Published on: May 10, 2025
By: BTI
Location: New Delhi, India
भारत से विदेश जाने वाले यात्रियों को अब अपनी मंजिल तक पहुँचने में ज्यादा समय लग रहा है। हाल ही में भारत से उड़ान भरने वाली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को अपने पुराने रास्ते को बदलना पड़ा है, जिसकी वजह से यात्रा का समय औसतन 3 घंटे तक बढ़ गया है। पहले जहां यह सफर 5 घंटे 30 मिनट में पूरा हो जाता था, अब उसी सफर में 8 घंटे 30 मिनट तक का समय लग रहा है।
यह बदलाव सिर्फ समय का ही नहीं, बल्कि इसके कारण फ्लाइट का किराया बढ़ा है और एयरलाइंस पर ईंधन की लागत भी भारी पड़ रही है। आइए जानते हैं कि आखिर यह बदलाव क्यों हुआ और इसका सीधा असर आम यात्रियों पर किस तरह से पड़ रहा है।
पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र पर रोक बनी बड़ी वजह
इस उड़ान मार्ग में बदलाव का सबसे बड़ा कारण भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव है। साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने भारत के विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को आंशिक रूप से बंद कर दिया था। हालांकि कुछ महीनों बाद यह प्रतिबंध हटा भी दिया गया, लेकिन समय-समय पर पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल रोकता रहा है, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को नया रास्ता चुनना पड़ा।
पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र भारत से यूरोप और पश्चिमी एशिया जाने वाली फ्लाइट्स के लिए सबसे छोटा और सीधा मार्ग प्रदान करता है। लेकिन जब यह रास्ता बंद होता है, तो विमानों को लंबा घुमावदार रास्ता अपनाना पड़ता है — जैसे कि बांग्लादेश, म्यांमार और समुद्री मार्ग से होकर उड़ान भरनी पड़ती है। यही कारण है कि अब यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुँचने में ज्यादा समय लग रहा है।
चीन के साथ भी बढ़ी जटिलताएं
इतना ही नहीं, भारत और चीन के बीच भी सीमा पर तनातनी के चलते हवाई मार्गों में परिवर्तन किया गया है। लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद के कारण कई बार उत्तरी भारत के ऊपर से गुजरने वाले फ्लाइट मार्गों को सीमित किया गया है। इससे भी फ्लाइट ऑपरेटरों को वैकल्पिक रास्ते चुनने पड़े हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह परिवर्तन सुरक्षा कारणों से किया जा रहा है ताकि किसी भी अनहोनी स्थिति में विमान खतरे से बचा रहे। लेकिन इसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ता है क्योंकि लंबी यात्रा का मतलब है ज्यादा ईंधन, ज्यादा खर्च और ज्यादा टिकट की कीमत।
यात्रियों पर असर
नए उड़ान मार्ग की वजह से यात्रियों को अब अपने सफर में ज्यादा समय बिताना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर, पहले दिल्ली से यूरोप के कई शहरों की दूरी 7 से 8 घंटे में पूरी हो जाती थी, लेकिन अब इसमें 10 से 11 घंटे तक लग सकते हैं। यही हाल दक्षिण-पूर्वी एशिया के लिए भी है, जहां भारत से जाने वाली फ्लाइट्स को लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।
इसके अलावा एयरलाइंस कंपनियां भी अब अपने किराये में मामूली इजाफा कर रही हैं ताकि बढ़ी हुई ईंधन लागत को कवर किया जा सके। साथ ही पर्यावरण पर भी इसका असर पड़ रहा है क्योंकि ज्यादा ईंधन जलाने से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है।
क्या है आगे का रास्ता?
विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच राजनीतिक रिश्तों में सुधार नहीं होता, तब तक उड़ानों को पुराने रास्ते पर लौटना मुश्किल है। हालांकि दोनों देशों के बीच बैक-डोर कूटनीति जारी है, लेकिन फिलहाल यात्रियों को इस लंबी दूरी के लिए तैयार रहना होगा।
एविएशन सेक्टर से जुड़े जानकारों का कहना है कि सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि कम से कम मानव हित को ध्यान में रखते हुए फ्लाइट्स के लिए पुराने मार्ग खोलने पर बात करे। वहीं एयरलाइंस भी अब ज्यादा ईंधन क्षमता वाले और लंबी दूरी तय करने में सक्षम विमानों का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि यात्रियों को ज्यादा परेशानी न हो।