विदेशी मंचों से भारत पर नकारात्मक बयान
राहुल गांधी के वक्तव्यों पर सियासी घमासान
Published on: December 23, 2025
By: BTNI
Location: New Delhi, India
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विदेश दौरों के दौरान भारत को लेकर दिए गए बयानों ने देश की राजनीति में तीखी बहस छेड़ दी है। जर्मनी और ब्रिटेन में दिए गए उनके वक्तव्यों को लेकर भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नुकसान पहुंचाने वाला बताया है।
जर्मनी में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि “भारतीय आपस में लड़ेंगे और भारत का पतन होगा।” वहीं, ब्रिटेन में उन्होंने यह टिप्पणी की कि “देश में केरोसिन फैलाया जा रहा है और भारत आग की लपटों में घिर सकता है।” इससे पहले भी वे अशांति, अराजकता, पतन और जनरेशन-जेड के दंगों जैसी आशंकाओं का उल्लेख कर चुके हैं।
इन बयानों को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि यह महज आलोचना नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ नकारात्मक नैरेटिव गढ़ने का प्रयास है। उनका आरोप है कि इस तरह के वक्तव्य वैश्विक मंचों पर भारत को अस्थिर और कमजोर राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो किसी भी जिम्मेदार राष्ट्रीय नेता से अपेक्षित नहीं है।
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भाजपा प्रवक्ताओं ने यहां तक कहा कि विदेशी धरती पर अपने ही देश के पतन की भविष्यवाणी करना “राष्ट्रहित के विपरीत” है। उनका दावा है कि राहुल गांधी के बयान अंतरराष्ट्रीय शक्तियों द्वारा अपनाई जाने वाली “सत्ता परिवर्तन” जैसी रणनीतियों से मेल खाते हैं, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन सहित अन्य देशों में देखा गया है।
कांग्रेस की ओर से हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज किया गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और संस्थाओं की मजबूती पर चिंता जताई है, न कि देश के खिलाफ कोई साजिश रची है। कांग्रेस का तर्क है कि सरकार आलोचना को देशद्रोह के चश्मे से देख रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले समय में और तेज हो सकता है, क्योंकि विदेशों में दिए गए बयानों को लेकर देश के भीतर राष्ट्रवाद और राजनीतिक जवाबदेही का मुद्दा बार-बार उभर रहा है। सवाल यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आंतरिक राजनीतिक चिंताओं को उठाना उचित है, या इससे भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचता है—इस पर बहस फिलहाल थमने वाली नहीं दिखती।



