मेयर ने की ग्रीन ईद की अपील
Published on: June 05, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
दिल्ली में बकरीद (ईद-उल-अज़हा) 2025 की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इस मौके पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और प्रशासन ने साफ-सफाई और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खास तौर पर, खुले में पशुओं की कुर्बानी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। दिल्ली के मेयर ने सभी नागरिकों से ग्रीन ईद मनाने की अपील की है, जिसमें स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है।
खुले में कुर्बानी पर सख्ती
दिल्ली के जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम, मौलाना सय्यद शबान बुखारी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे बकरीद के दौरान पशु कुर्बानी सार्वजनिक स्थानों जैसे सड़कों, गलियों या खुले मैदानों में न करें। उन्होंने कहा कि इस्लाम शांति, सम्मान और स्वच्छता का संदेश देता है, इसलिए कुर्बानी निजी स्थानों जैसे घरों या निर्धारित बूचड़खानों में ही की जानी चाहिए। मौलाना बुखारी ने यह भी अनुरोध किया कि कुर्बानी की तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करने से बचा जाए, ताकि किसी की भावनाएं आहत न हों।

मेयर की ग्रीन ईद की अपील
दिल्ली के मेयर ने बकरीद को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाने की अपील की है। उन्होंने समुदाय से अनुरोध किया कि कुर्बानी के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। मेयर ने कहा, “हमें अपने शहर को साफ और सुंदर रखना है। कुर्बानी के बाद खून को नालियों में न बहने दें, बल्कि इसे मिट्टी में दबाकर प्राकृतिक खाद के रूप में उपयोग करें।” इसके साथ ही, उन्होंने लोगों से सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की।
लखनऊ के मौलाना का भी समान सुझाव
लखनऊ के इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी इसी तरह की सलाह दी है। उन्होंने 12 सूत्रीय दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि कुर्बानी 7, 8 और 9 जून को की जा सकती है, लेकिन इसे सार्वजनिक स्थानों पर करने से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कुर्बानी का खून नालियों में न बहाकर मिट्टी में दबाया जाए, जो पौधों के लिए खाद का काम करेगा।
बकरीद का महत्व
बकरीद, जिसे ईद-उल-अज़हा या ‘त्याग का पर्व’ भी कहा जाता है, पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) की अल्लाह के प्रति निष्ठा और उनके बेटे इस्माइल को कुर्बान करने की इच्छा की याद में मनाया जाता है। इस्लामी परंपरा के अनुसार, अल्लाह ने इब्राहिम की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उन्हें अपने बेटे की कुर्बानी देने को कहा था। जब इब्राहिम ने इस आदेश का पालन करने की तैयारी की, तो अल्लाह ने इस्माइल की जगह एक मेमने को कुर्बान करने के लिए भेज दिया। इस घटना की याद में मुस्लिम समुदाय बकरी, भेड़, या अन्य हलाल पशुओं की कुर्बानी करता है, जिसका मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक हिस्सा परिवार के लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए।
दिल्ली में उत्सव की तैयारियां
दिल्ली में बकरीद के लिए जामा मस्जिद और अन्य मस्जिदों में विशेष नमाज की तैयारियां की जा रही हैं। लोग नए कपड़े पहनकर, विशेष व्यंजन बनाकर और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटकर इस पर्व को मनाने की तैयारी में जुटे हैं। दिल्ली के रेस्तरां और बाजारों में बिरयानी, कोरमा और भुना कालेजी जैसे पारंपरिक व्यंजनों की मांग बढ़ रही है।
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सामाजिक सौहार्द पर जोर
प्रशासन और धार्मिक नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि बकरीद का पर्व शांति और भाईचारे के साथ मनाया जाए। मौलाना बुखारी ने कहा, “हमारी हरकतों से किसी की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए। हमें अपने पड़ोसियों और अन्य समुदायों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।” इसके अलावा, कुछ संगठनों ने गरीबों और जरूरतमंदों के बीच मांस, कपड़े और अन्य सामग्री बांटने के लिए विशेष अभियान शुरू किए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
बकरीद के मौके पर कुर्बानी को लेकर कुछ राजनीतिक चर्चाएं भी सामने आई हैं। एआईएमआईएम के प्रवक्ता असीम वकार ने पशु हत्या पर सवाल उठाते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की है, जिससे इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। वहीं, दिल्ली के एक नागरिक ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी न करने और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।