मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों में बीएड कोर्स की अनिवार्यता से छोटे कॉलेजों पर संकट, मालिकों ने मांगी स्पष्टता और सहायता
Published on: May 24, 2025
By: BTI
Location: New Delhi/Raipur/Rajnandgaon, India
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 2025 की नई गाइडलाइन ने वर्तमान में देश भर में चल रहे बीएड कालेज के मालिकों की नींद उडा दी है।
इसके तहत बीएड कोर्स अब केवल मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों में संचालित होंगे और 15,000 से अधिक बीएड कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों के साथ मर्ज करना होगा, को लेकर वर्तमान में संचालित बीएड कॉलेज मालिकों की प्रतिक्रियाओं पर सीधे तौर पर विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, उपलब्ध स्रोतों और इस नीति के संदर्भ में कॉलेज मालिकों की संभावित प्रतिक्रियाओं को सामान्य रूप से शिक्षा क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य में नीचे संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
बीएड कॉलेज मालिकों की संभावित प्रतिक्रियाएं:
चुनौतियों और अनिश्चितता की चिंता:
मर्जर की जटिलता: कई बीएड कॉलेज मालिक इस मर्जर प्रक्रिया को जटिल और संसाधन-गहन मान रहे हैं। छोटे और स्वतंत्र बीएड कॉलेज, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, डिग्री कॉलेजों के साथ एकीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, वित्तीय संसाधनों और प्रशासनिक समन्वय की कमी को लेकर चिंतित हैं।
वित्तीय बोझ: मर्जर के लिए NAAC मान्यता और अन्य NCTE मानकों (जैसे भूमि, भवन, और फैकल्टी की संख्या) को पूरा करने में भारी निवेश की आवश्यकता होगी। कई कॉलेज मालिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया उनके लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं हो सकती, खासकर उन कॉलेजों के लिए जो पहले से ही सीमित संसाधनों पर चल रहे हैं।
Also read- https://www.btnewsindia.com/बीएड-कोर्स-बंद-अब-शिक्षक-ब/ https://www.btnewsindia.com/1-वर्षीय-बीएड-कोर्स-में-llb-ग्र/
स्वायत्तता का नुकसान: स्वतंत्र बीएड कॉलेजों के मालिक अपनी संस्थागत स्वायत्तता खोने के प्रति चिंतित हैं, क्योंकि मर्जर के बाद उन्हें बड़े डिग्री कॉलेजों के प्रशासनिक ढांचे के तहत काम करना होगा।
नीति के विरोध में आवाज:
कुछ कॉलेज मालिकों ने मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों की अनिवार्यता पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, जिन कॉलेजों के पास NAAC मान्यता है, वे भी ITEP (इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम) जैसे कोर्स संचालित नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनके पास डिग्री कॉलेजों से संबद्धता नहीं है। वे इस नीति को और स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं।
विशेष रूप से बिहार जैसे राज्यों में, जहां कई कॉलेजों के पास NAAC या NIRF रैंकिंग नहीं है, मालिकों ने माना है कि उनके लिए नए मानकों को पूरा करना लगभग असंभव होगा।
सकारात्मक दृष्टिकोण (सीमित):
कुछ बड़े और वित्तीय रूप से सक्षम बीएड कॉलेज मालिक इस नीति को अवसर के रूप में देख रहे हैं। मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों के साथ मर्जर से उनके कॉलेजों को बेहतर संसाधन, फैकल्टी, और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने का मौका मिल सकता है। हालांकि, यह दृष्टिकोण उन कॉलेजों तक सीमित है जो पहले से ही मजबूत बुनियादी ढांचे और वित्तीय स्थिति के साथ काम कर रहे हैं।
कुछ मालिकों ने NCTE के इस कदम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप माना है, जो शिक्षा को अधिक समग्र और बहु-विषयक बनाने पर जोर देती है।
स्पष्टता और समर्थन की मांग:
कॉलेज मालिकों ने मर्जर प्रक्रिया के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और समयसीमा की मांग की है। वे चाहते हैं कि NCTE छोटे कॉलेजों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करे ताकि मर्जर प्रक्रिया सुचारू हो सके।
कई मालिकों ने यह भी सुझाव दिया है कि मर्जर से पहले पायलट प्रोजेक्ट्स चलाए जाएं ताकि इस नीति की व्यवहार्यता का आकलन किया जा सके।
निष्कर्ष:
बीएड कॉलेज मालिकों की प्रतिक्रियाएं मुख्य रूप से मर्जर प्रक्रिया की जटिलता, वित्तीय बोझ, और स्वायत्तता के नुकसान को लेकर चिंतित हैं। छोटे और ग्रामीण कॉलेजों के मालिक इस नीति को अपने लिए चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं, जबकि कुछ बड़े कॉलेज इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं। NCTE से स्पष्ट दिशानिर्देश, वित्तीय सहायता, और कार्यान्वयन में पारदर्शिता की मांग प्रमुखता से उठ रही है।