अनंत चतुर्दशी पर निकलती है ऐतिहासिक विसर्जन झांकी
आकर्षक मूर्तियों से सजेगा शहर
Published on: August 26, 2025
By: BTNI
Location: Rajnandgaon, India
संस्कारधानी राजनांदगांव में आज गणपति बप्पा की प्रतिमाएं विराजित होंगी। कल बुधवार 27 अगस्त से प्रारंभ हो रहा गणेश उत्सव शहर की पहचान माना जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन निकलने वाली ऐतिहासिक झांकी की परंपरा को सौ वर्ष से अधिक हो चुके हैं, जिसे देखने पूरे प्रदेश से श्रद्धालु और दर्शक उमड़ते हैं।
शहर के हर गली–चौराहे पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की तैयारी पूरी हो चुकी है। जगह-जगह समितियां आकर्षक पंडाल सजाकर भगवान गणेश की स्थापना करेंगी। कई समितियां पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा को निभा रही हैं। गंज चौक स्थित बाल समाज समिति सबसे पुरानी है।
यहां पुरानी गंज मंडी के बसंतपुर स्थानांतरण के कुछ वर्षों बाद से ही मेला और मीना बाजार भी लगता है। महावीर मार्केट समिति जो आज मित्र मंडल समिति में परिवर्तित हो चुकी है ने भी अपनी आकर्षक प्सरतिमा और विभिन्न आयोजनों से यहां के गणेशोत्सव को एक नया आयाम देने का प्रयास किया है। अनेक नई-पुरानी समितियां भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं।
सदर गणेश बाल मंडल की परंपरागत मारवाड़ी गणेश परंपरा आज भी यथावत जारी है। संस्कारधानी के गणेशोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने वाली समितियां क्रमशः सुमति मंडल,लघु मंडल, नवयुवक मंडल,सदर गणेश बाल मंडल,नवरत्न मंडल,नवीन विद्यार्थी मंडल जैसी समितियां अपनी स्थापना के 60 से 80 तो कुछ 90 वर्ष पश्चात भी कायम है जो यहां के स्थानीय लोगों की गणेशोत्सव के प्रति अटूट श्रद्धा व समर्पण का ही परिणाम है।
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यहां के गणेशोत्सव में मूर्तिकारों की भूमिका भी सराहनीय रही है क्योंकि शहर को गणेशमय बनाने में इन्होंने भी कोई कमी नहीं की। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले से आए कृष्णपाल हो या वासुदेव पांडूररंग काले जी का परिवार हो सभी स्थानीय लोगों की जिद पर यहीं रच बस गये और अंततः यहीं के होकर रह गए। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कृष्ण पाल 30 वर्षों से यहां मूर्तियां बनाते आ रहे हैं। आज वे अपने 5 सहयोगीयों के साथ हर साल भव्य प्रतिमाएं तैयार करते हैं। साल में वे 4 माह अब यहीं रहकर मूर्ति निर्माण में संलग्न है।
वहीं वासुदेव पेंटर का परिवार आंध्रप्रदेश से आकर पिछले सौ वर्षों से यहां मूर्तिकला की परंपरा को जीवित रखे हुए है।राजनांदगांव की पहचान माने जाने वाले गणेशोत्सव में हर घर-परिवार से लेकर बड़ी समितियों तक प्रतिमाएं विराजित होती हैं। विसर्जन के दिन निकलने वाली विराट झांकी को देखने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। पुलिस-प्रशासन ने भी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। आज शाम से ही शहर गणेश भक्ति के गीतों, डीजे की धुनों, ढोल-नगाड़ों और झांकियों से गूंज उठेगा।