
लखनऊ (BTI)- उत्तर प्रदेश के संभल की मस्जिद की रंगाई पुताई को लेकर फिर एक बार जबरदस्त विवाद खडा हो गया है। माहौल बिगडने के भी पूरे हालात नजर आ रहे है।
संभल की मस्जिद के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद रंग रोगन का रास्ता साफ तो हुआ है लेकिन मस्जिद को हरे रंग से पोते जाने की बात भी सामने आई। इसे लेकर वहां के स्थानीय हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कर दी है और सीधा डीएम को जाकर ज्ञापन सौंपते हुए तथाकथित मस्जिद की हरा रंग से पोताई नही किए जाने की मांग की है।
हिंदु संगठनों ने इसे भगवा रंग से पोते जाने की मांग की और कहा कि यह स्थान मूलतः प्राचीन हरिहर मंदिर और एक बडा हिंदू तीर्थ है। यह पुराना मंदिर था ना की मस्जिद और इसे ही मुद्दा बनाकर इसे हरे रंग से पोतने का कड़ा विरोध शुरू हो गया।
हिंदुओ का मानना है कि हरिहर मंदिर हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल था जो आजादी के बाद एएसआई ASI (भारतीय पुरातत्व विभाग) के अधीन था जिसे अखिलेश यादव के लोगों ने तथा सपा के लोगों ने और तत्कालीन कुछ अराजक तत्वों ने उनको मारपीट कर वहां से भगा दिया था और वहां पर कब्जा करके उसे मस्जिद का रुप दिया गया था।
संभल की जनता की प्रतिक्रिया भी जो सामने आई है वह यही है कि हाल फिलहाल यह कानूनी रूप से किसी भी समुदाय या समाज का नहीं है तथा यह पूरी तरह आर्चियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधीन है। इस पर बलपूर्वक कब्जा करके उसे मस्जिद का रूप दिया गया जो अब मान्य नहीं हो सकता।
हिंदुओ का स्पष्ट मानना है कि यह हिंदुओं का मंदिर है इसलिए भगवा रंग से ही पोता जाना चाहिए। हाल फिलहाल इस मामले को लेकर गहमा गहमी बनी हुई है। वहां के कुछ लोग बीच का रास्ता निकालते हुए यह कह रहे हैं कि न हरा और न ही भगवा बल्कि सफेद रंग से इसकी पुताई कर दी जाए ताकि शांति कायम रहे ।
उल्लेखनीय है कि गत्”4 मार्च को हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने संभल की शाही जामा मस्जिद को विवादित ढांचा लिखवाया। कोर्ट मेंं हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा था- ये (मुस्लिम पक्ष) मस्जिद कहेंगे तो हम मंदिर कहेंगे, राम मंदिर के केस में भी उसे (बाबरी मस्जिद) विवादित ढांचा ही कहा जाता था। इसके बाद जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा था- हम देखते हैं। इसके बाद उन्होंने 10 मार्च को सुनवाई की डेट दी थी, लेकिन 10 मार्च को सुनवाई नहीं हो सकी थी।”
हिंदू पक्ष का दावा है कि”पहले यह हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया।