राजस्व मंत्री के आश्वासन के बाद तहसीलदार संघ ने वापस लिया अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला, कामकाज सामान्य होने की उम्मीद
Published on: August 06, 2025
By: BTNI
Location: Raipur, India
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के 17 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन और अनिश्चितकालीन हड़ताल आखिरकार समाप्त हो गई है। छत्तीसगढ़ तहसीलदार संघ ने राजस्व मंत्री के साथ लंबी चर्चा और पांच प्रमुख मांगों पर सहमति बनने के बाद बुधवार को अपनी हड़ताल वापस लेने का ऐलान किया। इस फैसले से प्रशासनिक कार्यों में रुकावट खत्म होने और जनता को राहत मिलने की उम्मीद है।
हड़ताल का कारण और प्रदर्शन की शुरुआत
छत्तीसगढ़ तहसीलदार संघ ने 17 सूत्रीय मांगों को लेकर 28 जुलाई से आंदोलन शुरू किया था। इसकी शुरुआत जिला स्तर पर प्रदर्शन से हुई, जिसके बाद 29 जुलाई को संभाग स्तर पर और 30 जुलाई को नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदेश स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया गया। तहसीलदार संघ ने 31 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी थी, जिसमें उनका नारा था, “संसाधन नहीं तो काम नहीं।” प्रमुख मांगों में हर तहसील में पर्याप्त स्टाफ जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, चपरासी, पटवारी और राजस्व निरीक्षक की नियुक्ति, डिप्टी कलेक्टर पद पर प्रमोशन में पारदर्शिता और 50:50 अनुपात (सीधी भर्ती और प्रमोशन) की बहाली शामिल थी।
मंत्री के साथ चर्चा और सहमति
तहसीलदार संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने बताया कि राजस्व मंत्री के साथ हुई सकारात्मक चर्चा में पांच प्रमुख मांगों पर सहमति बनी, जिसके बाद हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, “हमारी मांगों को लेकर शासन को पहले भी अवगत कराया गया था, लेकिन अब राजस्व मंत्री के आश्वासन और ठोस कदमों की दिशा में प्रगति के बाद हमने प्रदर्शन समाप्त करने का निर्णय लिया।” हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि सहमति के बिंदुओं पर अमल नहीं हुआ तो संघ भविष्य में फिर से आंदोलन शुरू कर सकता है।
प्रमुख मांगें और उनकी स्थिति
तहसीलदार संघ की 17 मांगों में से पांच पर सहमति बनी है, जिनमें तहसीलों में स्टाफ की कमी को दूर करने, प्रमोशन प्रक्रिया में सुधार और कार्यालयों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। शेष मांगों पर विचार के लिए शासन ने समय मांगा है। यह सहमति तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के लिए कार्यस्थल पर बेहतर संसाधन और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
प्रशासन और जनता पर प्रभाव
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल के कारण रायपुर सहित राज्य की कई तहसीलों में राजस्व संबंधी कार्य जैसे जमीन हस्तांतरण, म्यूटेशन और अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही थीं। हड़ताल समाप्त होने से अब इन कार्यों के सामान्य होने की उम्मीद है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां तहसील कार्यालय किसानों और नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं, इस फैसले का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
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राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएं
हड़ताल समाप्त होने की खबर ने न केवल प्रशासनिक हलकों में राहत की सांस दी है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा हो रही है। विपक्षी दलों ने हड़ताल को शासन की नाकामी के रूप में पेश करने की कोशिश की थी, लेकिन सहमति बनने के बाद सरकार ने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता के रूप में प्रचारित किया है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारिक संगठनों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।
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तहसीलदार संघ ने स्पष्ट किया है कि वे शेष मांगों पर शासन के रुख पर नजर रखेंगे। संघ के नेताओं ने कहा कि यह केवल एक पड़ाव है, और यदि सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहती है, तो भविष्य में और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। दूसरी ओर, प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि तहसीलदारों की जायज मांगों को प्राथमिकता दी जाएगी और तहसील स्तर पर संसाधनों की कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाएगा।
इस घटनाक्रम ने रायपुर में प्रशासनिक सुधारों और कर्मचारी कल्याण की दिशा में एक नई बहस को जन्म दिया है। तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल का समापन न केवल उनके लिए, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनता के लिए भी एक सकारात्मक कदम है, जो प्रशासनिक सेवाओं की बहाली की उम्मीद जगा रहा है।