Sunday, May 25, 2025
22.1 C
New Delhi

1 वर्षीय बीएड कोर्स में LLB ग्रेजुएट्स को शामिल करने की मांग

समय और संसाधनों की बचत के लिए न्यायसंगत कदम की जरूरत

Published on: May 12, 2025
By: BTI
Location: New Delhi, India

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षक प्रशिक्षण को और प्रभावी बनाने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा 1 वर्षीय बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कोर्स को शैक्षणिक सत्र 2026-27 से पुनः शुरू करने का फैसला स्वागत योग्य है। हालांकि, इस कोर्स की पात्रता को लेकर एक बड़ा सवाल उठ रहा है—क्या केवल चार वर्षीय स्नातक डिग्री या स्नातकोत्तर (PG) डिग्री धारकों को ही इसका लाभ मिलना चाहिए? देशभर के लाखों लॉ ग्रेजुएट्स (LLB) इस कोर्स में शामिल होने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके छह साल की कठिन पढ़ाई को भी सम्मान मिले। विशेषज्ञों और अभ्यर्थियों का मानना है कि LLB डिग्री धारकों को 1 वर्षीय बीएड कोर्स में पात्रता देना न केवल न्यायसंगत होगा, बल्कि शिक्षक प्रशिक्षण को और समावेशी बनाएगा।

Barbarika Truth News India-image= May 25, 2025

LLB ग्रेजुएट्स की मांग: क्यों जरूरी है समावेश?
1 वर्षीय बीएड कोर्स की पात्रता वर्तमान में चार वर्षीय स्नातक डिग्री (जैसे B.A.+B.Ed., B.Sc.+B.Ed.) या स्नातकोत्तर डिग्री धारकों तक सीमित है। लेकिन, तीन वर्षीय स्नातक डिग्री (जैसे B.A., B.Sc., B.Com) और उसके बाद तीन वर्षीय LLB पूरी करने वाले अभ्यर्थी, जिन्होंने कुल छह साल की उच्च शिक्षा प्राप्त की है, इस कोर्स से वंचित रह जाएंगे। यह स्थिति उन अभ्यर्थियों के लिए अन्यायपूर्ण मानी जा रही है, जो लंबे समय तक कठिन पढ़ाई और संसाधनों का निवेश करने के बाद शिक्षण क्षेत्र में योगदान देना चाहते हैं।
“मैंने तीन साल B.A. और तीन साल LLB में मेहनत की। कुल छह साल की पढ़ाई के बाद भी मैं 1 वर्षीय बीएड के लिए पात्र नहीं हूं, जबकि चार साल की डिग्री वाले पात्र हैं। यह कहां का न्याय है? सरकार को हमारी मेहनत को भी मान्यता देनी चाहिए,” दिल्ली विश्वविद्यालय के एक LLB ग्रेजुएट अमन शर्मा ने निराशा जताते हुए कहा।
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि LLB एक पेशेवर डिग्री है, जो न केवल कानूनी ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि विश्लेषणात्मक कौशल, नैतिकता, और संचार कौशल को भी बढ़ाती है। ये सभी गुण एक प्रभावी शिक्षक के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में, LLB ग्रेजुएट्स को 1 वर्षीय बीएड कोर्स में शामिल करना शिक्षण क्षेत्र में विविधता और गुणवत्ता को बढ़ाएगा।

संबंधित खबरें- https://www.btnewsindia.com/national-level-bsb-education-meet-held-in-rajnandgaon-focus-on-vedic-modern-curriculum-integration/ https://www.btnewsindia.com/बीएड-कोर्स-बंद-अब-शिक्षक-ब/

समय और संसाधनों की बर्बादी का सवाल
वर्तमान नियमों के तहत, LLB ग्रेजुएट्स को शिक्षक बनने के लिए पहले स्नातकोत्तर डिग्री (जैसे M.A. या M.Sc.) पूरी करनी होगी, जिसमें कम से कम दो साल और लगेंगे। इसके बाद ही वे 1 वर्षीय बीएड कोर्स के लिए पात्र होंगे। इसका मतलब है कि शिक्षक बनने के लिए उन्हें कुल आठ साल की पढ़ाई करनी होगी। दूसरी ओर, चार वर्षीय स्नातक डिग्री धारक केवल चार साल में ही इस कोर्स के लिए पात्र हो जाते हैं। यह असमानता न केवल समय और धन की बर्बादी है, बल्कि योग्य और उत्साही अभ्यर्थियों को शिक्षण क्षेत्र से दूर कर रही है।
“हमने छह साल की पढ़ाई की है, फिर भी हमें अतिरिक्त दो साल पढ़ाई के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह न तो तर्कसंगत है और न ही NEP 2020 के समावेशी शिक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप,” लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष प्रिया चौधरी ने कहा। उन्होंने सरकार से मांग की कि LLB को स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष मानते हुए 1 वर्षीय बीएड में पात्रता दी जाए।

