- मध्य प्रदेश में अस्पताल का घिनौना चेहरा
- परिवार से ऐंठे पैसे
- मरीज ने भागकर खोली पोल
- रतलाम के गीता देवी अस्पताल में मरीज बंती निनामा के साथ हुई ठगी
Published on: June 30, 2025
By: [BTNI]
Location: Ratlam
मध्य प्रदेश के रतलाम से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक निजी अस्पताल ने कथित तौर पर एक मरीज को ICU में बंद रखा और उसके परिवार को यह झूठ बोलकर लाखों रुपये ऐंठने की कोशिश की कि मरीज कोमा में है। मरीज ने किसी तरह अस्पताल से भागकर इस घिनौने कृत्य का पर्दाफाश किया, जिसके बाद यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों में आक्रोश फैल गया।
क्या है पूरा मामला?
रतलाम के दीनदयाल नगर निवासी बंती निनामा को एक झगड़े में चोट लगने के बाद पहले मेडिकल कॉलेज के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया था। इसके बाद उनके परिवार ने उन्हें रतलाम के गीता देवी अस्पताल में स्थानांतरित किया। अस्पताल ने परिवार को बताया कि बंती को गंभीर रीढ़ की हड्डी में चोट लगी है और वह कोमा में चले गए हैं, जिसके इलाज के लिए तत्काल मोटी रकम की जरूरत है। परिवार ने डर और घबराहट में रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार लेकर 1 लाख रुपये की व्यवस्था की। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अस्पताल ने 2 लाख रुपये की मांग की थी।
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हैरानी की बात यह है कि जिस मरीज को कोमा में बताया गया, वह न केवल होश में था, बल्कि उसने अस्पताल से भागकर सड़क पर अपनी आपबीती सुनाई। वायरल वीडियो में बंती को नाक में नली और शरीर पर मेडिकल टेप के साथ सड़क पर चलते और अस्पताल पर ठगी का आरोप लगाते देखा गया। उनकी पत्नी लक्ष्मी ने बताया, “डॉक्टरों ने कहा कि मेरे पति को रीढ़ की हड्डी में चोट है और वह कोमा में हैं। उन्होंने दवाइयों के लिए पर्ची दी और 1 लाख रुपये मांगे। जब मैं पैसे लेकर लौटी, तो देखा कि पांच लोग मेरे पति को बांधकर रखे हुए थे और वह चिल्ला रहे थे कि मुझे अपनी पत्नी से मिलने दो।”
मरीज का सनसनीखेज पलायन
बंती ने बताया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उनके हाथ-पैर बांध रखे थे और उन्हें जबरन ICU में रखा गया था। मौका पाकर वह किसी तरह बंधनों से मुक्त हुए और सड़क पर निकल आए। वीडियो में वह आधे नग्न अवस्था में, मूत्र थैली और नाक में नली लिए हुए अपनी आपबीती बयान करते नजर आए। इस दृश्य ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे देश में हंगामा मचा दिया।
अस्पताल का जवाब
गीता देवी अस्पताल के प्रबंधन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि बंती का बिल मात्र 8,000 रुपये था और उनकी ओर से कोई अतिरिक्त राशि नहीं मांगी गई। अस्पताल ने CCTV फुटेज जारी कर कहा कि बंती ने ICU में हंगामा किया और डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया। हालांकि, मरीज और उनके परिवार के बयानों ने अस्पताल के दावों पर सवाल खड़े किए हैं। ~web:6⁊
जांच के आदेश और जनता का आक्रोश
इस घटना के बाद मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। रतलाम के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एमएस सागर ने बताया कि बंती को पहले सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया था, और उनकी स्थिति को गंभीर बताकर निजी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था। जांच समिति इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या वाकई में अस्पताल ने मरीज को गलत तरीके से कोमा में बताया और परिवार से पैसे ऐंठने की कोशिश की।
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर ने लिखा, “निजी अस्पतालों को नियमों और नैतिकता की सख्त जरूरत है। डॉक्टर ठग और उगाही करने वाले बन गए हैं।” एक अन्य ने कहा, “सरकार को अच्छे सरकारी अस्पताल उपलब्ध कराने चाहिए, ताकि निजी अस्पतालों की मनमानी कम हो।”
कानूनी कार्रवाई और जागरूकता की जरूरत
पुलिस को सूचना दी गई है और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इस घटना ने निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता और सख्त नियमों की आवश्यकता को दर्शाती हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी अस्पताल में इलाज कराने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जांच करें और अनावश्यक शुल्क या संदिग्ध दावों के मामले में तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें।
निष्कर्ष
रतलाम की इस घटना ने निजी अस्पतालों की कथित अनैतिक प्रथाओं को उजागर किया है। बंती निनामा का साहसिक पलायन और उनकी कहानी ने न केवल अस्पताल की पोल खोली, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि चिकित्सा सेवा के नाम पर हो रही लूट को कैसे रोका जाए। इस मामले में जांच के नतीजे और कानूनी कार्रवाई का इंतजार है, लेकिन यह घटना सभी के लिए एक चेतावनी है कि सतर्कता और जागरूकता ही ऐसी ठगी से बचाव का रास्ता है।
संदिग्ध चिकित्सा प्रथाओं की शिकायत के लिए 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।