ठाकरे बंधुओं की आलोचना
Published on: July 06, 2025
By: BTNI
Location: Mumbai, India
महाराष्ट्र के मीरा भायंदर इलाके में मराठी भाषा को लेकर उत्पन्न विवाद और एक मारवाड़ी मिठाई विक्रेता की पिटाई की घटना ने पूरे राज्य में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। इस घटना के विरोध में स्थानीय व्यापारियों ने 3 जुलाई को बाजार बंद का आह्वान किया और सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इस मामले ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे देश में व्यापक चर्चा और आलोचना को जन्म दिया है, खासकर राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के खिलाफ।
घटना का विवरण
29 जून 2025 को मीरा रोड स्थित जोधपुर स्वीट मार्ट के मालिक बabulal Khimji Chaudhary (48) के साथ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर मारपीट की गई। यह घटना तब शुरू हुई जब MNS कार्यकर्ता, जो सरकार के तीन-भाषा नीति को वापस लेने का जश्न मना रहे थे, दुकान पर पानी मांगने आए। जब दुकान के कर्मचारी ने हिंदी में जवाब दिया, तो कार्यकर्ताओं ने मराठी में बात करने की मांग की। दुकानदार ने जवाब दिया कि उनके कर्मचारी अन्य राज्यों से हैं और उन्हें मराठी नहीं आती। इसके बाद बabulal ने कहा, “महाराष्ट्र में सभी भाषाएं बोली जाती हैं,” जिसे MNS कार्यकर्ताओं ने अपमान माना। इसके बाद, तीन कार्यकर्ताओं ने दुकानदार को थप्पड़ मारे और धमकी दी कि उनकी दुकान बंद कर दी जाएगी। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया, जिसने व्यापक आक्रोश को जन्म दिया।
व्यापारियों का विरोध और बंद
3 जुलाई को, मीरा भायंदर के व्यापारियों, विशेष रूप से गुजराती और मारवाड़ी समुदाय के लोगों ने, इस घटना के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए अपनी दुकानें बंद कर दीं। व्यापारी एकता मंच के बैनर तले आयोजित इस बंद में सैकड़ों व्यापारियों ने शांति पार्क में एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने इसे “भाषा आधारित गुंडागर्दी” करार देते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की। हालांकि, व्यापारियों ने पुलिस उपायुक्त (DCP) के आश्वासन के बाद अपनी प्रस्तावित रैली रद्द कर दी, जिन्होंने त्वरित कार्रवाई का वादा किया।
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पुलिस कार्रवाई
काशीमira पुलिस ने सात अज्ञात MNS कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत, जिसमें गैरकानूनी जमावड़ा और स्वेच्छा से नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं, FIR दर्ज की। सीसीटीवी फुटेज और हमलावरों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो के आधार पर सात लोगों की पहचान की गई, जिनमें से तीन MNS के सक्रिय सदस्य हैं। हालांकि, आरोप गैर-संज्ञेय (non-cognizable) होने के कारण, आरोपियों को जल्द ही जमानत पर रिहा कर दिया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की और कहा, “मराठी गौरव की आड़ में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मराठी में गर्व करना और लोगों पर हमला करना दो अलग-अलग बातें हैं।” उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि कुछ लोग अंग्रेजी की सराहना करते हैं लेकिन हिंदी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।
बीजेपी नेता और मंत्री नितेश राणे ने MNS पर तीखा हमला बोला, पूछा कि क्या MNS कार्यकर्ताओं में मुस्लिम समुदाय से मराठी बोलने की मांग करने की हिम्मत है। उन्होंने कहा, “केवल गरीब हिंदुओं पर हमला करने की हिम्मत है। अगर हिंदुओं पर हमला हुआ, तो महायुति सरकार का ‘तीसरा नेत्र’ जाग जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा, “मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है, जहां विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के लोग रहते हैं। भाषा के नाम पर धमकाना अपराध है।”
ठाकरे बंधुओं की आलोचना
इस घटना ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टियों को全国 स्तर पर आलोचना का पात्र बना दिया। MNS के मीरा भायंदर प्रमुख संतोष राणे ने हमले का बचाव करते हुए कहा, “मराठी भाषा का अपमान करने वालों को MNS इसी तरह जवाब देगा।” दूसरी ओर, शिव सेना (UBT) के विधायक आदित्य ठाकरे ने हिंसा का समर्थन तो नहीं किया, लेकिन कहा, “हम नहीं चाहते कि मराठी का अपमान हो। अगर मराठी या महाराष्ट्र का अपमान होता है, तो स्थिति बढ़ सकती है।” इस बयान को कई लोगों ने हिंसा को परोक्ष रूप से समर्थन देने वाला माना।
सोशल मीडिया पर और देश के विभिन्न हिस्सों में ठाकरे बंधुओं की कड़ी आलोचना हो रही है। X पर कई यूजर्स ने इसे “भाषाई अलगाववाद” और “गुंडागर्दी” करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “भारत में सभी को अपनी भाषा बोलने का अधिकार है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 29 में कहा गया है।” एक अन्य यूजर ने कहा, “ठाकरे कार्यकर्ताओं ने नीचता की हदें पार कर दीं।” तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस विवाद पर टिप्पणी करते हुए इसे “भाषा का तूफान” बताया, जिसने ठाकरे बंधुओं को और आलोचना के घेरे में ला दिया।
सामाजिक और कानूनी निहितार्थ
कानूनी विशेषज्ञों ने बताया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिसमें अपनी पसंद की भाषा बोलने का अधिकार शामिल है। इस घटना ने भाषाई स्वतंत्रता और आजीविका पर हमले के रूप में व्यापक बहस छेड़ दी है। व्यापारियों ने डर व्यक्त किया है कि मराठी न बोलने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
मीरा भायंदर की इस घटना ने एक बार फिर महाराष्ट्र में भाषाई राजनीति और क्षेत्रीय गौरव के नाम पर हिंसा के मुद्दे को उजागर किया है। व्यापारियों का बंद और देशव्यापी आलोचना दर्शाती है कि लोग भाषा के नाम पर हिंसा को स्वीकार नहीं करेंगे। ठाकरे बंधुओं और उनकी पार्टियों पर इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाने और हिंसा की निंदा करने का दबाव बढ़ रहा है। सरकार और पुलिस से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले में कठोर कार्रवाई करेंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।