Barbarika Truth News India-image= May 25, 2025

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
देश में लाखों LLB ग्रेजुएट्स हैं, जिनमें से कई कानूनी पेशे के बजाय शिक्षण क्षेत्र में जाना चाहते हैं। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां कानूनी प्रैक्टिस के अवसर सीमित हैं, शिक्षण एक आकर्षक और सम्मानजनक करियर विकल्प है। लेकिन, 1 वर्षीय बीएड कोर्स की सख्त पात्रता के कारण ये अभ्यर्थी या तो 2 वर्षीय बीएड कोर्स चुनने को मजबूर हैं या शिक्षण के सपने को छोड़ रहे हैं।
शिक्षा क्षेत्र में लॉ ग्रेजुएट्स की भागीदारी से सामाजिक विज्ञान, नैतिकता, और संविधान जैसे विषयों को पढ़ाने में विशेषज्ञता बढ़ेगी। साथ ही, यह कदम उन अभ्यर्थियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा, जो लंबी पढ़ाई के कारण वित्तीय बोझ का सामना कर रहे हैं।

सरकार पर दबाव: जनता की मांग को अनदेखा नहीं किया जा सकता
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, विशेष रूप से X पर, LLB ग्रेजुएट्स और उनके समर्थक लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। #IncludeLLBinBEd और #JusticeForLawGraduates जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिसमें अभ्यर्थी सरकार और NCTE से पात्रता नियमों में संशोधन की मांग कर रहे हैं। कई संगठनों ने शिक्षा मंत्रालय और NCTE को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया है।
“LLB ग्रेजुएट्स को 1 वर्षीय बीएड में शामिल करना समय की मांग है। यह न केवल अभ्यर्थियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि शिक्षण क्षेत्र में नई प्रतिभा और विविधता लाएगा। सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिए,” शिक्षाविद् और नीति विश्लेषक डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा।

सरकार के लिए सुझाव: एक न्यायसंगत समाधान
LLB को स्नातकोत्तर समकक्ष मान्यता: LLB को स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष मानते हुए 1 वर्षीय बीएड में पात्रता दी जाए।
विशेष प्रवेश परीक्षा: LLB ग्रेजुएट्स के लिए एक विशेष प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाए, ताकि उनकी योग्यता का आकलन हो सके।
संक्रमणकालीन व्यवस्था: 2030 तक, जब 2 वर्षीय बीएड कोर्स बंद होगा, तब तक LLB ग्रेजुएट्स को 1 वर्षीय बीएड में शामिल करने के लिए अस्थायी व्यवस्था की जाए।
NEP के सिद्धांतों का पालन: NEP 2020 समावेशी और लचीली शिक्षा की वकालत करता है। LLB ग्रेजुएट्स को शामिल करना इस दिशा में एक कदम होगा।

निष्कर्ष: सरकार पर बढ़ता दबाव
1 वर्षीय बीएड कोर्स में LLB ग्रेजुएट्स को शामिल करने की मांग न केवल अभ्यर्थियों की मेहनत को सम्मान देने की बात है, बल्कि शिक्षण क्षेत्र को और समृद्ध करने का अवसर भी है। यह समय है कि सरकार और NCTE इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और लाखों लॉ ग्रेजुएट्स की उम्मीदों को साकार करें। यदि यह मांग अनसुनी रही, तो अभ्यर्थियों का असंतोष और बढ़ सकता है, जिसका असर शैक्षिक नीतियों की स्वीकार्यता पर पड़ सकता है।

Hot this week

NCTE की नई गाइडलाइंस से बीएड कालेज के मालिकों की नींद उड़ी

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 2025 की नई गाइडलाइंस के तहत अब बीएड कोर्स केवल मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों में संचालित होंगे, जिससे देशभर के 15,000 से अधिक बीएड कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों के साथ मर्ज करना होगा। इससे छोटे व स्वतंत्र कॉलेजों में चिंता और असमर्थता का माहौल बन गया है। मर्जर प्रक्रिया की जटिलता, वित्तीय दबाव, और स्वायत्तता के नुकसान को लेकर कॉलेज मालिकों ने NCTE से स्पष्ट दिशानिर्देश और सहायता की मांग की है।

बच्चे पैदा करने में भी आरक्षण? अमृत भारत, अतुल्य भारत का नया रंग!

सोशल मीडिया पर "बच्चे पैदा करने में भी आरक्षण!" जैसी मजाकिया टिप्पणी ने भारत में आरक्षण की व्यापकता और सामाजिक नीतियों पर नई बहस छेड़ दी है। 'अमृत भारत' और 'अतुल्य भारत' के नारों के संदर्भ में यह टिप्पणी जहाँ हास्य का माध्यम बनी, वहीं इसने आरक्षण की सीमाओं और समाज पर इसके प्रभावों को लेकर गंभीर विचार-विमर्श को भी जन्म दिया है।

