प्रशासनिक कुशलता और सामाजिक सेवा के प्रतीक थे पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त
Published on: July 14, 2025
By: [BTNI]
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल स्व. श्री शेखर दत्त एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनके योगदान ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में एक अमिट छाप छोड़ी। आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के प्रथम दिन मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला।
शेखर दत्त का जीवन और योगदान
स्व. शेखर दत्त एक कुशल प्रशासक, रक्षा विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में अपनी सेवाएं दीं और रक्षा मंत्रालय में रक्षा सचिव के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उनकी रणनीतिक दृष्टि और नेतृत्व ने देश की सुरक्षा नीतियों को मजबूती प्रदान की। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल (2007-2010) के रूप में उनके कार्यकाल में उन्होंने राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। नक्सलवाद जैसे जटिल मुद्दों पर उनकी संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण ने छत्तीसगढ़ में शांति और विकास के लिए नए रास्ते खोले। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में कई पहल शुरू कीं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
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सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
शेखर दत्त ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय कला, संस्कृति और जनजातीय परंपराओं को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के लिए कई कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया। उनके कार्यकाल में सामाजिक समरसता और एकता पर विशेष जोर दिया गया। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में कहा, “स्व. शेखर दत्त जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है। उनकी प्रशासनिक सूझबूझ और जनसेवा की भावना ने छत्तीसगढ़ को नई दिशा दी।”
सदन में गूंजा उनके योगदान का बखान
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत और अन्य नेताओं ने भी उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि शेखर दत्त का निधन न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके कार्य और विचार हमेशा समाज को प्रेरित करते रहेंगे। स्व. शेखर दत्त का योगदान छत्तीसगढ़ और भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि सभा के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, जो उनके प्रति सम्मान का प्रतीक था।