दिल्ली कोर्ट ने घोषित किया भगोड़ा आर्थिक अपराधी
Published on: July 05, 2025
By: [BTNI]
Location: New Delhi, India
ब्रिटेन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता अब और साफ हो गया है। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई करते हुए भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) घोषित कर दिया है। इस फैसले से भंडारी की भारत और विदेशों में मौजूद संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया को गति मिलेगी, साथ ही उनके प्रत्यर्पण की संभावनाएं भी मजबूत हुई हैं।
संजय भंडारी पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और रक्षा सौदों में अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं। ईडी के अनुसार, भंडारी 2016 में भारत से फरार होकर ब्रिटेन चला गया था। जांच में सामने आया है कि भंडारी का संबंध कई विदेशी हथियार कंपनियों से था, जो भारत सरकार से रक्षा सौदों के लिए ठेके हासिल करने की कोशिश में थीं। इसके अलावा, भंडारी पर काले धन को विदेश भेजने और अवैध संपत्तियां अर्जित करने का भी आरोप है।
भंडारी के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनका मुवक्किल ब्रिटेन में कानूनी रूप से रह रहा है और लंदन हाई कोर्ट ने फरवरी 2025 में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया था। वकील ने तर्क दिया कि तिहाड़ जेल में भंडारी को हिंसा और जबरन वसूली का खतरा है, जिसके आधार पर उन्हें भगोड़ा घोषित करना गलत होगा। हालांकि, विशेष जज संजीव अग्रवाल ने इन दलीलों को खारिज करते हुए ईडी के पक्ष में फैसला सुनाया।
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इससे पहले, नवंबर 2022 में ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भंडारी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, और जनवरी 2023 में तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने भी इसकी अनुमति दी थी। हालांकि, लंदन हाई कोर्ट ने फरवरी 2025 में मानवाधिकारों के आधार पर प्रत्यर्पण के खिलाफ भंडारी की अपील को स्वीकार कर लिया था, जिससे भारत को झटका लगा था।
दिल्ली कोर्ट के ताजा फैसले ने भारत सरकार के प्रयासों को नई ताकत दी है। अब ईडी को भंडारी की संपत्तियों को जब्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हो गया है, और यह फैसला ब्रिटेन में प्रत्यर्पण की अपीलों के लिए भी कानूनी आधार को मजबूत करेगा।
जांच एजेंसियों का कहना है कि भंडारी के प्रत्यर्पण से रक्षा सौदों में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामलों की सच्चाई सामने आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन भगोड़ों के लिए एक कड़ा संदेश है, जो भारत में अपराध कर विदेशों में छिपे हुए हैं।
अब यह देखना बाकी है कि क्या भंडारी इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे या भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण में जल्द सफलता हासिल कर पाएगी।