बांग्लादेश में यूनूस का तख्ता पलट जैसी हलचल पटल पर स्पष्ट नजर आ रही है

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमां के बीच गहराते तनाव ने राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। चुनाव की तारीख को लेकर मतभेद, राखीन कॉरिडोर विवाद, और तख्तापलट की अटकलों के बीच देश एक नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। बीएनपी के विरोध प्रदर्शन और सेना के बढ़ते दबाव के चलते यूनुस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है।

बीजापुर में नक्सलवाद को बड़ा झटका: 24 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है, जहां 24 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें 14 इनामी नक्सली शामिल हैं। आत्मसमर्पण की प्रमुख वजह माओवादी विचारधारा से मोहभंग, संगठन में मतभेद और राज्य सरकार की पुनर्वास नीति रही। उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा के सख्त रुख और लगातार अपील ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बेंगलुरु बेस्ड टैक्स प्रोफेशनल जैशी का गिफ्ट को लेकर सार्थक सुझाव

बेंगलुरु के टैक्स प्रोफेशनल एस.एल. जोशी ने नकद उपहारों पर 2 लाख रुपये की सीमा लागू करने का सुझाव दिया है, जिससे टैक्स चोरी और काले धन को वैध बनाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। उनके इस प्रस्ताव से वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

Topics

NCTE की नई गाइडलाइंस से बीएड कालेज के मालिकों की नींद उड़ी

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) की 2025 की नई गाइडलाइंस के तहत अब बीएड कोर्स केवल मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों में संचालित होंगे, जिससे देशभर के 15,000 से अधिक बीएड कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों के साथ मर्ज करना होगा। इससे छोटे व स्वतंत्र कॉलेजों में चिंता और असमर्थता का माहौल बन गया है। मर्जर प्रक्रिया की जटिलता, वित्तीय दबाव, और स्वायत्तता के नुकसान को लेकर कॉलेज मालिकों ने NCTE से स्पष्ट दिशानिर्देश और सहायता की मांग की है।

बच्चे पैदा करने में भी आरक्षण? अमृत भारत, अतुल्य भारत का नया रंग!

सोशल मीडिया पर "बच्चे पैदा करने में भी आरक्षण!" जैसी मजाकिया टिप्पणी ने भारत में आरक्षण की व्यापकता और सामाजिक नीतियों पर नई बहस छेड़ दी है। 'अमृत भारत' और 'अतुल्य भारत' के नारों के संदर्भ में यह टिप्पणी जहाँ हास्य का माध्यम बनी, वहीं इसने आरक्षण की सीमाओं और समाज पर इसके प्रभावों को लेकर गंभीर विचार-विमर्श को भी जन्म दिया है।

बांग्लादेश में यूनूस का तख्ता पलट जैसी हलचल पटल पर स्पष्ट नजर आ रही है

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमां के बीच गहराते तनाव ने राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। चुनाव की तारीख को लेकर मतभेद, राखीन कॉरिडोर विवाद, और तख्तापलट की अटकलों के बीच देश एक नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। बीएनपी के विरोध प्रदर्शन और सेना के बढ़ते दबाव के चलते यूनुस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है।

बीजापुर में नक्सलवाद को बड़ा झटका: 24 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है, जहां 24 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें 14 इनामी नक्सली शामिल हैं। आत्मसमर्पण की प्रमुख वजह माओवादी विचारधारा से मोहभंग, संगठन में मतभेद और राज्य सरकार की पुनर्वास नीति रही। उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा के सख्त रुख और लगातार अपील ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बेंगलुरु बेस्ड टैक्स प्रोफेशनल जैशी का गिफ्ट को लेकर सार्थक सुझाव

बेंगलुरु के टैक्स प्रोफेशनल एस.एल. जोशी ने नकद उपहारों पर 2 लाख रुपये की सीमा लागू करने का सुझाव दिया है, जिससे टैक्स चोरी और काले धन को वैध बनाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। उनके इस प्रस्ताव से वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

पाकिस्तान नागरिकों और आतंकवादियों के बीच कोई अंतर नहीं करता – भारतीय राजदूत हरिश पुरी

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान नागरिकों और आतंकवादियों में फर्क नहीं करता। राजदूत हरीश पुरी ने संयुक्त राष्ट्र में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की अपील की।

छत्तीसगढ़ में IPS कैडर में मामूली वृद्धि

छत्तीसगढ़ में IPS कैडर की संख्या 142 से बढ़ाकर 153 कर दी गई है, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक क्षमता को मजबूती मिलेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस अधिसूचना का राज्य सरकार ने स्वागत किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और पुलिस बल की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में सहायक होगी।

D U में राहुल गांधी मुश्किल में फंसे,सवाल के जवाब से भागने लगे

दिल्ली विश्वविद्यालय में राहुल गांधी की हालिया उपस्थिति उस समय विवादों में घिर गई जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर छात्रों के सवालों से बचने की कोशिश की। बीजेपी ने इसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार बताया, वहीं कांग्रेस ने आरोपों को साजिश करार दिया। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस जारी है और मामला राजनीतिक हलकों में तेजी से तूल पकड़ता जा रहा है।

Related Articles

Popular Categories