पहलगाम हमले पर उठे सख्त सवाल
Published on: May 06, 2025
By: Agency
Location: New Delhi, India
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक बंद कमरे की बैठक में पाकिस्तान को उसकी मंशा और गतिविधियों पर कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। यह बैठक पाकिस्तान के अनुरोध पर बुलाई गई थी, जिसमें उसने भारत के साथ तनाव और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर चर्चा की मांग की थी। हालांकि, पाकिस्तान की उम्मीदों के विपरीत, UNSC के सदस्य देशों ने न केवल उसकी “झूठी कहानी” को खारिज किया, बल्कि आतंकवाद और परमाणु बयानबाजी को लेकर उसे जमकर लताड़ा।
पहलगाम हमले का पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बायसरण घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने ली थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान ने इसे “झूठा फ्लैग ऑपरेशन” बताकर भारत पर आरोप लगाने की कोशिश की। इस हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए, जिसमें इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और व्यापार पर रोक लगाना शामिल है।
UNSC की बैठक और पाकिस्तान पर सवाल
पाकिस्तान, जो वर्तमान में UNSC का गैर-स्थायी सदस्य है, ने ग्रीस की अध्यक्षता में 5 मई 2025 को बंद कमरे में आपातकालीन परामर्श की मांग की थी। पाकिस्तान का दावा था कि वह भारत की “आक्रामक कार्रवाइयों” और इंडस वाटर ट्रीटी के निलंबन को लेकर UNSC को अवगत कराएगा। लेकिन बैठक में पाकिस्तान की रणनीति उलटी पड़ गई।
UNSC के सदस्य देशों ने पाकिस्तान से कई कठिन सवाल पूछे, जिनमें शामिल हैं:
लश्कर-ए-तैयबा का हाथ: सदस्य देशों ने पूछा कि क्या पहलगाम हमले में LeT की संलिप्तता थी, क्योंकि इस संगठन का पाकिस्तान से लंबे समय से संबंध रहा है।
झूठा फ्लैग नरेटिव: पाकिस्तान के “झूठे फ्लैग” दावे को खारिज करते हुए, UNSC ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और आधारहीन करार दिया।
परमाणु बयानबाजी और मिसाइल परीक्षण: पाकिस्तान की हालिया मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हथियारों की धमकियों को “तनाव बढ़ाने वाला” बताते हुए, सदस्य देशों ने इसकी कड़ी आलोचना की।
धार्मिक आधार पर हमला: पहलगाम में पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाए जाने पर भी सवाल उठाए गए, जिसे UNSC ने गंभीर चिंता का विषय बताया।
पाकिस्तान की रणनीति नाकाम
पाकिस्तान ने इस बैठक का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने और भारत को घेरने की कोशिश की। हालांकि, UNSC ने न तो कोई बयान जारी किया और न ही कोई प्रस्ताव पारित किया, जिसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पूर्व भारतीय राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, “पाकिस्तान की यह कोशिश एक पक्ष द्वारा UNSC की सदस्यता का दुरुपयोग कर अपनी धारणा बनाने की थी, लेकिन भारत ने इसे प्रभावी ढंग से नाकाम कर दिया।”
कांग्रेस सांसद और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने भी कहा, “पाकिस्तान को लगा कि उसे फायदा होगा, लेकिन कई देशों ने LeT की प्रारंभिक जिम्मेदारी और पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए। UNSC कोई प्रस्ताव पास नहीं करेगा, क्योंकि चीन पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी प्रस्ताव को वीटो कर देगा, और भारत के खिलाफ कोई प्रस्ताव कई देशों के विरोध के कारण पास नहीं होगा।”
भारत की कूटनीतिक जीत
भारत ने इस बैठक से पहले सक्रिय कूटनीति अपनाई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNSC के सभी सदस्य देशों (चीन और पाकिस्तान को छोड़कर) से बात की और पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ न्याय की मांग की। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिसे UNSC के कई सदस्यों ने गंभीरता से लिया।
UNSC के सदस्यों ने दोनों देशों से “संयम” और “संवाद” का आह्वान किया, लेकिन पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से सलाह दी गई कि वह भारत के साथ द्विपक्षीय रूप से मुद्दों को सुलझाए।
पाकिस्तान का जवाब और प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने बैठक के बाद दावा किया कि उनके देश के उद्देश्य “काफी हद तक पूरे हुए।” उन्होंने कश्मीर को 70 साल पुराना विवाद बताते हुए भारत की “एकतरफा कार्रवाइयों” की आलोचना की। हालांकि, UNSC के किसी भी बयान या प्रस्ताव की अनुपस्थिति ने उनके दावों को कमजोर कर दिया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
एक्स पर कई यूजर्स ने इस घटना को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा। एक यूजर ने लिखा, “UNSC में पाकिस्तान की करारी हार, खुद फंस गया।” एक अन्य ने कहा, “पाकिस्तान को दुनिया अब समझ चुकी है, आतंकवाद का निर्यात बंद करने का समय है।”निष्कर्ष
UNSC की इस बैठक ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेरने की रणनीति विफल हो रही है। आतंकवाद और परमाणु बयानबाजी को लेकर पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर रहा है। दूसरी ओर, भारत की सक्रिय कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ उसका मजबूत रुख UNSC में समर्थन पा रहा है।