश्रण
Published on: July 18, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 8 की नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड’ में मुगल सम्राट अकबर के ‘महान’ होने की पारंपरिक छवि पर सवाल उठाए हैं। अब तक स्कूलों में अकबर को ‘महान’ के रूप में पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन नई किताब में 1568 में चित्तौड़गढ़ नरसंहार का जिक्र करते हुए बताया गया है कि 25 साल की उम्र में अकबर ने 30,000 निहत्थे नागरिकों की हत्या का आदेश दिया था। इस घटना ने उनकी छवि को ‘क्रूर और सहिष्णु’ के मिश्रण के रूप में प्रस्तुत किया है।
नई पाठ्यपुस्तक में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी का वर्णन करते हुए कहा गया है कि अकबर ने मेवाड़ के सिसोदिया राजपूतों के गढ़ पर कब्जा करने के लिए 40,000 सैनिकों के साथ हमला किया। चार महीने की घेराबंदी के बाद, 23-24 फरवरी 1568 को किले की दीवार ढहने पर मुगल सेना ने प्रवेश किया और लगभग 8,000-10,000 राजपूत योद्धाओं के साथ-साथ 20,000-30,000 नागरिकों का नरसंहार किया।

इस हमले में हजारों राजपूत महिलाओं ने मुगल सेना के हाथों अपमान से बचने के लिए जौहर किया। किताब में अकबर के अपने बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा, “हमने कई किलों और शहरों पर कब्जा किया और वहां इस्लाम स्थापित किया… हमने अपनी खून की प्यासी तलवार से अविश्वासियों के चिह्न मिटा दिए और उनके मंदिरों को नष्ट कर दिया।”
NCERT के सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम समूह के प्रमुख मिशेल डैनिनो ने इस बदलाव का बचाव करते हुए कहा, “हम अकबर को बदनाम नहीं कर रहे। हम उनके ही आधिकारिक दस्तावेजों से उद्धरण दे रहे हैं। अगर उन्होंने स्वयं अपनी क्रूरता स्वीकारी है, तो इसे बच्चों से क्यों छिपाया जाए?” डैनिनो ने यह भी कहा कि इतिहास को संतुलित और ईमानदार तरीके से प्रस्तुत करना जरूरी है, ताकि छात्र अतीत से सबक ले सकें।
किताब में यह भी उल्लेख किया गया है कि अकबर ने अपने शासन के बाद के वर्षों में सहिष्णुता की नीति अपनाई, जैसे जिजिया कर को हटाना और राजपूतों को अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में शामिल करना। हालांकि, चित्तौड़गढ़ की घटना को ‘आतंक का जानबूझकर किया गया कार्य’ बताया गया है, जिसका उद्देश्य हिंदू प्रतिरोध को कुचलना और भय के माध्यम से इस्लामी शासन को लागू करना था।
Also read- https://www.btnewsindia.com/कलेक्टर-का-फरमान-ncert-की-पुस्त/ https://www.btnewsindia.com/प्रयागराज-में-गंगा-का-जलस/
यह संशोधन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे 2023 के अनुरूप है, जो इतिहास को अधिक तथ्यपरक और संतुलित दृष्टिकोण से पढ़ाने पर जोर देता है। किताब में एक विशेष नोट, ‘इतिहास के कुछ अंधेरे दौर’, शामिल किया गया है, जो यह स्पष्ट करता है कि अतीत की घटनाओं के लिए आज के किसी भी समुदाय या व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
इस बदलाव ने इतिहासकारों और शिक्षाविदों के बीच बहस छेड़ दी है। कुछ का मानना है कि यह संशोधन ऐतिहासिक सत्य को सामने लाने का प्रयास है, जबकि अन्य इसे पक्षपातपूर्ण और साम्प्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हैं। फिर भी, यह कदम भारतीय इतिहास को नए दृष्टिकोण से देखने और छात्रों में तार्किक चिंतन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।