पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर लगाया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की अनदेखी का आरोप, घाटल में राहत कार्यों का लिया जायजा
Published on: August 06, 2025
By: BTNI
Location: Medinipur, India
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर घाटल और पश्चिम मेदिनीपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए कोई वित्तीय सहायता न देने का गंभीर आरोप लगाया है। मंगलवार को घाटल में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के दौरान जब उनसे केंद्र सरकार द्वारा जारी कोष के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया, “कुछ नहीं। शून्य…”। यह बयान केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रहे तनाव को और उजागर करता है, खासकर बाढ़ राहत और आपदा प्रबंधन के मुद्दों पर।
ममता बनर्जी ने घाटल में बाढ़ से प्रभावित लोगों से मुलाकात की और राहत शिविरों में खाद्य सामग्री वितरित की। उन्होंने दावा किया कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा बांधों से अचानक और भारी मात्रा में पानी छोड़ा जाना इस साल की बाढ़ का प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा, “यह मानव निर्मित आपदा है। डीवीसी ने बिना पर्याप्त सूचना के लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा, जिससे दक्षिण बंगाल के कई जिले प्रभावित हुए हैं।” उन्होंने केंद्र सरकार पर डीवीसी के जल प्रबंधन में हस्तक्षेप न करने और घाटल मास्टर प्लान को मंजूरी न देने का भी आरोप लगाया, जिसे लंबे समय से इस क्षेत्र की बार-बार आने वाली बाढ़ की समस्या के समाधान के रूप में देखा जा रहा है।

ममता का केंद्र पर हमला
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर बंगाल की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा, “पहले केंद्र सरकार ड्रेजिंग और गंगा तटबंधों के लिए धन देती थी, लेकिन अब सारी सहायता बंद कर दी गई है। हमें पूरे खर्च का बोझ खुद उठाना पड़ रहा है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने घाटल मास्टर प्लान के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसके तहत 10 प्रमुख नदियों के ड्रेजिंग और तटबंधों को मजबूत करने का काम 2025 में बाढ़ की स्थिति नियंत्रित होने के बाद शुरू होगा।
ममता ने घाटल के बाढ़ प्रभावित लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार राहत कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा, “हमने 5 लाख तालाब खोदे हैं और चेक डैम बनाए हैं, लेकिन केंद्र की उदासीनता के कारण हमें बार-बार नुकसान उठाना पड़ रहा है।” उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सांप के काटने के लिए एंटी-वेनम और बिजली के तारों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त सावधानी बरतें।
घाटल की बाढ़: बार-बार की समस्या
घाटल, पश्चिम मेदिनीपुर का एक निचला क्षेत्र, हर साल मॉनसून के दौरान बाढ़ का शिकार होता है। इस साल यह चौथी बार है जब क्षेत्र में भारी बारिश और डीवीसी द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ आई है। जुलाई 2025 में भी घाटल में बाढ़ के कारण तीन लोगों की जान चली गई थी, जिसमें एक 7 साल की स्कूली छात्रा भी शामिल थी। ममता ने इस स्थिति को “चौंकाने वाला” बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राजनीतिक तनाव और भविष्य की योजना
ममता बनर्जी के इस बयान ने केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। उन्होंने पहले भी डीवीसी पर “बंगाल विरोधी साजिश” का आरोप लगाया था, दावा करते हुए कि 2025 में डीवीसी द्वारा पानी का छोड़ा जाना 2024 की तुलना में 11 गुना और 2023 की तुलना में 30 गुना अधिक था। दूसरी ओर, डीवीसी अधिकारियों ने इन दावों का खंडन किया है, यह कहते हुए कि पानी की रिहाई राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की सहमति से की गई थी।
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ममता ने घाटल मास्टर प्लान को लागू करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके तहत नदियों का ड्रेजिंग, नहरों की मरम्मत और शिलाबती नदी पर बांध निर्माण जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हम बार-बार केंद्र से इस योजना को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा।”
राहत कार्यों में सक्रियता
घाटल और आसपास के क्षेत्रों में ममता बनर्जी ने राहत शिविरों का दौरा किया और प्रभावित लोगों को खिचड़ी परोसकर उनकी हौसला-अफजाई की। उन्होंने अरामबाग में एक राहत शिविर का भी दौरा किया और वहां कम्युनिटी किचन में लोगों की मदद की। इसके अलावा, उन्होंने जॉयरामबटी-कामरपुकुर डेवलपमेंट बोर्ड के गठन की घोषणा की, जिसके लिए 10 करोड़ रुपये का कोष आवंटित किया गया है।
ममता बनर्जी का यह बयान और उनकी सक्रियता न केवल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि केंद्र सरकार के साथ उनके तीखे मतभेदों को भी उजागर करती है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बहस की उम्मीद है, क्योंकि बंगाल की जनता बाढ़ की इस त्रासदी से जूझ रही है।