पूछा, ‘चीन ने भारत की जमीन हड़पी, इसका तथ्य क्या?’
Published on: August 04, 2025
By: [BTNI]
Location: New Delhi, India
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर दिए गए उनके बयानों पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने राहुल गांधी से सवाल किया कि उन्हें कैसे पता कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है और उनके इस दावे का विश्वसनीय आधार क्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर वह सच्चे भारतीय हैं, तो उन्हें ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए, खासकर तब जब सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति हो।
मामले का विवरण
यह मामला राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान 9 दिसंबर 2022 को तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद दिए गए उनके बयान से जुड़ा है। राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है और चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं।
इस बयान को लेकर सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। शिकायत में कहा गया कि भारतीय सेना ने 12 दिसंबर 2022 को आधिकारिक बयान जारी कर बताया था कि चीनी सेना को भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें वापस खदेड़ दिया गया। इसके बावजूद राहुल गांधी का बयान सेना का अपमान करने वाला था।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने लखनऊ की निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। कोर्ट ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया, “आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया? क्या आप वहां थे? आपके पास इस दावे की विश्वसनीय जानकारी क्या है?” कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को ऐसे सवाल संसद में उठाने चाहिए थे, न कि सोशल मीडिया पर।
जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, “जब सीमा पर विवाद चल रहा हो, तो क्या आप इस तरह की बातें कह सकते हैं? सिर्फ इसलिए कि आपके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, इसका मतलब यह नहीं कि आप कुछ भी कह सकते हैं। एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा।” कोर्ट ने राहुल गांधी को चेतावनी दी कि विपक्ष के नेता के तौर पर उन्हें जिम्मेदारी के साथ बयान देने चाहिए।
राहुल गांधी को राहत, लेकिन फटकार के साथ
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए लखनऊ की निचली अदालत में चल रही मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की है। राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की कोई जरूरत नहीं थी और न ही उन्हें संज्ञान लिए जाने से पहले प्राकृतिक न्याय का अवसर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी कोई दागी व्यक्ति नहीं हैं और न ही पीड़ित हैं।
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बीजेपी की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्हें “चीन गुरु” करार दिया। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया, “सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर ‘चीन गुरु’ राहुल गांधी को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने के लिए फटकार लगाई। विपक्ष के नेता को इतनी लापरवाही से बोलने के लिए बार-बार फटकार पड़ रही है।”
राहुल गांधी के पहले के बयान
राहुल गांधी ने पहले भी कई मौकों पर चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जे का दावा किया है। 2023 में उन्होंने कहा था कि चीन ने लद्दाख में 4000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है, जिसे लेकर उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। लोकसभा में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि सरकार को यह बताना चाहिए कि चीन से जमीन वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
2023 में चीन द्वारा जारी मानक मानचित्र के जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री का यह दावा कि लद्दाख में एक इंच जमीन नहीं गई, झूठ है। उन्होंने दावा किया था कि पूरा लद्दाख जानता है कि चीन ने अतिक्रमण किया है।
सरकार और सेना का रुख
दूसरी ओर, सरकार और सेना ने बार-बार राहुल गांधी के दावों को खारिज किया है। लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बीडी मिश्रा ने 2022 में कहा था कि चीन का भारत की एक वर्ग इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी राहुल गांधी के दावों का खंडन करते हुए कहा था कि जिस जमीन की बात वह कर रहे हैं, वह 1962 में ही चीन के कब्जे में चली गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को उनके बयानों के लिए कड़ी फटकार लगाई है, लेकिन साथ ही उन्हें कानूनी राहत भी दी है। कोर्ट का यह रुख दर्शाता है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना बयानों को लेकर सख्त है। यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि राष्ट्रीय महत्व का भी है, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा विवाद जैसे संवेदनशील विषय से जुड़ा है। अगली सुनवाई में कोर्ट के रुख और उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब पर सभी की नजरें टिकी हैं।