सेबी ने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में हेरफेर के आरोप में अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म पर कसा शिकंजा, निवेशकों को पहुंचाए नुकसान की भरपाई के लिए उठाया सख्त कदम
Published on: July 04, 2025
By: BTNI
Location: Mumbai, India
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट ग्रुप और उससे जुड़ी इकाइयों पर भारतीय प्रतिभूति बाजार में हेरफेर करने के आरोप में कड़ा कदम उठाया है। सेबी ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों में कारोबार करने से रोक दिया है और 4,843.57 करोड़ रुपये की कथित अवैध कमाई को जब्त करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में कथित हेरफेर के चलते की गई है, जिसने खुदरा निवेशकों को नुकसान पहुंचाया।
क्या है जेन स्ट्रीट विवाद?
सेबी के 105 पेज के अंतरिम आदेश के अनुसार, जेन स्ट्रीट और उसकी सहयोगी इकाइयों – जेएसआई इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेएसआई2 इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर पीटीई लिमिटेड, और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग लिमिटेड – पर बैंक निफ्टी और निफ्टी 50 इंडेक्स को प्रभावित करने के लिए बड़े पैमाने पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करने का आरोप है। सेबी ने पाया कि इन इकाइयों ने विशेष रूप से एक्सपायरी दिनों पर बड़े पैमाने पर खरीद और बिक्री करके इंडेक्स की कीमतों को प्रभावित किया, जिससे इंडेक्स ऑप्शंस में भारी मुनाफा कमाया गया।
सेबी के अनुसार, जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच, जेन स्ट्रीट ने भारतीय बाजारों में कुल 36,502 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जिसमें से 43,289 करोड़ रुपये केवल इंडेक्स ऑप्शंस से आए। हालांकि, इस दौरान स्टॉक फ्यूचर्स, इंडेक्स फ्यूचर्स, और कैश सेगमेंट में 7,687 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ। सेबी ने 4,843.57 करोड़ रुपये को अवैध मुनाफा करार देते हुए इसे एक एस्क्रो खाते में जमा करने का निर्देश दिया है।
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कैसे हुआ बाजार में हेरफेर?
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि जेन स्ट्रीट ने ‘पंप-एंड-डंप’ रणनीति और ‘मार्किंग द क्लोज’ तकनीक का इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए, 17 जनवरी 2024 को, जेन स्ट्रीट ने सुबह के सत्र में 4,370 करोड़ रुपये के बैंक निफ्टी फ्यूचर्स खरीदे और 32,115 करोड़ रुपये के बैंक निफ्टी ऑप्शंस बेचे। दोपहर बाद, इसने 5,372 करोड़ रुपये के फ्यूचर्स बेचकर इंडेक्स को नीचे लाया, जिससे ऑप्शंस में 735 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ, जबकि कैश और फ्यूचर्स में 61.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस तरह की रणनीति ने बाजार में कृत्रिम गतिविधियों का भ्रम पैदा किया, जिससे लाखों खुदरा निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा।
सेबी ने यह भी उल्लेख किया कि फरवरी 2025 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद, जेन स्ट्रीट ने मई 2025 में भी ऐसी ही गतिविधियां जारी रखीं। सेबी ने इसे “नैतिकता की स्पष्ट अवहेलना” करार देते हुए कहा कि जेन स्ट्रीट “विश्वास योग्य निवेशक” नहीं है।
जेन स्ट्रीट का जवाब
जेन स्ट्रीट ने सेबी के अंतरिम आदेश के निष्कर्षों को खारिज किया है और कहा है कि वह नियामक के साथ आगे बातचीत करेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा, “जेन स्ट्रीट वैश्विक स्तर पर सभी नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।” कंपनी के पास इस आदेश के खिलाफ 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने या सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील करने का विकल्प है।
बाजार पर प्रभाव और सेबी की सख्ती
सेबी की यह कार्रवाई भारत के तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव्स बाजार में विदेशी संस्थानों की गतिविधियों पर बढ़ती निगरानी को दर्शाती है। भारत वर्तमान में अनुबंधों की संख्या के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा डेरिवेटिव्स बाजार है। सेबी ने कहा कि जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग रणनीतियों ने बाजार की अखंडता को खतरे में डाला और छोटे निवेशकों के हितों को नुकसान पहुंचाया।
ज़ेरोधा के संस्थापक नितिन कामथ ने इस कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि आरोप सत्य हैं, तो यह “खुला बाजार हेरफेर” है। उन्होंने भारतीय बाजारों में सख्त नियामक ढांचे की सराहना की।
आगे की राह
सेबी ने जेन स्ट्रीट को निर्देश दिया है कि वह कथित अवैध मुनाफे को एक एस्क्रो खाते में जमा करे और बैंकों को इन इकाइयों के खातों से कोई डेबिट लेनदेन न करने का आदेश दिया है। जांच पूरी होने तक प्रतिबंध लागू रहेगा। यदि जेन स्ट्रीट इस राशि को जमा करती है, तो उसे नई पोजीशन लेने की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते वह कथित हेरफेर रणनीति को बंद कर दे।
यह मामला भारतीय बाजारों में हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग और जटिल रणनीतियों पर सेबी की बढ़ती नजर को दर्शाता है, जो बाजार की पारदर्शिता और निवेशक हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।