तत्कालीन आबकारी मंत्री 6 माह से है जेल में
सहेली ज्वेलर्स के जरिए 100 करोड़ रुपये चैतन्य को दिए गए
Published on: July 20, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले ने राज्य की सियासत को हिला कर रख दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताजा कार्रवाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया है, जिसने कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी राजनीतिक जंग छेड़ दी है। यह घोटाला, जो 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस शासनकाल में हुआ, अब तक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार कांडों में से एक माना जा रहा है।
घोटाले की परतें: कैसे हुआ 3200 करोड़ का खेल?
ईडी के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति में बड़े बदलाव किए गए, जिसके तहत शराब की खरीद, वितरण और बिक्री पर राज्य सरकार ने पूर्ण नियंत्रण ले लिया। इस दौरान एक संगठित शराब सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम, बिना रिकॉर्ड की कच्ची शराब की बिक्री और अवैध वसूली के जरिए करीब 3200 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। शुरू में घोटाले की राशि 2100 करोड़ रुपये बताई गई थी, लेकिन हालिया जांच में यह आंकड़ा बढ़कर 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

ईडी ने अपनी चार्जशीट में बताया कि इस घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों, नेताओं और कारोबारियों का एक नेटवर्क शामिल था। नोएडा की प्रिज्म होलोग्राम कंपनी और नवा रायपुर के जीएसटी दफ्तर के बेसमेंट में नकली होलोग्राम छपवाए गए, जिन्हें शराब की बोतलों पर लगाकर सरकारी दुकानों के जरिए बेचा गया। इस अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा कथित तौर पर सत्ताधारी नेताओं और उनके करीबियों तक पहुंचा।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी: पप्पू बंसल का खुलासा
18 जुलाई 2025 को चैतन्य बघेल के जन्मदिन के दिन ईडी ने भिलाई स्थित उनके आवास पर छापेमारी की और कुछ घंटों की तलाशी के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने चैतन्य को 23 जुलाई तक पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया। ईडी का दावा है कि चैतन्य ने शराब घोटाले से जुड़े 1000 करोड़ रुपये की काली कमाई को सफेद करने में मदद की और करीब 16.7 करोड़ रुपये का सीधा लाभ लिया।
ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट में बताया कि भिलाई के कारोबारी पप्पू बंसल (लक्ष्मीनारायण बंसल) के बयान में खुलासा हुआ कि सहेली ज्वेलर्स के जरिए 100 करोड़ रुपये चैतन्य को दिए गए। इसके अलावा, शराब कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, दीपेंद्र चावड़ा और अन्य के साथ मिलकर चैतन्य ने बघेल बिल्डकॉन और विट्टल ग्रीन्स जैसी कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की। ईडी ने यह भी दावा किया कि आजाद लेबर और के.के. श्रीवास्तव जैसे लोगों को इस घोटाले से जुड़े पैसे बांटे गए।
पहले भी हो चुके हैं बड़े नामों की गिरफ्तारी
इस घोटाले में पहले ही कई बड़े चेहरों पर कार्रवाई हो चुकी है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, जो जनवरी 2025 से जेल में हैं, रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया जा चुका है। ईडी ने अब तक 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए हैं।
सियासी घमासान: कांग्रेस का आंदोलन, भाजपा का तंज
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया। भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “आज मेरे बेटे चैतन्य के जन्मदिन पर मेरे घर पर ईडी की टीम छापेमारी कर रही है। इन तोहफों का धन्यवाद। ताउम्र याद रहेगा।” उन्होंने इसे अडानी समूह से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भूपेश के आवास और ईडी दफ्तर के बाहर पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया।
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वहीं, भाजपा ने इसे “जैसी करनी, वैसी भरनी” करार देते हुए कहा कि भूपेश बघेल की सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर था। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, “छत्तीसगढ़ के लोग जानते थे कि शराब घोटाला हो रहा है। ईडी की कार्रवाई से सच सामने आ रहा है।” भाजपा नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने X पर लिखा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट दाखिल की, जो संदिग्ध है।
घोटाले का असर: जनता के विश्वास पर चोट
यह घोटाला न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति, बल्कि जनता के विश्वास को भी हिला रहा है। ईडी का दावा है कि इस घोटाले से राज्य के राजस्व को भारी नुकसान हुआ, जो आम जनता की जेब से निकला पैसा था। जांच में सामने आया कि शराब माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी दुकानों के जरिए बिना रिकॉर्ड की शराब बेची गई और रिश्वत के रूप में मोटी रकम वसूली गई।
आगे क्या?
ईडी और EOW की जांच अभी जारी है। कोर्ट में दाखिल नई चार्जशीट में 70 लोगों और कंपनियों के नाम शामिल हैं, जिससे भविष्य में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में ईडी की पहली FIR को खारिज कर दिया था, लेकिन नए सबूतों के आधार पर नई FIR दर्ज की गई है।
इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ की सियासत को गरमा दिया है। जहां कांग्रेस इसे बदले की कार्रवाई बता रही है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा कदम करार दे रही है। इस मामले का असर आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति पर पड़ना तय है।