मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी शुभकामनाएं, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना
Published on: July 24, 2025
By: [BTNI]
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा और कृषि परंपराओं से ओतप्रोत हरेली तिहार का उल्लास आज पूरे राज्य में छाया रहा। इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरेली तिहार छत्तीसगढ़ की माटी, लोक परंपरा और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने सभी नागरिकों के जीवन में सुख, समृद्धि और हरियाली की कामना की, साथ ही इस पर्व को आपसी सौहार्द और परंपराओं के सम्मान के साथ मनाने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री निवास में हरेली तिहार का आयोजन पारंपरिक उल्लास और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्री साय ने गौरी-गणेश, नवग्रह और भगवान शिव का विधिवत पूजन-अभिषेक किया, साथ ही नांगर, कुदाल, रापा जैसे पारंपरिक कृषि यंत्रों की पूजा-अर्चना कर उत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने पशुधन संरक्षण के संदेश के साथ गाय और बछड़े को पारंपरिक लोंदी और हरा चारा खिलाया, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति में पशुओं को परिवार का हिस्सा मानने की गहरी भावना को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “हरेली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी कृषि संस्कृति, प्रकृति और पशुधन के प्रति सम्मान का उत्सव है। यह पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराता है।” उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस अवसर पर वृक्षारोपण करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित हो।
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मुख्यमंत्री निवास में आयोजित उत्सव में छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की जीवंत झलक देखने को मिली। परिसर को ग्रामीण परिवेश में सजाया गया था, जहां पारंपरिक तोरण, हरियाली और शिल्प कला ने उत्सव की रौनक बढ़ाई। गेड़ी नृत्य, सावन झूला, राउत नाचा और सवनाही रामायण पाठ जैसे आयोजनों ने लोक परंपराओं को जीवंत किया। कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में नांगर, कुदाली, रोटावेटर, बीज ड्रिल जैसे पारंपरिक और आधुनिक यंत्रों का प्रदर्शन किया गया, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि विरासत और तकनीकी प्रगति का प्रतीक बना।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर किसानों की समृद्धि के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि बीते खरीफ सीजन में 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद कर रिकॉर्ड बनाया गया, जो किसानों के प्रति सरकार के समर्पण को दर्शाता है। हरेली तिहार का यह उत्सव न केवल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का प्रयास है, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने की प्रेरणा भी देता है।