*आपरेशन सिंदूर के बाद की हलचल*
Published on: May 13, 2025
By: BTI
Location: New Delhi, India
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व नेता सत्यपाल मलिक एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना और ट्रोलिंग के जवाब में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैं बागी हो सकता हूं, लेकिन गद्दार होना मेरी फितरत में नहीं है।” यह बयान उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए दिया, जिसमें उन्होंने खुद को किसान (जाट) समुदाय का बेटा बताते हुए अपनी बात रखी।

सत्यपाल मलिक ने अपनी पोस्ट में लिखा, “नमस्कार साथियों। बहुत से लोग मुझे सोशल मीडिया पर टारगेट कर रहे हैं, अनाप-शनाप मेरे खिलाफ लिख रहे हैं। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं उस किसान कौम का बेटा हूं। मैंने अपने जीवन में झुकना नहीं सीखा। सत्ता पक्ष से मेरे आज भी वही सवाल हैं।” इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।
पहलगाम हमले पर विवादित बयान से शुरू हुआ विवाद
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी की तीखी आलोचना की थी। उनके इस बयान को पाकिस्तानी संसद और मीडिया में भारत के खिलाफ तर्क के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिसके बाद भारत में उनकी आलोचना तेज हो गई। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने उन्हें “गद्दार” और “देशविरोधी” तक करार दिया।
हालांकि, मलिक ने इस विवाद के बीच भारतीय सेना की तारीफ भी की थी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद उन्होंने एक्स पर लिखा, “भारतीय सेना पर गर्व है।” इस बयान को उन्होंने सरकार के साथ एकजुटता दिखाने के रूप में पेश किया।
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राजनीतिक सफर और विवादों से रहा नाता
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक करियर लंबा और विवादों से भरा रहा है। 1970 के दशक में चौधरी चरण सिंह के साथ अपनी राजनीति शुरू करने वाले मलिक ने भारतीय क्रांति दल, कांग्रेस, जनता दल और बीजेपी जैसे कई दलों के साथ काम किया। वह 1989-1991 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद रहे और वीपी सिंह सरकार में मंत्री भी रहे। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान धारा 370 को हटाया गया, जो एक ऐतिहासिक फैसला था।
राज्यपाल पद छोड़ने के बाद से मलिक केंद्र सरकार और पीएम मोदी के मुखर आलोचक बन गए हैं। उन्होंने कृषि कानूनों, पुलवामा हमले, और किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। 2021 में उन्होंने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में एक फाइल को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
सीबीआई छापों ने भी बढ़ाया विवाद
सत्यपाल मलिक का नाम किरू हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में भी सामने आया है। 2024 में सीबीआई ने उनके आवास और 30 अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद उन्होंने कहा था, “मेरे पास 4-5 कुर्ते-पायजामे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।” इस मामले में उनकी पूछताछ भी हुई, जिसने उनके और केंद्र सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा दिया।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
मलिक के ताजा बयान पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां कुछ लोग उनके साहस और स्पष्टवादिता की तारीफ कर रहे हैं, वहीं बीजेपी समर्थक और अन्य सोशल मीडिया यूजर्स उनकी आलोचना कर रहे हैं। जाट एसोसिएशन जैसे संगठनों ने भी उनके बयानों को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए उन्हें “गद्दार” कहा है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मलिक के बयानों का इस्तेमाल सरकार पर हमला करने के लिए किया है। वहीं, बीजेपी नेताओं ने उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वह राजनीतिक लाभ के लिए विवाद पैदा कर रहे हैं।

आगे क्या?
सत्यपाल मलिक के बयान और उनकी आलोचनाएं आने वाले दिनों में और चर्चा का विषय बन सकती हैं। उनकी किताब, जिसमें उन्होंने कश्मीर से जुड़े कई खुलासे करने का दावा किया है, भी जल्द प्रकाशित होने की संभावना है। इस बीच, उनके “बागी” रुख ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
सत्यपाल मलिक की यह टिप्पणी कि “मैंने झुकना नहीं सीखा” उनके व्यक्तित्व और राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। अब यह देखना होगा कि यह बयान उनके राजनीतिक भविष्य को किस दिशा में ले जाता है।