चीफ जस्टिस का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न
Published on: May 18, 2025
By: BTI
Location: New Delhi, India
भारत के सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक क्षण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराष्ट्रपति, और कई केंद्रीय मंत्रियों सहित तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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मां के प्रति सम्मान ने जीता दिल
शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस गवई ने एक ऐसा भावनात्मक क्षण रचा, जिसने सभी का दिल जीत लिया। शपथ लेने के बाद उन्होंने मंच से उतरकर सबसे पहले अपनी मां के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया। यह मार्मिक दृश्य देखकर वहां मौजूद प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू और अन्य गणमान्य लोग भावुक हो गए। सोशल मीडिया पर भी इस पल की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं, जहां लोग जस्टिस गवई की सादगी और संस्कारों की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
जस्टिस बीआर गवई का सफर
जस्टिस गवई का यह सफर कई मायनों में प्रेरणादायक है। वह देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने जस्टिस गवई को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक, यानी लगभग छह महीने से अधिक का होगा। जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फैसलों में योगदान दिया है और उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से नई उम्मीदें जगी हैं।

PM मोदी ने दी बधाई
शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जस्टिस गवई को बधाई दी और उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं। पीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “जस्टिस बीआर गवई के भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना गर्व का क्षण था। उनके कार्यकाल के लिए मेरी शुभकामनाएं।”
नए CJI से नई उम्मीदें
जस्टिस गवई का शपथ ग्रहण समारोह न केवल एक औपचारिक आयोजन था, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई की उम्मीद है, और उनके अनुभव और संवेदनशील दृष्टिकोण से न्याय व्यवस्था को और मजबूती मिलने की आशा है।
जस्टिस गवई का यह भावनात्मक और प्रेरणादायक क्षण लंबे समय तक लोगों के दिलों में बस्ता रहेगा। उनकी सादगी और मां के प्रति सम्मान ने न केवल उनके व्यक्तित्व को उजागर किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों को भी गौरवान्वित किया।